बैंक से रुपये लेने में किसानों का छूट रहा पसीना

- हर कोई एक दूसरे पर फेंक रहे जिम्मेवारी किसान परेशान - बैंक प्रबंधक ने कहा - र

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Apr 2019 07:35 PM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2019 07:35 PM (IST)
बैंक से रुपये लेने में किसानों का छूट रहा पसीना
बैंक से रुपये लेने में किसानों का छूट रहा पसीना

- हर कोई एक दूसरे पर फेंक रहे जिम्मेवारी, किसान परेशान

- बैंक प्रबंधक ने कहा - राशि मिलने पर किसानों को दे दी जाएगी राशि

- पैक्स का दावा हमने चावल भेजवा दिया, जाने बैंक, ऐसे बैंक के पास 4534500 रुपये आ चुका है

संवाद सूत्र, (तारापुर) मुंगेर : किसान, पैक्स अध्यक्ष और सहकारिता बैंक का आपसी तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। बैंकों की उदासीनता, पैक्स अध्यक्षों की लापरवाही और किसानों की मजबूरी किसान को किसी काम का नहीं रहने दिया है। हाड़तोड़ मेहनत के बाद ऊपजाई गई अनाज का सही कीमत लेने के लिए किसान अपना फसल पैक्स में बेचते हैं। लेकिन, पैक्स में धान बेचने के बाद भी किसानों की परेशानी कम नहीं होती है। बेची गई अनाज की राशि के लिए महीनों चक्कर लगाना पड़ता है। महीनों चक्कर लगाते-लगाते चप्पल घिस जा रहे हैं, फिर भी पैसा हाथ में नहीं आ रहा है। यह बात आज की ही नहीं है ऐसी कहानी पिछले कई वर्षों से चला आ रहा है। दुर्भाग्य यह है कि किसान के इस कष्ट में न तो प्रशासनिक अधिकारी और ना ही राजनेता किसानों के साथ खड़े हो रहे हैं। किसानों को बेचे गए फसल का लाभ दिलाने में कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं। परसा गांव के किसान शशिभूषण ने कहा कि हमें मूंग की खेती के लिए बीज खरीदना है। खेत की जुताई करना है। खेत जुताई के लिए ट्रैक्टर का भाड़ा देना है। जिसके लिए हमें रुपये की आवश्यकता है। मैं अपने ही राशि लेने के लिए पिछले 15 दिनों से बैंक का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन बैंक के द्वारा पैसा नहीं है, कहकर उन्हें लौटा देता है। वहीं किसान गोरेलाल यादव ने कहा कि मेरा बैंक में 87 हजार रुपये जमा है। बीते दो महीना से अपने एकाउंट से रुपये निकालने के लिए आते हैं और खाली हाथ लौट जाते हैं। बैंक कर्मियों के सामने घिघयाता रहता हूं कि सर 7-8 हजार रुपए दे दें, कम से कम 2 से 3 हजार ही दे दें। लेकिन जवाब इतना ही मिलता है कि बैंक को रुपये आएगा, तो किसानों के बीच भुगतान कर दिया जाएगा।

वही दौलतगंज निवासी किसान संजय सिंह ने कहा कि अगर किसी किसान के घर में शादी है तो उन्हें भी पैसा बैंक जल्दी नहीं देता है। दूसरी की बात छोड़ दें, खुद हमें पिताजी के बीमारी के इलाज के लिए तुरंत पैसों की जरूरत आन पड़ी है। पिताजी के इलाज के लिए 30 हजार रुपये निकालना था। बैंक ने पैसा नहीं दिया। रोज आज कल कर रहा है। रुपये के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन पैसा अभी तक नहीं मिला है। खुदिया निवासी विकास यादव ने बताया कि गेहूं का खेती करने के लिए कर्ज लिए थे, उसको पैसा देना है, लेकिन बैंक पैसा नहीं दे रही है।

इसके बारे में पूछे जाने पर अफजलनगर पैक्स अध्यक्ष रवि रंजन कुमार ने बताया कि जब-जब किसानों को पैसे की जरूरत होती है, तो सहायक मैनेजर एवं मैनेजर कहते हैं कि आपका पैक्स अध्यक्ष चावल नहीं गिराया। जबकि मैंने 6 लॉट का चावल गिरा दिया हूं। जिसका पैसा एफसीएसआई के द्वारा कॉपरेटिव बैंक तारापुर में कुल 45 लाख 34 हजार 500 रुपये बैंक में आ चुका है। जानकारी के अनुसार तारापुर प्रखंड के सभी पैक्स अध्यक्षों के चावल को एफसीएसआई दे दिया गया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि 12 पैक्स अध्यक्ष का चावल का सातवां लौट तैयार हो चुका है। एमडी के कारण एनफोर्समेंट लेटर बनने में दिक्कत हो रही है। जब डीएम एसएससी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा आप लोगों का साइट नहीं खुल रहा है एमडी से संपर्क करें। एमडी के पास जाने पर वह आजकल में खुल जाएगा की बात कह रहे हैं। तारापुर कॉपरेटिव बैंक में पैसे की किल्लत की सूचना बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री को भी दी गई है।

पढ़भाड़ा पैक्स के रंजीत कुमार ने बताया कि लोग बैंक में किससे बात करेगा, सक्षम पदाधिकारी रहते ही नही हैं। पैसा जब जमा है, तो लोग लेने आएंगे ही। पैसा और अधिकारी दोनों गायब रहता है।

प्यारपुर के किसान प्रकाश सिंह ने कहा कि मैंने एमडी से बात किया तो उन्हें बताया गया कि मैनेजर को कहता हूं। अबतक कुछ नहीं हुआ और दुबारा कॉल करने पर संपर्क नहीं होता है।

बैंक में मौजूद सहायक शाखा प्रबंधक अशोक राम ने बताया कि पैसा नहीं है। पैसे की मांग की गई है। पैसा रहता है, तो भुगतान तुरंत होता है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एमडी और डीसीओ बेहतर बताएंगे। बहरहाल स्थिति दयनीय है। किसान पैक्स को बेचे फसल की कीमत महीनों बीतने के बाद भी तंत्र सहित बैंक की उदासीनता से नहीं प्राप्त कर पाए हैं। किसान ब्याज पर पैसा उठाकर खेती किया। महाजन का तकादा कर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता को समस्या समाधान की दिशा में रुचि नहीं दिखती है।

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