संस्कृत से निकली ¨हदी को विस्तार रुप देने की जरूरत

हरेक लोगों को हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विश्व के कई देशों के विश्वविद्यालय में हिंदी की पढ़ाई हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 07:00 PM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 07:00 PM (IST)
संस्कृत से निकली ¨हदी को विस्तार रुप देने की जरूरत
संस्कृत से निकली ¨हदी को विस्तार रुप देने की जरूरत

मधुबनी। हरेक लोगों को हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। विश्व के कई देशों के विश्वविद्यालय में हिंदी की पढ़ाई हो रही है। ¨हदी भाषा के उचित विकास के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। हिंदी दिवस की महता पर चर्चा करते हुए साहित्यकार व समाजसेवी विजय कुमार झा ने बताया कि राष्ट्रभाषा ¨हंदी का विस्तार विश्व स्तर हो रही है। ¨हदी के विकास की गति धीमी रहने के बाद भी इसकी व्यापकता में इजाफा हुआ है। दक्षिण भारत में हिन्दी की उपेक्षा में कमी आई है। हिन्दी के प्रसार में काफी बढ़ावा हुआ है। बोलचाल में हिन्दी की बढ़ोतरी हुई है। धार्मिक साहित्य के माध्यम से हिन्दी को व्यापक स्तर पर बढ़ावा मिला है। श्री झा ने बताया कि राष्ट्र भाषा का सम्मान होना चाहिए। गैर हिन्दी भाषी क्षेत्रों के विद्वानों द्वारा हिन्दी की व्यापकता को समझते हुए हिन्दी का समर्थन करते रहे हैं। ¨हदी शताब्दियों से राष्ट्रीय एकता का माध्यम रही है। ¨हदी के विकास के लिए आचार्य विनोबा भावे के विचारों को अमल में लाया जाना चाहिए। संस्कृत से निकली हिन्दी को विस्तार रुप देने की जरुरत है। ¨हदी को अपनी अभिव्यक्ति का आधार बना कर लेखनी को बल प्रदान किया जा सकता हैं। ¨हदी का अभ्यास जरुरी है। ¨हदी के विकास के लिए देश के सभी लोगों को इसे अपनाने की जरुरत है। ¨हदी देशवासियों को एक सूत्र में बांधता है। इसके सम्मान व समुचित विकास के लिए कार्य करने की जरुरत है।

----------- सरकारी स्तर पर ¨हदी को बढ़ावा देने का होना चाहिए ठोस प्रयास विद्यालयों में ¨हदी की पुस्तक की कमी दूर करने से इसके विकास को और बल दिया जा सकता है। स्कूलों में ¨हदी के विकास के लिए ठोस व्यवस्था होनी चाहिए। राष्ट्र का सम्मान ¨हदी में है। सरकारी स्तर पर हिन्दी को बढ़ावा देने का ठोस प्रयास होना चाहिए। ¨हदी दिवस की महता पर चर्चा करते हुए शिक्षासेवी प्रभाष झा ने बताया कि ¨हदी के विकास के लिए विद्यालय व घरों में इसे बढ़ावा देना होगा। अभिभावकों को ¨हदी के विकास के प्रति सजग होना होगा। हिन्दुस्तान के विकास का प्रतीक ¨हदी को भावनाओं को व्यक्त करने में सबसे उत्कृष्ट भाषा रहा है। ¨हदी के विकास के प्रति ¨हदी प्रेमी, साहित्यकारो, कवियों, बुद्धिजीवियों व युवाओं में भी रुझान बढ़ा है। निजी स्कूलों भी ¨हदी की बढ़ती ललक से हिन्दी का प्रचार-प्रसार बढ़ा है। ¨हदी में कार्य करने के साथ ¨हदी में हुई वार्तालाप को समझना काफी सुलभ होता है। श्री झा ने कहा कि देश में प्रति वर्ष 14 सितंबर को ¨हदी दिवस मनाया जाता है। संविधान में ¨हदी को राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा ¨हदी को देश की राज्य भाषा बनाने का निर्णय लिया गया। तब से 14 सितंबर को ¨हदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। ¨हदी बोलना ही नही समझना भी काफी सहज है। भाषा अपने विचारों को प्रकट करने का सरल माध्यम होता है।

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