आपसी सौहार्द के साथ लॉकडाउन का किया पालन

मधुबनी। अंधराठाढ़ी प्रखंड का एक महत्वपूर्ण गांव है अंधरा। प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में मुख्यालय समेत अधिकतर महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान स्थित हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 May 2020 11:20 PM (IST) Updated:Mon, 04 May 2020 06:09 AM (IST)
आपसी सौहार्द के साथ लॉकडाउन का किया पालन
आपसी सौहार्द के साथ लॉकडाउन का किया पालन

मधुबनी। अंधराठाढ़ी प्रखंड का एक महत्वपूर्ण गांव है अंधरा। प्रखंड मुख्यालय से कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में मुख्यालय समेत अधिकतर महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान स्थित हैं। मगर, विकास की रोशनी से अभी भी काफी दूर है। गांव के अधिकांश जगहों और सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी का साम्राज्य है। गांव के लोग आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, शौचालय जैसे जीवन की मौलिक आवश्यकताओं और मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं। इस गांव को पूर्व कार्मिक राज्य मंत्री और समाजवादी नेता रामफल चौधरी की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। फिलहाल उनकी तीसरी पीढ़ी के कुंदन कुमार कमलेश जदयू के प्रखंड अध्यक्ष हैं। राजनीति में अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। गांव में अधिकतर सड़कें अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। जगह-जगह सड़क किनारे कूड़े का ढेर और रास्तों पर बहता गंदा पानी स्वच्छता अभियान की मुंह चिढ़ा रहा है। गांव में शौचालय निर्माण की गति धीमी है तो अब भी आबादी का बड़ा भाग खुले में शौच को मजबूर है। जल निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण वर्षा होने पर जगह-जगह पानी का जमाव हो जाता है।

जागरण ने गांव में लॉकडाउन की जमीनी स्थिति का जायजा लिया। लॉकडाउन को लेकर गांव के लोग अनुशासित दिखे। एक तो अधिकतर गांव में ग्रामीणों ने आगे बढ़कर गांव को खुद लॉक कर दिया। सभी लॉकडाउन पर सरकार के निर्णय से सहमत दिखे। गांव में हिदू-मुस्लिम की बराबर बराबर आबादी है। दोनों समुदाय में काफी सौहार्द का रिश्ता है। ऐसे घुल-मिलकर रहते हैं जैसे एक ही घर के दो बेटे हों। लॉकडाउन के अनुपालन में दोनों समुदाय पूरी तरह जागरूक रहे। बाजार का इलाका होने के बावजूद लॉकडाउन का पूरी सख्ती से पालन किया। लॉकडाउन के बीच खेती किसानी

गांव की अधिकांश आबादी खेती और पशुपालन पर निर्भर है। किसान चंद्र कुमार चौधरी, संजीव कुमार चौधरी, शिव शंकर चौधरी, भावेश कामत, कृष्णमोहन चौधरी, कृष्णदेव मुखिया, मोजिब अंसारी, मो. जब्बार, मो इसरारुल, मो. सलाउद्दीन, सतीश झा, प्रमोद ठाकुर मुरलीधर चौधरी कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से खेती किसानी पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। गेहूं की कटाई हो चुकी है और और खेती का काम चल रहा है। शशिकांत चौधरी का परिवार कई सालों बाद चार पीढ़ी संग-संग रह रही है। एक-दूसरे से अनुभव बांट रहे तो अपनापन का अहसास भी है। गांव में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होने लगा है।

अपनी जड़ों से जुड़ रहे युवा :

युवा शुभम चौधरी, आदर्श, गुड्डू और चंद्रहास चौधरी जैसे युवा कहते हैं कि लॉकडाउन में पढ़ाई नहीं हो रही। बच्चों को पढ़ा रहे हैं। साथ ही लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। साथ ही धीरे-धीरे माटी की खुशबू का महत्व भी समझ रहे हैं। संजय चौधरी कहते हैं लॉकडाउन में अमेरिका के दोस्त अजय मिश्रा को गांव याद आया। परिवार याद आया। बचपन और दोस्त याद आए। वर्षों बाद फोन किया। संजय इस लॉकडाउन का फायदा उठाकर अपने वर्षों का किताब लिखने का सपना भी पूरा कर रहें है। इनकी लिखी किताब सोशल मूवमेंट ऑफ कास्ट जल्द ही प्रकाशित होगी। एक न•ार में गांव :

गांव की आबादी करीब 15 हजार, साक्षरता करीब 60 प्रतिशत

कुल वार्ड - 15

विद्यालय - छह

मदरसा- तीन

बैंक शाखा - दो

आंगनबाड़ी - 10 और जनवितरण प्रणाली की चार दुकानें हैं।

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