सुरक्षा दीवार नहीं रहने से तालाबों के अस्तित्व पर खतरा

एक समय जहां खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तालाब वरदान सिद्ध होता था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 10:05 PM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 10:05 PM (IST)
सुरक्षा दीवार नहीं रहने से तालाबों के अस्तित्व पर खतरा
सुरक्षा दीवार नहीं रहने से तालाबों के अस्तित्व पर खतरा

मधुबनी। एक समय जहां खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तालाब वरदान सिद्ध होता था। वहीं आज इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण वह अपना अस्तित्व ही खोता जा रहा है। अनुमंडल मुख्यालय स्थित झंझारपुर नगर पंचायत क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में ऐसे तालाब आज भी मौजूद है जो कालांतर में लोगों और मवेशियों को पानी पीलाने, दिनचर्या के कार्यो से लेकर अगलगी के समय आग बुझाने में वरदान साबित होते थे। लेकिन, आज के समय इन तालाबों में सुरक्षा दीवाल नहीं रहने के कारण वह अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। यहां के तालाबों में उसके अपने ही तट की मिट्टी उसके अंदर समाकर अस्तित्व को मिटाने पर तुली हुई है। फिर भी हमारे राजनेता इस विकट समस्या की सुध नहीं ले रहे हैं। चुनाव दर चुनाव बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस है। एक तरफ जहां वाटर लेवल घटने के कारण चापाकल से लेकर जल के विभिन्न स्त्रोतों पर संकट आ रहा है। वहीं तालाब के उथला हो जाने से तालाब का पानी कम हो चला है। दूसरी ओर किनारे की मिट्टी की लगातार काट लिए जाने से इसके किनारे घर व दुकान बनाकर अपना जीवन गुजर-बसर करने वाले लोगों के जीवन पर संकट आ गया है। कई तालाबों के किनारे खरंजाकरण किया। लेकिन, तालाब किनारे सुरक्षा दीवाल का निर्माण नहीं किए जाने के कारण जहां खड़ंजा में बिछा ईंट उखड़ चला है तो कई जगह खतरनाक गड्ढा दुर्घटना को आमंत्रित कर रहा है । रक्तमाला स्थान से पंचानाथ मोहल्ला जानेवाली सड़क का हालत काफी गंभीर है। खड़ंजे का ईंट उखड़ जाने तथा तालाब किनारे के मिट्टी के कटाव हो जाने से सड़क की स्थिति जर्जर है। इससे आने-जाने वाले राहगीर के साथ ही बगलगीरों का जान हमेशा खतरे में रहता है।

समय रहते अगर तालाब किनारे सुरक्षा दीवालों का निर्माण नहीं कराया जाता है तो आने वाले दिनों में नगरवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। क्षेत्र के महारानी पोखर, डेयोढ़ी पोखर, बाजार समिति तालाव, मां पोखर, मण्ठ पोखर, पंचानाथ पोखर, प्राचीन भगवती स्थान पोखर, हीरालाल तालाव सहित अमूमन सभी तालाबों के किनारे सुरक्षा दीवाल का बनना आज समय की मांग है। सामाजिक कार्यकर्ता, मो.रि•ावान, अधिवक्ता लिपिक राजकुमार भंडारी, सियाकांत वर्ण, अधिवक्ता बेचन राय, डॉ कन्हैया झा, राजेन्द्र राय, राधेश्याम ठाकुर, बिपिन कुमार मल्लिक, राजकुमार साह, शिक्षक प्रेम कुमार कर्ण, किशोर कुंवर, विनोद कुमार कर्ण, रामप्रसाद चौधरी आदि नगरवासियों ने तालाब की सुरक्षा व्यवस्था नहीं किए जाने को नपं, स्थानीय प्रशासन एवं राजनेताओं को जिम्मेदार मानते हैं। साथ ही इन लोगों का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के लिए तालाबों की सुरक्षा का मुद्दा भारी पड़ पर सकता है।

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