उफ! मार डालेगा कचरों के प्रदूषण का जहर

मधुबनी। नगर परिषद क्षेत्र में कचरा निस्तारण की योजना अबतक लागू नहीं किया गया है। जिससे शहरी क्षेत्र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Jul 2017 11:31 PM (IST) Updated:Sat, 22 Jul 2017 01:21 AM (IST)
उफ! मार डालेगा कचरों के प्रदूषण का जहर
उफ! मार डालेगा कचरों के प्रदूषण का जहर

मधुबनी। नगर परिषद क्षेत्र में कचरा निस्तारण की योजना अबतक लागू नहीं किया गया है। जिससे शहरी क्षेत्र से प्रतिदिन बड़े पैमाने पर निकलने वाले गंदगी में शामिल ई-कचरा का नियमत: निस्तारण नहीं होने से कई प्रकार की खामियों को बढ़ावा दे रहा है। कचरा से वस्तुएं बटोरकर आमदनी करने वाले लोगों के लिए ई-कचरा खतरनाक साबित हो रहा है। वहीं इसके खुलेआम जलाए जाने से निकलने वाली धूआं पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ आम लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। बहरहाल कचरा, ई-कचरा या फिर मेडिकल कचरा का उचित रखरखाव तथा निस्तारण की व्यवस्था यहां अबतक बहाल नहीं हो सका है।

प्रावधान की उपेक्षा से बढ़ता प्रदूषण का खतरा

ई-कचरा के निस्तारण के प्रावधान की उपेक्षा से यहां पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। ई-कचरा में करीब 38 अलग-अलग प्रकार के रसायनिक तत्व शामिल होते हैं। टीवी व पुराने कम्प्यूटर में लगी सीआरटी को रिसाइकिल करना मुश्किल होता है। इस कचरे में लेड, मरक्यूरी, केडमियम जैसे घातक तत्व होता है। प्लास्टिक व कई तरह के तत्वों से लेकर अन्य पदार्थ रहते हैं। शहरी क्षेत्र में कूड़ा-करकट में पाए जाने वाले ई-कचरा हवा, मिट्टी और भूमिगत जल को प्रदूषित कर रहा है। केडमियम से फेफड़े, किडनी प्रभावित होते हैं।

मेडिकल कचरा होता जानलेवा

कचरा से कुछ आमदनी के लिए वस्तुओं को एकत्रित करने वालों के लिए मेडिकल कचरा जानलेवा साबित होता है। मेडिकल कचड़ा में शामिल निडिल, टूटे दवाओं की शीशी सहित अन्य वस्तु इसकी साफ-सफाई करने वालों के लिए भी नुकसानदेह होता है। विभिन्न हिस्सों में चल रहे करीब दो दर्जन से अधिक निजी क्लीनिक से निकलने वाले मेडिकल कचरा का निस्पादन नियमों के तहत नहीं हो पा रहा है। अधिकांश क्लीनिक संचालकों द्वारा मेडिकल कचरा को निकट ही किसी सार्वजनिक कूड़ादान या फिर खुले में कचरे के ढेर पर फेक दिया जाता है। कचरों में अपना भोजन तलाश रही आवारा पशुओं के लिए भी खतरनाक होता है। इसकी साफ-सफाई करने वाले कर्मियों के लिए भी जानलेवा साबित होता है।

वायु प्रदूषण से मानव जीवन पर पड़ता कुप्रभाव

इलेक्ट्रानिक्स वेस्ट को अवैज्ञानिक तरीके से निष्पादित किए जाने यानी कि खुले में जलाने से उत्पन्न वायु

प्रदूषण से मानव पर कई कुप्रभाव पड़ता है। कारर्सेनोजेन्स-डाईबेंजो पैरा डायोक्सिन (टीसीडीडी) एवं न्यूरोटॉक्सिन्स जैसी विषैले जैसे उत्पन्न होती है। इससे मानव शरीर में प्रजनन क्षमता, शारीरिक विकास एवं प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। हार्मोनल असंतुलन व कैंसर जैसी खतरा बढ़ जाता है। अतिरिक्त कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड तथा क्लोरो-फ्लोरो कार्बन भी जनित होती है। जो वायुमंडल व ओजोन परक के लिए नुकसानदायक होता है।

ई-कचरा के प्रकार में शामिल ये वस्तुएं

ई-कचरा के प्रकार में शामिल ¨प्रटेड सर्किट बोर्ड, मदर बोर्ड, कैफोड ट्यूब, स्वीच फ्लैक स्क्रीन मानिटर, कम्प्यूटर बैट्री, केबल इंसूलेशन को¨टग, प्लास्टिक हाउ¨सग, मोबाइल टेलीफोन्स, पर्सनल कम्प्यूटर्स, कैमरा, टेलीवीजन, एलसीडी, रेफ्रीजरेटर, आईटी एसोसीरिज सहित अन्य वस्तु होते हैं।

कबाड़खानों में देखा जा सकता ई-कचरा का ढेर

ई-कचरा का भंडारण किया जाना कानून अपराध माना गया है। शहर के कूड़ा-कचरा से निकालकर लाए गए ई-कचड़ा स्थानीय काबाड़खाना में बेच दिया जाता है। कबाड़खाना में बड़े पैमाने पर ई-कचरा का ढेर देखा जा सकता है। जानकारों के अनुसार ई-कचरा जलाने वाले बच्चों के परिवार के मुखिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। ई-कचरा का निस्तारण के संदर्भ में कई विधि बताए गए हैं। जिसमें सुरक्षित विधि से ई-कचड़ा को भूमि में जलाना, एसिड के द्वारा मैटल की रिकवरी आदि शामिल है।

कचरे की ढेर से हो रही परेशानी

शहरी क्षेत्र के चौक-चौराहों से कचरे का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। स्थानीय खादी भंडार जाने वाली सड़क सहित शहर के विभिन्न हिस्सों में जगह-जगह कचड़े का ढेर देखा जा रहा है। इससे आमलोगों को पैदल आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है। मालूम हो कि पिछलें दिनों हुई वारिश से जलजमाव के दौरान कैनालों की सफाई कर कचरा को सड़क पर छोड़ दिया गया था। कई जगहों पर कचरों का ढेर सड़क पर पड़ा है। इसकी सफाई की गति धीमी देखी जा रही है।

'नगर परिषद क्षेत्र में कचरा निस्तारण के प्रावधान को लागू करने के दिशा में विभागीय स्तर पर प्रयास चल रहा है। शहरी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कचरा सरेआम फेंकने वालों को चिन्हित कर विधि के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।'

- जटाशंकर झा, कार्यपालक पदाधिकारी, नप

'ई-कचरा के अलावा जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण का बढ़ता प्रकोप पर काबू के लिए विभागीय स्तर पर ठोस प्रयास की जरुरत है। इसके लिए लोगों को भी जागरुक रहना चाहिए।'

- डौली सर्राफ

'प्रतिबंध के बाद भी पालिथीन के प्रयोग से प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है। मरे हुए पशुओं को यत्र-तत्र फेंक देने के कारण इसकी बदबू पर्यावरण को दूषित करता है।'

- ललन किशोर झा

'यहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कायार्लय नहीं होने से जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप पर रोक की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया जा रहा है।'

- गणेश यादव

'सुन्दर व स्वच्छ शहर का नारा यहां खोखला साबित हो रहा है। कूड़ा-कर्कट, जाम नाले तथा राज, वाट्सन, ¨कग्स, कैनालों की बदबू प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है।'

- रंधीर झा

'तेज हार्न तथा धुआं उगलने वाले वाहनों के कारण शहरी क्षेत्र में प्रदूषण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वाहनों का तेज हार्न दुघर्टना को बढ़ावा दे रहा है।'

- अशोक कुमार

'शहर के तालाबों का जल दूषित होने से जल प्रदूषण का संकट बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषित तालाबों में स्नान से चर्म रोग सहित अन्य बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है।'

- मनोज कुमार

'मांगलिक कार्यों के मौके पर धमाकेदार बम-पटाखों की आवाज से बुजुर्ग की परेशानी बढ़ाने लगती है। छोटे-छोटे बच्चे पटाखों की आवाज पर चौंक कर रोने लगते हैं।'

- रविशंकर पूर्वे

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