छह माह पर बदल जाता है दियारा के लोगों का ठिकाना

मधेपुरा। कोसी के दियारा के इलाकों में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। यहां रहने वाले ल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 01:36 AM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 01:36 AM (IST)
छह माह पर बदल जाता है दियारा के लोगों का ठिकाना
छह माह पर बदल जाता है दियारा के लोगों का ठिकाना

मधेपुरा। कोसी के दियारा के इलाकों में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। यहां रहने वाले लोगों का स्थायी ठिकाना हर वर्ष पांच से छह माह के लिए बाढ़ आने के साथ ही बदल जाता है। खासकर जिले के आलमनगर और चौसा प्रखंड के दियारा इलाकों के लोगों अंतहीन दास्तान है। बाढ़ की समस्या से जूझने वाले यहां के लोगों के समस्याओं के निदान की दिशा में आज तक किसी राजनेता ने पहल नहीं की। इस बात मलाल यहां के लोगों में दिख रहा है। इस लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों इस बात को लेकर चर्चा कर रहें है। वे लोग चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से इसका जबाव भी मांग रहें हैं। दियारा के लोगों ने बताया कि उनलोगों की समस्याओं की अनकही दस्तान है। मई माह के बाद यहां के लोगों को बाढ़ का भय सताने लगता है। बाढ़ के कारण पांच से माह के लिए जहां लोग बेघर हो जाते हैं। वहीं अप्रैल और मई माह में यहां चलने वाली धूल भरी आंधी से लोग परेशान रहते हैं। यहां आने जाने के लिए न तो कोई सड़क है,और नदी पर न ही कोई पुल है। दियारा में आने जाने का सुगम साधन नहीं रहने के वजह से यह इलाका अपराधियों के लिए शेफ जोन बना हुआ है। दियारा में अपराधी जहां समानांतर सत्ता स्थापित किए हुए हैं।

दियारा के किसानों को देना पड़ता है अघोषित टैक्स

जिले के चौसा व आलमनगर प्रखंड के आठ पंचायत के लोग बाढ़ के दौरान बेघर हो जाते हैं। यह समस्या यहां के लोगों के लिए विकराल बनी हुई है। लेकिन यहां के राजनेताओं के द्वारा आज तक इस समस्या के स्थायी निदान के लिए कोई पहल नहीं की गई। आलमनगर व चौसा के दियारा इलाके में करीब से 40 से 50 हजार की आबादी निवास करती है। लेकिन यहां के लोगों अभी तक बुनियादी सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाई। यहां निवास करने वाले अधिकांश किसान बाढ़ के कारण अपने खेत सिर्फ मक्के की एक फसल लगा पाते हैं। लेकिन कोसी के इस दुर्गम इलाके में रहने वाले किसानों अपने ही मक्के की फसल को काटने के लिए अपराधियों को लेवी तक देनी पड़ती है।

बाढ़ और अपराधी के खौफ में जीते हैं दियारा के लोग

जिले चौसा व आलमनगर प्रखंड में आठ पंचायत में करीब पचास हजार की आबादी निवास करती है। आलमनगर के गंगापुर, खापुर,रतवाड़ा पंचायत पूरी तरह से दियारा के इलाके में शामिल है। इसमें अधिक प्रभावित होने वाले गांव खापुर, कपसिया, ललिया, हरजोड़ा घाट, नारायणपुर बासा, लुटना आदि शामिल है। यहां के लोगों ने बताया कि विकास की बात कौन करे यहां चुनाव के बाद कोई हमारा हाल जानने भी नहीं आता है। रतवारा के कई इलाकों में जाने के लिए सड़क तक नहीं है। यहां के सुखारघाट गांव के विनोद राम,पवन राम,अजय राम ने बताया इस दियारा के इलाके में सरकार का कोई अफसर या राजनेता कभी हमारी खोज खबर लेने नहीं है। बाढ़ के समय में हम लोगों का सहारा सिर्फ नाव ही बचता है। वहीं चौसा प्रखंड का फुलौत पूर्वी, फुलौत पश्चिमी,लौआलगान पूर्वी, लौआलगान पश्चिमी, चिरौड़ी, मोरसंडा पंचायत का अधिकांश गांव दियारा के इलाके में हैं। यहां के लोगों को जहां बाढ़ का खौफ सताता है। अपराधियों का खौफ भी यहां के लोगों की नियति बन चुकी है। इन पंचातयतों के करोलिया बासा, झंडापुर बासा, बड़ीखाल, महैल बहियार, पचरासी दियारा सहित दर्जनों गांव में लोग सरकार व राजनेता की उपेक्षा का दंश झेलने को मजबूर हैं।

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