सरकार ने स्कूल दिया न रोड फिर से मांगने आ गई वोट

लखीसराय । सरकार ने स्कूल दिया न रोड फिर से मांगने आ गई वोट। सात दशकों में लोकतंत्र के

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 09:17 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:06 AM (IST)
सरकार ने स्कूल दिया न रोड फिर से मांगने आ गई वोट
सरकार ने स्कूल दिया न रोड फिर से मांगने आ गई वोट

लखीसराय । सरकार ने स्कूल दिया न रोड फिर से मांगने आ गई वोट। सात दशकों में लोकतंत्र के सशक्त होने का दावा कर रहे नीति नियंताओं को आज भी अनुसूचित जनजाति गांव नया टोला बकुरा गांव मुंह चिढ़ा रहा है। वहां रह रहे लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में भी अपनी नियति को दोष दे रहे हैं। पूर्व के जिलाधिकारी सुनील कुमार ने गांव के ग्रामीण बीते दो साल पूर्व नक्सलियों के गढ से बाहर मैदानी भू-भागों में ग्रामीणों को बसाने का काम किया है। जंगली-पहाड़ी इलाके में रहने के बावजूद 1962 से इस गांव के लोग हर चुनाव में वोट डालते रहे हैं। पिछले 58 वर्षों में सूर्यगढा विधानसभा क्षेत्र के 14 चुनावों में अभी तक आठ लोग विधायक चुने गए, लेकिन अभी तक अनुसूचित जनजाति गांव की किस्मत नहीं बदली। अनुसूचित जनजाति से प्रेम का प्रदर्शन करने वाली राजनीतिक पार्टियां व उनके चुने गए विधायकों ने भी इस बस्ती की सुध कभी नहीं ली। यहां सरकारी व्यवस्था कितनी पंगु है, इसकी कई मिसाल यहां देखने को मिलती हैं। सूर्यगढा प्रखंड क्षेत्र के बुधौली बनकर पंचायत का यह नया टोला बकुरा अब तक मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाया है। अनुसूचित जनजाति के लिए संचालित योजनाओं से यहां के ग्रामीण अनभिज्ञ हैं। गांव में एक कुआं व दो चापाकल है जो पेयजल का एकमात्र स्त्रोत है। गर्मी के दिनों में कुआं सूख जाने पर जिला प्रशासन द्वारा पीएचईडी विभाग से टैंकर से पानी भेजा जाता है। अन्यथा जंगली झरने, पइन, नालों का पानी छानकर ग्रामीण पीने को विवश हैं। अनुसूचित जनजाति वाले 40-50 घरों के इस टोले की आबादी चार सौ से अधिक है। लकड़ी व दातून बेचना एवं पत्तल बनाना यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है। गांव में अभी तक पक्की सड़क नहीं बनी है। गांव के लोग कटीली पगडंडी से होकर ही पंचायत व प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचते हैं। टोले में चौंकाने वाली बात यह दिखी कि तीन वर्ष बीतने को है लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना से एक भी मकान नहीं बना हुआ है। सभी के सभी झोपड़ी पर प्लास्टिक की चादर डालकर ग्रामीण रहने को विवश हैं। इस गांव में अब तक शिक्षा ग्रहण करने के लिए एक भी विद्यालय की स्थापना नहीं की गई है। ग्रामीण सिकंदर कोड़ा, हरखोरी कोड़ा, पवन कोड़ा, पार्वती देवी, मेरखी देवी, सामा देवी आदि कहते हैं कि विधानसभा चुनाव सामने आ गया है। यहां के नेताओं ने स्कूल दिया न रोड फिर मांगने आ गए वोट।

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