पिता का मार्गदर्शन नहीं मिलने का गम
लखीसराय। मेरे पिता रामाश्रय ¨सह रेलवे में कर्मचारी थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वे लगातार समाज
लखीसराय। मेरे पिता रामाश्रय ¨सह रेलवे में कर्मचारी थे। सेवानिवृत्त होने के बाद वे लगातार समाज सेवा से जुड़े रहे। 28 मार्च 2012 को वह अचानक परिवार को छोड़कर इस दुनिया से चले गए। इसके बाद तो जैसे जीवन में अंधेरा छा गया। उनकी कमी और अकेलापन का अहसास बार-बार होता है। दो भाई एवं तीन बहन में सबसे छोटा रहने के कारण पिता जी का सबसे अधिक प्यार मुझे ही मिला। हमलोग मूल रूप से सूर्यगढ़ा प्रखंड के मानो गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में लखीसराय में रहकर सुमित्रा कॉम्पलेक्स में च्वाइस बुक सेंटर का संचालन कर रहा हूं। पिता जी जब तक रहे भाई-बहनों को मेहनत एवं ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा देते रहते थे। उनका कहना था कि मेहनत एवं ईमानदारी से किया गया कार्य कभी बेकार नहीं जाता है। आज उनका मार्गदर्शन नहीं मिलने का गम है। लेकिन जीवन की सफलताएं उन्हीं की प्रेरणा से मिल रही है। पितृपक्ष पर श्रद्धेय पिता जी को भावभीनी श्रद्धांजलि एवं नमन।
बबलू कुमार, गांव मानो, लखीसराय।