'समाजी बनिए, समाज बदलिए'

खगड़िया। 'शराब पीकर जाओगे, घर नहीं पहुंच पाओगे,' व 'शराब बंद, बिहार हर्षित' के नारे से शनिवार को एनएच

By Edited By: Publish:Sat, 21 Jan 2017 08:39 PM (IST) Updated:Sat, 21 Jan 2017 08:39 PM (IST)
'समाजी बनिए, समाज बदलिए'
'समाजी बनिए, समाज बदलिए'

खगड़िया। 'शराब पीकर जाओगे, घर नहीं पहुंच पाओगे,' व 'शराब बंद, बिहार हर्षित' के नारे से शनिवार को एनएच-31 गूंजायमान होते रहा। मौके पर मानव श्रृंखला में हर आयु वर्ग के लोग शामिल दिखे। एनएच-31 बूढ़ी गंडक पुल पर एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले बापू मध्य विद्यालय के छात्र-छात्रा मानव श्रृंखला की सफलता के गवाह बने। यहां मौजूद विद्यालय के शिक्षक व प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा, मानव श्रृंखला निर्माण से न केवल मद्य निषेध के पक्ष में संदेश गया है, बल्कि वर्गभेद, जातिभेद भी मिटा है। सामाजिक समरसता की राह में यह मिल का पत्थर साबित हुआ है। विश्व की पहली इतनी बड़ी मानव श्रृंखला है। हमें बिहारी होने का गौरव है।

इस विद्यालय के ही सहायक शिक्षक रिपुंजय निराला ने बताया कि, जनहित में यह बड़ा कदम है। इस मानव श्रृंखला को सबदिन याद रखा जाएगा। यहां मानव श्रृंखला में शामिल वर्ग पांच की छात्रा सोनम कुमारी ने कहा, किसी को शराब नहीं पीना चाहिए। सोनम के पास मौजूद वर्ग छह की छात्रा रजिया खातून ने कहा, मानव श्रृंखला से बिहार का गौरव बढ़ा है।

एनएच-31 पर ही सोनवर्षा ढाला के पास मानव श्रृंखला में शामिल एसएन उच्च विद्यालय, सोनवर्षा, रहीमपुर के वर्ग नवम की छात्रा श्वेता कुमारी का कहना हुआ कि, शराबबंदी बहुत अच्छा कदम है। बीड़ी-सिगरेट, गुटखा भी बंद हो। जबकि वर्ग नवम के ही साक्षी कुमारी ने कहा, शराब मुक्त बिहार से ही सूबे का विकास होगा। वहीं शिक्षिका अनिता कुमारी ने कहा, अब महिलाएं टेंशन से दूर रहती है। शराबबंदी एतिहासिक कदम है। लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी है। वहीं बेगूसराय-खगड़िया की सीमा पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्लचंद्र घोष जोर-जोर से नारे लगाते मिले- 'समाजी बनिए, समाज बदलिए।' प्रफुल्लचंद्र घोष ने कहा, सामाजिक जागरूकता से ही समाज बदलेगा।

कोट

'सामाजिक समरसता की राह में यह मिल का पत्थर साबित हुआ है। विश्व की पहली इतनी बड़ी मानव श्रृंखला है। हमें बिहारी होने का गौरव है'

-मनोज कुमार, शिक्षक

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