बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय..

संसू., कजरा (लखीसराय) : जाको राखे साइयां मार सके न कोई, बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय। अपनी आयु

By Edited By: Publish:Sat, 20 Dec 2014 06:28 PM (IST) Updated:Sat, 20 Dec 2014 06:28 PM (IST)
बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय..

संसू., कजरा (लखीसराय) : जाको राखे साइयां मार सके न कोई, बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय। अपनी आयु का मात्र छह माह पूरा किए एक मासूम बच्चा अपनी मां की लाश के साथ बहियार में पूरी रात कंपकपाती ठंड में पड़ा रहा। इसे भगवान की दुआ ही कहें कि दूधमुंहा बच्चे की चिख शनिवार की सुबह लोगों ने सुनी। इसके बाद बच्चे का इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया वहीं उसकी मां का शव पुलिस थाना ले आई। घटना स्थल लखीसराय जिले के पीरी बाजार थाना क्षेत्र के चौकड़ा बहियार है जहां घोसैठ मुसहरी के रुदल सदा की लगभग 30 वर्षीय पत्‍‌नी मुंगिया देवी की लाश के साथ उसका छह माह का पुत्र बरामद हुआ। बताया जाता है कि शुक्रवार की देर शाम महिला अपने ससुराल घोसैठ मुसहरी से मायके चौकड़ा मुसहरी के लिए निकली। बीच रास्ते में किसी ने धारदार हथियार से माथे व शरीर के कई हिस्से को गोदकर उसकी हत्या कर दी। वहीं मासूम बच्चा पूरी रात अपनी मां के शव के साथ पड़ा रहा। धुंध अंधेरी रात व कड़कड़ाती ठंड में बच्चे का सुरक्षित बचना भगवान की दुआ ही कहेंगे। शनिवार की सुबह जब लोग शौच को गए तो बच्चे की रोने की आवाज सुन उसकी मां की लाश तक पहुंचे और घटना की सूचना पीरी बाजार थाना पुलिस को दी। थानाध्यक्ष आशुतोष झा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लाश व उस अभागे मासूम को थाना ले आए तथा शिनाख्त के बाद उनके परिजनों को खबर किया। मृतका की गोतनी खुशबू देवी की मानें तो मुंगिया देवी अपने पति रूदल सदा के साथ बेगूसराय जिले के कुरहा स्थित ईट भट्ठा पर मजदूरी करती थी। पति वहीं है जबकि मुंगिया दो दिन पूर्व ही ही अपने ससुराल आई थी। शायद अपने मायके चौकड़ा मुसहरी जाने के क्रम में उसके साथ किसी ने घटना को अंजाम दिया। थानाध्यक्ष श्री झा ने सबसे पहले बच्चे को लोशघानी के एक सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी कुमार को सुपुर्द कर इलाज हेतु घोसैठ स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा। बाद में वहां उक्त मासूम की चाची और अन्य परिजन भी पहुंचे। उधर थानाध्यक्ष ने कानूनी औपचारिकता पूरी करने के बाद महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए मुंगेर भेज दिया। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र घोसैठ में डॉ. धीरेन्द्र कुमार की देखरेख में इलाज बच्चे का इलाज किया जा रहा है। डॉ. कुमार की मानें तो जो रात भर इस ठंड में खुले बहियार में तंग कपड़ों में जिंदा रहा उसके आगे जीने की भी पूरी संभावना है। अस्पताल में बच्चा इस बात से बेखबर अपनी चाची के सीने से चिपका रहा। उसे क्या पता कि अब उसकी मां की गोद अब उसे नसीब नहीं।

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