2.25 करोड़ की लागत से किया जा रहा है रेलवे ट्रैक को सुरक्षित

खगड़िया। रेलवे ट्रैक को नदियों एवं जल जमाव से पूरी तरह सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 07:55 PM (IST) Updated:Fri, 22 Feb 2019 07:55 PM (IST)
2.25 करोड़ की लागत से किया जा रहा है रेलवे ट्रैक को सुरक्षित
2.25 करोड़ की लागत से किया जा रहा है रेलवे ट्रैक को सुरक्षित

खगड़िया। रेलवे ट्रैक को नदियों एवं जल जमाव से पूरी तरह सुरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। रेलवे के द्वारा 2.25 करोड़ की राशि से खगड़िया से उमेशनगर के बीच पुल संख्या-16 (बूढ़ी गंडक नदी पर बने रेल पुल) तक रेलवे ट्रैक के किनारे का चौड़ीकरण, बोल्डर पी¨चग एवं ट्रैक किनारे को नदी के कटाव से सुरक्षित रखने के लिए उप किनारा (सब बैक) का निर्माण कार्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि खगड़िया से उमेशनगर तक बूढ़ी गंडक नदी पांच सौ से एक हजार मीटर की दूरी पर मुख्य धारा में प्रवाहित होती

है। जिसके कारण बाढ़ के समय नदी का पानी ट्रैक के किनारे तक पहुंच जाता है। बाढ़ का पानी ट्रैक के बगल में अधिक समय तक रहने से मिट्टी हल्की हो जाती है। वहीं तेज हवा से उठने वाले ढेह से किनारा के क्षतिग्रस्त होने की प्रबल संभावना बनी रहती है। रेलवे सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ के समय उक्त क्षेत्र में ट्रेनों का परिचालन कौशन पर रखा जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार खगड़िया-उमेशनगर के बीच ट्रैक की चौड़ाई कम रहने व घुमावदार रास्ता रहने के कारण ट्रेनों के परिचालन की गति सीमा एक सौ किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि ट्रैक के गोलाई को चौड़ा करने से लाइन को सीधा किया जा सकेगा। जिससे ट्रेनों के परिचालन की गति सीमा एक सौ किलोमीटर से बढ़कर एक सौ दस किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार रेलवे ट्रैक की चौड़ाई बढ़ाने एवं स्लोप बनाने के बाद उस पर बोल्डर पी¨चग किया जा रहा है। वहीं स्लोप के किनारा को सुरक्षित रखने के लिए सब बैक (उप किनारा) का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें जरूरत के अनुसार जमीन से तीन से पांच फीट या उससे भी अधिक ऊंचाई एवं तीन मीटर लगभग साढ़े दस फीट चौड़ा मिट्टी दिया जा रहा है। ताकि किसी भी परिस्थिति में ट्रैक बाढ़ के पानी से प्रभावित नहीं हो। सीनियर डीसीएम सोनपुर अखिलेश पांडे ने खगड़िया से बूढ़ी गंडक पुल तक ट्रैक के मजबूतीकरण का कार्य होने की पुष्टि करते हुए बताया कि इससे बाढ़ के समय भी ट्रेनों का परिचालन सुरक्षित व सुचारु रहेगा। वहीं ट्रेनों की गति सीमा बढ़ने से यात्रियों को लाभ मिलेगा।

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