मधुमक्खी पालन की नई तकनीक से अवगत हो रहे हैं किसान

कटिहार। जिला आत्मा द्वारा ई-किसान भवन के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 05:22 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 05:22 PM (IST)
मधुमक्खी पालन की नई तकनीक 
से अवगत हो रहे हैं किसान
मधुमक्खी पालन की नई तकनीक से अवगत हो रहे हैं किसान

कटिहार। जिला आत्मा द्वारा ई-किसान भवन के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन गुरुवार को इससे जुड़ी नवीन तकनीक की जानकारी दी गई। साथ ही इससे होने वाले लाभ के बारे में भी बताया गया। जिला आत्मा के परियोजना निदेशक जितेन्द्र कुमार ने किसानों को मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण से होने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को शत प्रतिशत सरकार की योजना का लाभ दिया जाता है। मधु से कई प्रकार की सामग्री व दवा भी बनाई जाती है। आत्मा के निदेशक ने कहा कि इस प्रशिक्षण में जिले के पांच प्रखंड हसनगंज, कटिहार सदर,अहमदाबाद डंडखोरा व बरारी प्रखंड के 45 किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी कमलेश्वरी प्रसाद सिंह ने किसानों को बताया कि ईटालियन मधुमक्खी से 40 से 50 किलो प्रति बक्सा शहद का उत्पादन होता है। विज्ञानी रमेश चंद्र उपाध्याय ने शहद निकालने की विधि एवं इसके प्रोसेंसिग के बारे मे विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। देसी मधुमक्ºी से मात्र 15 से 20 किलो शहद की पैदावार मात्र होती है। मधुमक्खी से तीन माह में शहद तैयार हो जाती है। मधुमक्खी से ही 80 प्रतिशत फूल का परागण होता है। इस कारण फसल के पैदावार में भी लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि होती है। कृषि विज्ञानी श्रीसिंह ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक प्रकार का घरेलू उद्योग है। हर श्रेणी के लोग इससे जुड़ सकते हैं। बिहार में औसतन एक वर्ष मे एक बक्से से 50 से 60 किलो शहद का उत्पादन होता है, जो राष्ट्रीय औसत से 30 किलो्ग्राम अधिक है। इस मौके पर जिला पौध संरक्षण निरीक्षक अनिल कुमार कुमार ,सहायक तकनीकी प्रबंधक अमरदीप अअ,प्रकाश रजक ,मनोज यादव, मनीष यादव,ललीता देवी,आरती देवी, ममता देवी सहित कई ट्रेनर व किसान मौजूद थे।

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