तंत्र के गण -- दिव्यांगों के अधिकारों के लिए समर्पित हैं रमाणी

खास बातें.. - दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर करते रहे हैं संघर्ष - अधिका

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 12:14 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 12:14 AM (IST)
तंत्र के गण -- दिव्यांगों के अधिकारों के लिए समर्पित हैं रमाणी
तंत्र के गण -- दिव्यांगों के अधिकारों के लिए समर्पित हैं रमाणी

खास बातें..

- दिव्यांगों को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर करते रहे हैं संघर्ष

- अधिकारों के साथ स्वरोजगार से जोड़ने के लिए करते हैं प्रेरित

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जासं, कटिहार : शहर के विनोदपुर निवासी शिवशंकर रमाणी दिव्यांगों के हक को लेकर लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। दिव्यांगों के अधिकारों के साथ ही उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वे निरंतर पहल करते हैं। उनके प्रयास से कई दिव्यांगों के जीवन में रोशनी फैली है। कई उपेक्षित दिव्यांगों को समाज में समान अधिकार दिलाने को लेकर भी वे प्रयासरत रहे हैं। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके पर दिव्यांग जोड़ों का सामुहिक विवाह भी पिछले एक दशक से कराते आ रहे हैं।

दिव्यांग विधवा वृद्ध कल्याण समिति के माध्यम से वे निरंतर दिव्यांगों के हित के लिए आवाज उठाते रहे हैं। दिव्यांगों को प्रमाणिकता प्रमाण पत्र की जरुरत हो या इलाज सहित अन्य जरुरत हर मोर्चे पर वे सदैव तत्पर दिखते हैं। दिव्यांगों के पुनर्वास को लेकर उनकी पहल को लेकर उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

स्वरोजगार को लेकर भी करते हैं प्रशिक्षित :

विभिन्न संस्था के माध्यम से दिव्यांगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए वे पहल करते रहे हैं। इसको लेकर समय समय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन कर दिव्यांगों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने को लेकर ऋण एवं काम दिलाने को लेकर भी वे प्रयास करते हैं। उनके प्रयास से सैकड़ों दिव्यांग समाज की मुख्यधारा से जुड़कर बेहतर जीवन व्यतित कर रहे हैं।

सामाजिक कार्यों में भी रहती है सहभागिता :

पर्यावरण संरक्षण हो या स्वच्छता अभियान या समाजिक कुरीतियों के विरूद्ध लगने वाली मानव श्रृंखला हर मोर्चे पर उनके साथ दिव्यांगों की टोली खड़ी रहती है। इसके साथ ही शहर को स्वच्छ रखने, पॉलिथिन के उपयोग पर रोक लगाने, शौचालय निर्माण, पौधरोपण सहित अन्य सामाजिक कार्यों को लेकर निरंतर उनका अभियान चलता है। वे बताते हैं दिव्यांगों को उनका हक दिलाना ही उनके जीवन का मकसद बन चुका है।

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