जल संरक्षण की नसीहत देने वाले जल की कर रहे बर्बादी

कैमूर । अप्रैल माह के शुरूआती दौर से ही गर्मी की भयावहता ने आम लोगों को परेशान कर रख्

By Edited By: Publish:Wed, 27 Apr 2016 03:03 AM (IST) Updated:Wed, 27 Apr 2016 03:03 AM (IST)
जल संरक्षण की नसीहत देने वाले जल की कर रहे बर्बादी

कैमूर । अप्रैल माह के शुरूआती दौर से ही गर्मी की भयावहता ने आम लोगों को परेशान कर रखा है। भीषण गर्मी के साथ - साथ जल संकट इस वर्ष लोगों के समक्ष मुसीबत बना हुआ है। जिले के 11 प्रखंडों में जल संकट से हाहाकार मचा हुआ है। जिला मुख्यालय के विकास भवन की ही बात करे तो पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगायी गयी मशीन ने जबाब दे दिया। इससे विकास भवन में काम कर रहे कर्मियों को भी पानी के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है। वहीं शिक्षा विभाग के कर्मियों ने बताया कि कार्यालय परिसर में पेयजल के लिए कोई चापाकल लगा है और न हीं कोई व्यवस्था की गई है। जिले के अधौरा, चैनपुर, चांद, रामपुर आदि पहाड़ी इलाकों के गांवों में तो स्थिति यह हो गई है कि पांच - पांच किमी दूर जाने के बाद भी एक बाल्टी पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में दूसरों को जल संरक्षण का पाठ पढ़ाने वाले स्वयं जल की बर्बादी करेंगे तो औरों पर कितना भरोसा किया जाय। हाल नगर के सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय का है। यहां पानी के लिए पर्याप्त सुविधा है। कालेज परिसर में दो चापाकल है। पानी की भरपूर उपलब्धता के लिए पानी टंकी भी कालेज प्रबंधन के तरफ से लगायी गई है। लेकिन इस टंकी से पानी की सप्लाई जिस पाईप व नल से होती है वह टूट चुके हैं। इससे यहां प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। अनुमान लगाया जाय तो ऐसे कई स्थान होंगे जहां पानी की बर्बादी फिजूल होती होगी। लोग जागरूक हो जाय तो इस फिजूल बह रहे पानी को बचाने से कम से कम दो गांवों के लोग एक दिन पानी का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन अफसोस कि भीषण गर्मी में पेयजल संकट से वाकिफ दूसरों को जल संरक्षण का पाठ पढ़ाने वाले खुद अपने संस्थान में जल की बर्बादी को नंगी आंखों से देख रहे हैं। हालांकि इस बात की जानकारी होने पर कालेज के प्राचार्य डा. एसएन लाल ने तुरंत टोंटी को बदल कर पानी की बर्बादी को रोकने का भरोसा दिलाया।

chat bot
आपका साथी