अपनी कला की बदौलत देश-विदेश में छाए फिरंगी

आदतें तो नहीं लेकिन शोहरत नाम को बखूबी चरितार्थ कर रही। आज देश-दुनिया के शिल्पकारों में फिरंगी लाल की तूती बोल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Sep 2019 10:57 PM (IST) Updated:Thu, 26 Sep 2019 06:34 AM (IST)
अपनी कला की बदौलत देश-विदेश में छाए फिरंगी
अपनी कला की बदौलत देश-विदेश में छाए फिरंगी

दिलीप कुमार मिश्र, भभुआ:

आदतें तो नहीं, लेकिन शोहरत नाम को बखूबी चरितार्थ कर रही। आज देश-दुनिया के शिल्पकारों में फिरंगी लाल की तूती बोल रही है। कैमूर जिला में चांद प्रखंड के केसरी गांव में फिरंगी लाल का आशियाना है। शिल्प की दुनिया में कदम डगमगाते हुए आए थे, लेकिन आज वे अंगद के पांव सरीखे हो गए हैं। भभुआ समाहरणालय में स्थापित हाथी उनकी कला का अद्भुत नमूना है। एक हाथी के पेट में दूसरा और दूसरे के पेट में तीसरा हाथी। पटना के उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान में उनके छेनी-हथौड़े की गूंज कला का सरगम सुना रही है। प्रशिक्षणार्थी अपने हाथों में उनकी अंगुलियां तराश लेने के लिए व्याकुल होते हैं कि यह कलाकार निर्जीव पत्थर से कैसे बोलता हुआ बुत बना देता है। फिलहाल अपने शिष्यों को कला की बारीकियां सिखाते हुए फिरंगी लाल बताते हैं कि मेरी हसरत है कि नई पीढ़ी भी अपना वजूद कायम करे। फिरंगी ने बताया कि उन्होंने सन् 1989 में वाराणसी से संगतराशी की शुरुआत की। रामनगर उनकी कला की आधार भूमि है। वहां पर हाथी बनाने का काम देखने के लिए कैमूर के तत्कालीन जिलाधिकारी मसूद हसन और एसडीएम अनुरूप प्रसाद पहुंचे। समाहरणालय में हाथी बनाने का काम तत्कालीन जिलाधिकारी अर्निश चावला ने दिया था, लेकिन उसी दौरान उनका स्थानांतरण हो गया। हालांकि तब तक उन्होंने काम की शुरुआत कर दी थी। अभी वहां जो हाथी स्थापित है, उसका वजन तकरीबन चार क्विंटल है। वह दस क्विंटल के पत्थर को काटकर बनाया गया है। सन् 2000 में उसका निर्माण कार्य पूरा हुआ और तब तक जिलाधिकारी मिहिर कुमार सिंह ने उसका उद्घाटन किया था। मारीशस से लेकर चीन तक धूम: चंचल चचंल कुमार वर्ष 1997 में कैमूर के जिलाधिकारी रहे थे। फिरंगी ने उनको हाथी की एक प्रतिमा भेंट की थी। उद्योग विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला के दौरान वैसी ही एक प्रतिमा उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उपहार स्वरूप दी। मारीशस की यात्रा पर नीतीश कुमार उस प्रतिमा को भी ले गए। वहां के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि हाथी के पेट में कलाकार हाथी कैसे रख दिया! सन् 2008 में चीन की राजधानी वीजिंग में कई देशों के कलाकार जुटे थे। भारत के सभी राज्यों से चार-चार कलाकार गए हुए थे, जिनका प्रतिनिधित्व फिरंगी कर रहे थे। उनका हुनर देख वहां तमाम कलाकार दंग रहे गए। उन्हें पुरस्कृत किया गया। सन् 2018 में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मल्लिक भी पुरस्कृत कर चुके हैं।

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किसी कलाकार के लिए सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं। मैं सौभाग्यशाली हूं कि शिल्प की दुनिया में मेरी कद्र है। मेरी इच्छा है कि कैमूर जिला में एक प्रशिक्षण केंद्र हो, जहां मैं इच्छुक बच्चों को शिल्पकला की जानकारी दे सकूं। उन्हें प्रशिक्षित कर सकूं।

- फिरंगी लाल, शिल्पकार

................ फिरंगी से एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी। उनकी कलाकारी वाकई कमाल की है। जिले में प्रशिक्षण के लिए एक स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। इससे उनकी शिल्प कला के बारे में युवा व अन्य लोग अवगत हो सकेंगे।

- डॉ. नवल किशोर चौधरी, जिलाधिकारी, कैमूर

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