बदहाल है नक्सलप्रभावित इलाके की दर्जन भर सड़कें
जमुई। प्रखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई गई तकरीबन दर्जन भर सड़कें बदहाल हो चुकी है।
जमुई। प्रखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई गई तकरीबन दर्जन भर सड़कें बदहाल हो चुकी है। इन सड़कों का निर्माण पूरा हुए अभी चार वर्ष भी नहीं हुए। वहीं दूसरी ओर दस पंचायतों की एक बड़ी आबादी का लाइफ लाइन मानी जाने वाली सोनो- चरकापत्थर मुख्य सड़क अपनी बदहाली पर आठ-आठ आंसू बहाने को विवश हैं। चरकापत्थर स्थित छठी वाहिनी सी कंपनी, महेश्वरी स्थित सीआरपीएफ कैंप व चरकापत्थर थाना तक जाने वाली सड़क विभागीय उदासीनता का शिकार है। अगहरा मोड़ से कैरी तक यह सड़क कई स्थलों पर पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार है जबकि इसी हिस्से की लगभग दो किमी सड़क यहां जीर्ण-शीर्ण स्थिति में है। सड़क पर बने गड्ढे व निकल आए नुकीले पत्थर यहां आए दिन हादसे का सबब बनते रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में विशेष सरकारी आयोजनों के कारण चरकापत्थर सदा सुर्खियों में रहा है। जिलाधिकारी, एसपी सहित जिले के तमाम विभागों के अधिकारियों का उक्त मार्ग से चरकापत्थर आना-जाना होता रहा है। बावजूद इसके सोनो-चरकापत्थर मुख्य सड़क की न तस्वीर बदल पाई है और न ही तकदीर। इस मार्ग से चरकापत्थर जैसे नक्सल क्षेत्र की दस पंचायतें जुड़ी हैं।
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गुहार भी काम नहीं आ रहा
छुछुनरिया, लालीलेवार, रजौन, सारेबाद, महेश्वरी, थम्हन, केशोफरका, नैयाडीह, बाबूडीह, चुरहेत सहित खैरा प्रखंड की आधा दर्जन नक्सल प्रभावित पंचायतों तक पहुंचने का यह महत्वपूर्ण पथ है। पिछले तीन साल में इस क्षेत्र के लोगों ने कई दफे सड़क निर्माण की मांग को लेकर विधायक, सांसद व जिला प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। ताजा हालात यह है कि कैरी मोड़ से चरकापत्थर तक उक्त सड़क पर पैदल चलना भी मुश्किल है। तारकोल की सड़क का रंग अब धूसर हो गया है। कुछ ऐसा ही हाल महेश्वरी सड़क का है। कुहिला गांव होकर गुजरने वाली उक्त सड़क भी अतिक्रमण की चपेट में है। यहां तो सड़क के दोनों किनारे मवेशी बांधे जाते हैं। भेलवा-मोहनपुर, करहरा चौपाल, अगहरा- सारेबाद पथ, करहरी-बंदरमारा पथ, लोहा- सरधोडीह पथ की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है।