जब दुर्गा मां निकली तो शांत हो गया ¨हसक शहर

संवाद सहयोगी, जमुई: शनिवार को दुर्गा पूजा के प्रतिमा विसर्जन जुलूस में रोड़ेबाजी से शुरु हुई ¨हसा अंतत: मंगलवार को तभी शांत हुई जब वीर कुंवर ¨सह दुर्गा पूजा समिति पंडाल से मां दुर्गा की प्रतिमा को निकालकर विसर्जन के लिए ले जाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Oct 2017 08:21 PM (IST) Updated:Tue, 03 Oct 2017 08:21 PM (IST)
जब दुर्गा मां निकली तो शांत हो गया ¨हसक शहर
जब दुर्गा मां निकली तो शांत हो गया ¨हसक शहर

संवाद सहयोगी, जमुई: शनिवार को दुर्गा पूजा के प्रतिमा विसर्जन जुलूस में रोड़ेबाजी से शुरु हुई ¨हसा अंतत: मंगलवार को तभी शांत हुई जब वीर कुंवर ¨सह दुर्गा पूजा समिति पंडाल से मां दुर्गा की प्रतिमा को निकालकर विसर्जन के लिए ले जाया गया। मंगलवार को भी तनाव सुबह से ही कायम था। लगातार ¨हसा प्रति¨हसा, आगजनी और तनाव को रोकने के लिए संघर्ष कर रहे प्रशासन के लिए भी मंगलवार को अग्नि परीक्षा थी क्योंकि जमुई शहर के सबसे प्रसिद्ध पूजा पंडाल से से अभी मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन बाकी था। एहतियात के लिए प्रशासन मां दुर्गा की इस मूíत को हनुमान घाट अथवा पत्नेश्वर पहाड़ के नजदीक किउल नदी में विर्सिजत करने के लिए कह रही थी तो दूसरी तरफ पूजा समिति के लोग तथा मां दुर्गा से आस्था रखने वाले श्रद्धालु इस जिद पर अड़े थे कि इस प्रतिमा का विसर्जन जमुई के बोधवन तालाब में होता आया है। इस कारण विसर्जन की जगह को बदला नहीं जा सकता है। लंबे संघर्ष के बाद कई दौर की वार्ता उतार-चढ़ाव के बाद पुराने मार्ग से बोधवन तालाब में ही प्रतिमा विसर्जन का निर्णय लिया गया। प्रशासनिक कड़ी सुरक्षा में कमिश्नर, डीआईजी, डीएम और एसपी के साथ कई ट्रैक्टर पर मां की दुर्गा की प्रतिमा जैसे ही शहर से निकली जयघोष के साथ जैसे उन्मादित भीड़ और ¨हसक शहर में शांति और सुकून दिखने लगा। ऐसे में लोग कहने लगे कि मां दुर्गा ने अपनी शक्ति दिखा दी और जब वह निकली है तो विसर्जन के जुलूस से शुरु हुआ यह विवाद अब विसर्जन के साथ ही खत्म हो जाएगा।

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