पानी का इंतजाम जंग जीतने के समान

जमुई। शहर की बड़ी आबादी को आज भी गर्मी की आहट होते ही पेयजल की ¨चता सताने लगती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Mar 2017 03:03 AM (IST) Updated:Tue, 21 Mar 2017 03:03 AM (IST)
पानी का इंतजाम जंग जीतने के समान
पानी का इंतजाम जंग जीतने के समान

जमुई। शहर की बड़ी आबादी को आज भी गर्मी की आहट होते ही पेयजल की ¨चता सताने लगती है। खासकर गरीब तबके को जीने के लिए पीने का पानी का इंतजाम किसी जंग जीतने से कम नहीं है। यूं तो सरकारी स्तर पर हर वर्ष पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर कवायद किए जाते हैं लेकिन हलक तर करने से लेकर अन्य जरूरी कार्यों के लिए पानी के लिए चापाकल पर लाइन लगानी पड़ती है। वर्षों पुरानी शहर की पेयजलापूर्ति व्यवस्था ठप हो चुकी है। अब उसके जीर्णोद्धार मे विभाग की कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके पीछे भी कई कारण हैं। विभागीय स्तर पर मुख्यमंत्री के सात निश्चय में से एक हर घर नल का जल देने की योजना के तहत छोटे-छोटे जलापूर्ति योजनाओं को मूर्त रूप देने की तैयारी की जा रही है। हालांकि इस योजना की शुरुआत शहर में अब तक नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि दो वार्ड के 497 घरों में नल का जल पहुंचाने के लिए 24 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। आवंटन में कटौती के बाद निविदा निरस्त किए जाने की बात कही जा रही है। पानी के नाम पर पानी की तरह पैसे बहाने की बात कोई नई है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी चापाकल मरम्मत के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाए जाएंगे। उसका कितना लाभ लोगों को मिल पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल मुख्यमंत्री चापाकल योजना से शहर के विभिन्न इलाके में 60 नए चापाकल लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा जिले भर में पेयजल आपूर्ति योजनाओं की हालत कुछ ठीक नहीं है। सिकन्दरा पेयजलापूर्ति केन्द्र से सिर्फ दो मुहल्ला को पानी मिल रहा है। महलुगढ़, सिमरिया, सोनो, पत्नेश्वर समेत अन्य पेयजलापूर्ति योजनाओं से घर-घर नल का जल पहुंचाने की कवायद की जा रही है। साथ ही हर घर नल का जल योजना के तहत जिले के 100 टोले में शुद्ध पेयजल के लिए जल शोधन यंत्र के साथ पेयजलापूर्ति योजना पर काम किया जा रहा है।

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जमुई में पानी का कारोबार

जमुई : जमुई में पानी के फल-फूल रहे कारोबार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जमुई शहर में एक दर्जन मिनरल वाटर प्लांट सहित जिले भर में तकरीबन 20 प्लांट लगे हैं। हालांकि मानक के अनुरुप खरा उतरने की बात करें तो इक्के-दुक्के प्लांट ही आइएसआइ मार्का का मानक पूरा करते हैं। कुकुरमुत्ते की तरह उग आए मिनरल वाटर प्लांट से 20 लीटर पानी के जार की कीमत 25 रुपये से लेकर 55 रुपये तक वसूल किए जाते हैं। वही हाल एक लीटर बोतल का भी है जो दस रुपये लेकर 20 रुपये तक में बिक रहा है।

ग्रामीण इलाके में खराब पड़े चापाकल का आंकड़ा अब विभाग के पास उपलब्ध नहीं होता है। पंचायतों को मरम्मत की जिम्मेवारी सौंपे जाने के बाद से मरम्मत का कार्य पंचायत स्तर पर किया जाता है।

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सफेद हाथी साबित हो रही जलापूर्ति योजना

जमुई शहर की जलापूर्ति योजना के साथ ही महादेव सिमरिया, मिरजागंज, आढ़ा, अलीगंज, मलयपुर, झाझा, सोनो आदि स्थानों पर जलापूर्ति योजना कई कारणों से ठप है। वहां से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है। लाखों की लागत से निर्मित योजनाएं सफेद हाथी साबित हो रही है। कई जगहों पर हर घर नल का जल योजना के तहत जीर्णोद्धार का कार्य कर शुरू करने की कवायद के तहत लछुआड़ जलापूर्ति योजना को शुरु किया गया जिससे नल का जल योजना का शुभारंभ वार्ड संख्या 10 से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।

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कहते हैं अधिकारी

कार्यपालक अभियंता ¨बदू भूषण कहते हैं कि शहर में पुराने चापाकलों की मरम्मत के साथ 60 नए चापाकल लगाए जा रहे हैं। खराब पड़े जलापूर्ति योजनाओं की मरम्मत का गृह जल संचरण योजना के तहत घर-घर नल लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही चयनित 100 गांव-टोले में घर-घर नल का जल पहुंचाने के लिए बो¨रग का काम शुरू हो चुका है।

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