पशु तस्करी रोक पाने में नाकाम दिख रही पुलिस

गोपालगंज : प्रशासनिक स्तर पर पशुओं की तस्करी रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Sep 2018 09:06 PM (IST) Updated:Mon, 10 Sep 2018 09:06 PM (IST)
पशु तस्करी रोक पाने में नाकाम दिख रही पुलिस
पशु तस्करी रोक पाने में नाकाम दिख रही पुलिस

गोपालगंज : प्रशासनिक स्तर पर पशुओं की तस्करी रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। बावजूद इसके जिले के विभिन्न रास्तों से होकर पशुओं की तस्करी का खेल अब भी जारी है। इसे रोक पाने में जिले की पुलिस अबतक नाकाम ही रही है। आंकड़े बताते हैं कि संबंधित थानों को पशुओं की तस्करी की जानकारी तब होती है जबकि पशुओं को लादे गए वाहन या तो दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं, या कोई व्यक्ति इस बात की सूचना पुलिस तक पहुंचा देता है।

वैसे करीब चार साल पूर्व तत्कालीन डीआइजी ने पुलिस पदाधिकारियों की बैठक में पशु तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया था। इस निर्देश के बाद कुछ थाना क्षेत्रों में पशु तस्करों पर नकेल कसने की कवायद शुरू की गई। कई स्थानों पर सघन जांच का अभियान चला। दर्जनों वाहनों को तस्करी के पशुओं के साथ पकड़ा भी गया। लेकिन समय के साथ इस अभियान की धार कुंद होती चली गई। यहीं कारण रहा कि धीरे-धीरे पशुओं की तस्करी का धंधा फिर तेज हो गया। वर्तमान समय में भी पशु तस्करी का कारोबार जिले में फल फूल रहा है। लेकिन इनके कारोबारियों पर लगाम लगा पाने में पुलिस अबतक सफल नहीं हो सकी है।

इनसेट

एक साल सामने आए 25 से अधिक मामले

गोपालगंज : पुलिस विभाग के आंकड़ों को मानें तो पिछले एक साल में पशु तस्करी के 25 से अधिक मामले पकड़े गए। किसी भी मामले में तस्करी करने वाले सरगना तक पुलिस नहीं पहुंच सकी। हद तो यह कि जिन 25 स्थानों पर तस्करी के पशुओं को बरामद किया गया, उनमें से अधिकांश की बरामदगी तब हुई जब तस्करों के वाहन सड़क किनारे पलट गए। दुर्घटना की सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने गाड़ियों के साथ मवेशियों को जब्त किया।

इनसेट

पकड़े जाने के बाद भी तस्करों तक पहुंच जाते हैं मवेशी

गोपालगंज : तस्करी के शिकार होने वाली गायों और अन्य बेजुबान मवेशियों की जब्ती सूची तैयार की जाती है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद संबंधित मामले की अदालती कार्रवाई के दौरान पशुओं के देखरेख और खाने-पीने के लिए कोई व्यवस्था न होने की वजह से पुलिस उन्हें इच्छुक लोगों को सौंप देती है। इस प्रक्रिया में मवेशी दोबारा तस्करों तक पहुंच जाते हैं। बूढ़ी गायों के अलावा बछड़ों को कोई रखना नहीं चाहता।

इनसेट

पकड़ में नहीं आते सरगना

गोपालगंज : मवेशियों के साथ तस्कर गिरोह के सरगना की गिरफ्तारी काफी कम ही होती है। अभियान में गाड़ी चालक, खलासी या मजदूर ही गिरफ्त में आते हैं। गिरफ्तार लोगों की अपराध में भागीदारी को देखकर ही अदालत उनकी सजा या जुर्माना मुकर्रर करती है। तस्करी के मामले सात साल से कम की सजा है। पशु मालिक के सामने न आने के कारण तस्कर केवल जुर्माना देकर ही बरी हो जाते हैं।

chat bot
आपका साथी