कभी बंदूक के साये में जीने वाले आज दूसरे कि लिए बने प्रेरणास्रोत

कभी खूनी संघषरें में विभिन्न नरसंहारों के गवाह रहे क्षेत्र के लोग आज अपनी विकास की गाथा लिख दूसरे के लिये प्रेरणाश्रोत बन रहे हैं। जिले के अतिसंवेदनशील बेलागंज प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र के लोग कभी बंदूक के साये में जीवन गुजारने को विवश थे लेकिन आज वहा के लोग शाति व भाईचारे के साथ अपनी नई पीढ़ी को संवार रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jan 2020 02:35 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jan 2020 06:12 AM (IST)
कभी बंदूक के साये में जीने वाले आज दूसरे कि लिए बने प्रेरणास्रोत
कभी बंदूक के साये में जीने वाले आज दूसरे कि लिए बने प्रेरणास्रोत

राकेश कुमार, बेलागंज

कभी खूनी संघषरें में विभिन्न नरसंहारों के गवाह रहे क्षेत्र के लोग आज अपनी विकास की गाथा लिख दूसरे के लिये प्रेरणाश्रोत बन रहे हैं। जिले के अतिसंवेदनशील बेलागंज प्रखंड के पश्चिमी क्षेत्र के लोग कभी बंदूक के साये में जीवन गुजारने को विवश थे, लेकिन आज वहा के लोग शाति व भाईचारे के साथ अपनी नई पीढ़ी को संवार रहे हैं। इसके फलस्वरूप इस इलाके के बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा बिखेर क्षेत्र व समाज का नाम रौशन कर रहे हैं। बाबा कारू दास जैसे संत की तपोभूमि, किसान नेता पंडित यदुनंदन शर्मा की कर्मभूमि रहे मोरहर नदी के बीच घनघोर जंगल से घिरे गया-जहानाबाद की सीमा पर अवस्थित इलाके का इतिहास कभी गौरवशाली रहा है। लेकिन अस्सी के दशक के बाद से इस इलाके की पहचान खूनी रंजिश के रूप में होने लगी थी। यह इलाका एक के बाद एक कई नरसंहारों गवाह बना। जातीय हिंसा में लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गये थे। कई प्रतिबंधित निजी सेनाओं की उत्पत्ति हो गयी थी। इसका परिणाम था कि कुछ लोग मौत के साए में जीवन काट रहे थे तो कुछ लोग पुलिस के अभिलेखों में फरार अपराधी घोषित थे। विकास से कोसों दूर रहे इस इलाके में उस दौरान हर ओर एक दहशत का माहौल था।

समय का चक्र बदला और क्षेत्र में विकास की रोशनी पहुंची। लोगों में आपसी भाईचारे की बीज पुन: अंकुरित हुई। इसके बाद लोग गीले-शिकवे को भुला अपनी पीढ़ी को संवारने में जुट गये। इस क्षेत्र के लोग मुख्यधारा से जुड़ अपने जीवन की दूसरी पारी की शुरुआत कर चुके हैं। इस क्षेत्र के बच्चे भी देश की नामचीन प्रतियोगी परीक्षाओं में अपना परचम लहराने लगे। इसी कड़ी में कोरियवा गाव निवासी किसान प्रमोद शर्मा के पुत्र अभिषेक विशाल वर्ष 2017 में यूपीएससी में सफल रहे। आज आईआरटीसी में देश की सेवा कर रहे हैं। अमरसिंह विगहा गाव के नागेंद्र प्रसाद के पुत्र अभय कुमार ने बीपीएससी की 59वीं परीक्षा में सफलता हासिल का आज वाणिज्य कर पदाधिकारी हैं। मनोज़ शर्मा के दो पुत्र आईआईटी में अपना परचम लहरा चुके हैं। इसके अलावे आम जन भी मुख्य धारा से जुड़ अपनी खेती में ऊर्जा को खपा रहे हैं। मेन गाव निवासी मुनचुन शर्मा अपने गाव में ही अपनी बंजर भूमि पर बागवानी कर लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बने हुए हैं।

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