समाज के सभी वर्गो के प्रतिनिधित्व से ही कविता का महत्व

गया। साहित्य महापरिषद ने गया कॉलेज के प्रेमचंद सभागार में रविवार की देर रात वार्षिक अधिवेशन में पुस्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 May 2018 11:24 PM (IST) Updated:Mon, 14 May 2018 11:24 PM (IST)
समाज के सभी वर्गो के प्रतिनिधित्व से ही कविता का महत्व
समाज के सभी वर्गो के प्रतिनिधित्व से ही कविता का महत्व

गया। साहित्य महापरिषद ने गया कॉलेज के प्रेमचंद सभागार में रविवार की देर रात वार्षिक अधिवेशन में पुस्तक लोकार्पण (खुली दिशाएं खुले मुहाने-कुमारकांत) के बाद विचार गोष्ठी का आयोजन किया।

इसकी अध्यक्षता महापरिषद के अध्यक्ष डॉ.रामसिंहासन सिंह ने की। बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. रामनिरंजन परिमलेंदु मौजूद थे। समकालीन कविता का अस्तित्व बोध पर विषय प्रवेश कराते हुए कुमारकांत ने कहा कि कविता पर समकालीनता का प्रभाव अथवा उसकी छाप उसके अस्तित्व के लिए कोई कृत्रिम धर्म नहीं है, बल्कि कविता का अनिवार्य और अपरिहार्य तत्व है। परिचर्चा की शुरुआत करते हुए दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. कर्मानंद आर्य ने कहा कि समकालीन कविता चाहे वह किसी काल की हो, उसके अस्तित्व का महत्व तभी है, जब हम समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व उसमें देखते हों। आज के युवा लेखक एवं कवि इसमें ज्यादा सफल हो रहे हैं। मगध विश्वविद्यालय के ¨हदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. वंशीधर लाल ने कहा आज की कविताओं पर भी मिमकीय भंगिमा का प्रभाव है, जो उसके अस्तित्व के लिए अनुचित भी नहीं है। मुख्य अतिथि डॉ. रामनिरंजन परिमलेंदु ने ऐतिहासक साक्ष्य देते हुए समकालीन कविताओं में अस्तित्व के लिए उसकी आवश्यकता बताई। इस विषय पर डॉ. डी.पी. खेतान एवं डॉ. रामसिंहान सिंह ने कविता शब्द का विश्लेषण करते हुए आध्यात्मिकता को धरातल से जोड़ने के प्रयास पर बल दिया। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में पटना से आए समीर परिमल की गजल पर खूब तालियां बजीं। उन्होंने कहा, बना लिया है जो शीशे का घर यहां मैंने, हर एक निगाह में पत्थर दिखाई देता है। डॉ. अब्दुल मन्नान अंसारी ने भी अपनी गजल से समां बांधा- करोड़ों की आंखों का तारा रहेगा। है गुलशन हमारा, हमारा रहेगा..। पटना से आए कवि घनश्याम, ग्वालियर से आई प्रीति खुराना ने भी खूब रंग जमाया। इसके अलावा स्थानीय कवियों एवं शायरों में पं. कन्हैया लाल मेहरवार, डॉ. रामकृष्ण, बालमुकुंद अगम्य, सुरेंद्र पांडेय सौरभ, नौशाद नादां, प्रिंस कुमार, डॉ. किरण बाला, आसिफ अली, नदीम जाफरी, कुमारकांत, डॉ. सच्चिदानंद प्रेमी, डॉ. सुल्तान अहमद, तनवीर उस्मानी इत्यादि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इसकी अध्यक्षता मशहूर शायर एमए. फातमी और संचालन-राजीव रंजन ने किया। इस मौके पर सरवर खां ,डॉ. अभय सिंबा, डॉ. डी खेतान, भरत झुनझुनवाला, गया कॉलेज के प्रधानाचार्य सहित कई प्रोफेसर व छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।

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