किसानों को सुविधा मिल जाए तो अनुदान की जरूरत नहीं

गांव की चौपाल पर बातें होने लगी हैं। लोकतंत्र का महापर्व है तो मुद्दों पर भी चर्चा हो रही। अतीत से वर्तमान तक का आकलन नीतियों पर बातें। रविवार को डोभी प्रखंड के एक गांव केशापी का नजारा जहां किसान बदलाव की कहानी भी सुना रहे और अपनी अपेक्षा भी। बिजली ने बहुत राहत दी है। परंपरागत खेती अब आधुनिक हो चली है। लागत भी कम उत्पादन भी बढ़ा है। यहां के प्रगतिशील किसान रामसेवक वर्मा कहते हैं अब भरपूर बिजली मिल रही। इससे सिंचाई का खर्च बहुत कम हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 10:55 PM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 10:55 PM (IST)
किसानों को सुविधा मिल जाए तो अनुदान की जरूरत नहीं
किसानों को सुविधा मिल जाए तो अनुदान की जरूरत नहीं

प्रशांत शेखर पंकज, गया

गांव की चौपाल पर बातें होने लगी हैं। लोकतंत्र का महापर्व है तो मुद्दों पर भी चर्चा हो रही। अतीत से वर्तमान तक का आकलन, नीतियों पर बातें। रविवार को डोभी प्रखंड के एक गांव केशापी का नजारा, जहां किसान बदलाव की कहानी भी सुना रहे और अपनी अपेक्षा भी।

बिजली ने बहुत राहत दी है। परंपरागत खेती अब आधुनिक हो चली है। लागत भी कम, उत्पादन भी बढ़ा है। यहां के प्रगतिशील किसान रामसेवक वर्मा कहते हैं, अब भरपूर बिजली मिल रही। इससे सिंचाई का खर्च बहुत कम हो गया। सरकार ने किसानों के लिए यह बड़ा काम किया। अनेक योजनाएं हैं, लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी कि किसानों को इसके बारे में पता ही नहीं। जिन्हें पता है, वे जरूर लाभ उठा रहे। साथ-साथ यह भी जोड़ते हैं कि किसानों को बुनियादी सुविधा मुहैया करा दी जाए तो उसके लिए किसी अनुदान वगैरह की कोई आवश्यकता नहीं है।

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पहले और अब में काफी फर्क

रामसेवक कहते हैं, एक समय था जब खेतीबाड़ी, रबी, खरीफ फसल मौसम पर निर्भर थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब तो किसान सिंचाई व अन्य सुविधाओं के मद्देनजर फसलों का चुनाव करते हैं और अपनी मेहनत को खेत में झोंक देते हैं। तभी कुछ प्राप्ति होती है। योजनाओं का लाभ लेने के लिए कठिन कागजी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें समय की काफी बर्बादी होती है। इतना समय खेतों में लगाएं तो योजनाओं से ज्यादा लाभ मिल जाएगा। हालांकि, सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएं भी अच्छी हैं।

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धान-गेहूं के साथ सब्जी भी

तीन बीघा के जोतदार शिवनंदन प्रसाद बताते हैं कि वे लोग गेहूं और धान के साथ सब्जियों की भी खेती करते हैं। इससे अच्छी आमदनी हो जाती है। बिजली की व्यवस्था अच्छी होने से फसल की सिंचाई में परेशानी नहीं होती और अच्छा उत्पादन होता है।

दो बीघा जमीन के मालिक झड़ी प्रसाद वर्मा कहते हैं, किसानों के लिए सम्मान योजना काफी फायदेमंद है। बीज व खेतीबाड़ी के अन्य कार्य के लिए किसी के आगे अब हाथ तो नहीं फैलाना पड़ेगा। छह हजार ही सही, केंद्र की सरकार ने किसानों के हित में कुछ तो सोचा है। केशापी गांव के ही विजय प्रसाद कहते हैं, हमारे पास महज 15 कट्ठा जमीन है। इसी से पूरे परिवार का आराम से गुजारा चलता है। सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में जो भी कदम उठाया है, वह सराहनीय है।

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बिचौलिये अब भी बड़े बाधक

शेरघाटी विधानसभा के डोभी प्रखंड के घोड़ाघाट पंचायत के हड़दबन गांव के किसान रामलखन प्रसाद कहते हैं, हम दो बीघा जमीन जोतते हैं। जानकारी मिली थी कि किसानों के लिए केंद्र और राज्य की सरकारों ने कई योजनाएं चला रखी हैं। इसका लाभ कैसे उठाएं इसकी तो जानकारी ही नहीं। अधिसंख्य किसानों को योजनाओं के लाभ के लिए बिचौलियों का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में कमीशनखोरी के कारण किसान उचित लाभ नहीं मिल पाता है।

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कागजी प्रक्रिया से मुक्ति मिले

किसान सुरेश प्रसाद और ईश्वर प्रसाद कहते हैं, पिछले कुछ वर्षो में पावर ट्रेलर सहित कई नई तकनीक आ जाने से किसानों को खेती करने में सहूलियत हुई है। सरकारों को सभी वर्गो के लिए योजना शुरू करनी चाहिए, ताकि सभी उसका लाभ उठा सकें। ज्यादा कागजी प्रक्रिया नहीं हो, क्योंकि किसानों के पास इतना समय नहीं है कि वह कार्यालयों के चक्कर लगाए। बैंकों से मिलने वाला कर्ज अपर्याप्त है। साथ ही उसे पाने के लिए खूब भाग-दौड़ करनी पड़ती है। यह एक बड़ा मुद्दा है।

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