नाबार्ड ने खोदवाए पांच तालाब, अब मछली पालन कर समृद्ध हो रहे किसान, ऐसे लिया योजना का लाभ

गया के खिजरसराय प्रखंड में नाबार्ड की मछल्‍ाी पालन की योजना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। पांच किसानों के खेतों में तालाब खोदाई करा मछली पालन कराया गया। अब किसानों को इससे अच्‍छी आमदनी हो रही है।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 07:38 AM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 07:38 AM (IST)
नाबार्ड ने खोदवाए पांच तालाब, अब मछली पालन कर समृद्ध हो रहे किसान, ऐसे लिया योजना का लाभ
नाबार्ड की ओर से खोदवाया गया तालाब। जागरण

विश्‍वनाथ प्रसाद, मानपुर (गया)। स्‍वरोजगार कर किसान आर्थिक दृष्टि से संपन्‍न हो रहे हैं। इस कार्य में उनकी सहायता नाबार्ड कर रहा है। खिजरसराय प्रखंड के पांच किसान इसकी नजीर पेश कर रहे हैं। चार गांवों के पांच किसानों ने अपनी भूमि में नाबार्ड से तालाब खोदवाई। इसमें मछली पालन शुरू किया। इससे अच्‍छी आमदनी हो रही है। इकी देखादेखी अन्‍य किसान भी इस ओर उन्‍मुख हो रहे हैं।

समन्वय तीर्थ संस्था के लोग और नाबार्ड के अधिकारी क्षेत्र भ्रमण के दौरान खिजरसराय पहुंचे। वहां जुशिआलपुर, हथिआंवा, हेबडी़ के टोला मुरारपुर एवं ताजपुर गांव के किसानों के साथ बैठक की। उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए  तालाब खोदाई का प्रस्ताव रखा गया। इसके लिए पांच किसान अपनी जमीन देने को तैयार हुए। उसमें नाबार्ड के सहयोग से तालाब बनाए गए। एक तालाब की खोदाई करने में नाबार्ड को एक लाख नौ हजार रुपये की लागत आई। 

नाबार्ड ने जून में खोदवाए पांच तालाब

इस तालाब में किसानों ने जून महीने में मछली का जीरा डाला। इसके बाद उनके संवर्द्धन के लिए विशेष चारे और देखभाल, जैसा नाबार्ड की ओर से कहा गया था, वैसा करने लगे। तालाब में पानी हर समय रहे, इसका भी ख्‍याल रखा गया। नतीजा हुआ कि दिसंबर में मछली तैयार हो गद्वारा खोदाई की गई तालाब में किसानों ने जून माह में मछली के जीरा डालें। तालाब में रहे मछली को खाने के लिए नियमित चारा दिए जाने लगा। पानी हर समय भरा रहे इसका पुरा ख्याल रखा गया। दिसम्बर माह में मछली तैयार हो गई। अब इसकी बिक्री की जा रही है। 

हमें देख अन्‍य किसान भी हो रहे प्रेरित

खुशिआलपुर के राजकुमार सिंह, उदय सिंह, हथिआंवा के राजकिशोर प्रसाद, मुरारपुर के रामजी यादव एवं ताजपुर के परशुराम शर्मा ने बताया कि तालाब इसी वर्ष बनकर तैयार हुआ है। इसमें राड, रोहू, बिकेट और कतला मछली का जीरा डालने और खिलाने पर करीब 70 हजार खर्च हुआ। अब मछली की बिक्री काफी तेजी से हो रही है। इससे एक लाख रुपये से अधिक आमदनी होने का अनुमान है। हमलोगों की आमदनी देख अन्य किसान भी खेती करर्ने के मूड में हैं। 

स्वयं सेवी संस्था समन्वय तीर्थ के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी ने बताया कि नाबार्ड प्रायोजित हथियावां जलछाजन परियोजना के तहत पांच किसानों के भूमि में तालाब का निर्माण कराया गया। जिसमें किसान मछली पालन कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। वे काफी खुशहाल हैं । अन्य किसानों के खेत में भी तालाब खोदाई करने का प्रस्ताव नाबार्ड अधिकारियों के समक्ष रखेगें। 

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