कारागार की कोठरी में उजियारा फैला रही शिक्षा की चटख रोशनी
कोई लोगो.. -------------- -इग्नू एनआइओएस व बॉस के माध्यम से दिलाई जा रही शिक्षा -जेल प्रशासन के प्रयास से बंदियों में दिख रहा सकारात्मक बदलाव -2019 में एनआइओएस से इंटर के लिए 10 और मैट्रिक के लिए 15 बंदियों ने भरा आवेदन -------------- जागरण संवाददाता गया
गया । शिक्षा ग्रहण करने के लिए उम्र और समय का कोई बंधन नहीं होता है। अगर मन में दृढ़ इच्छा, लगन और जज्बा है तो कभी भी शिक्षार्जन किया जा सकता है। इसके लिए किसी विशिष्ट स्थान मसलन, प्रतिष्ठित स्कूल-कॉलेज की आवश्यकता नहीं होती है। कुछ इसी तरह केंद्रीय कारागार में शिक्षा का उजियारा देखने को मिल रहा है। यहां के कई बंदी शिक्षा ग्रहण कर अपनी जिंदगी को संवारने में लगे हैं। दरअसल, शिक्षा ही ऐसा माध्यम है, जिसके सहारे समाज और खुद के जीवन से नकारात्मक सोच में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षा की यह लौ केंद्रीय कारागार में चटख रोशनी के साथ जल रही है। इसकी किरणें अब बंदियों के जीवन का अंधियारा दूर कर रही हैं। कारागार में निरुद्ध बंदी अपनी नकारात्मक सोच और अनजाने में की गई गलती के परिणामस्वरूप तन्हा जीवन गुजार रहे हैं। इसीलिए उनके जीवन को सुधारने और उनमें सकारात्मक बदलाव लाने की कवायद जेल प्रशासन की ओर से शुरू की गई है। कारागार में बंद छोटे-बडे़ बंदियों के अज्ञानतारूपी अंधियारे को मिटाने के लिए उन्हें निरंतर ज्ञानार्जन की ओर उन्मुख किया जा रहा है। उन्हें किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है, ताकि उनकी जिंदगी में बदलाव आ सके।
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इग्नू से शिक्षार्जन
कर रहे हैं कई बंदी
गया केंद्रीय कारागार में बंद बंदियों को नियमित पढ़ाने के बजाय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के पत्राचार कोर्स के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है। इसके लिए बाकायदा इग्नू का अध्ययन केंद्र भी खोला गया है। इग्नू सीएफएस कोर्स व सामान्य कोर्स में स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स से जोड़ा गया है। इसके बाद जेल में बंद बंदी उमंग और उत्साहपूर्वक इग्नू से जुड़े। करीब 180 बंदियों ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों के लिए अपना पंजीयन कराया है। इन पाठ्यक्रमों से जुड़े 116 बंदियों ने स्ट्डीज सेंटर में परीक्षा दी और न्यायिक हिरासत में रहकर भी अपनी पढ़ाई पूरी की है। इससे निश्चित रूप से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। यह समाज के नकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों के लिए भी स्पष्ट संदेश है कि वे नकारात्मक सोच को त्यागकर शिक्षार्जन के रास्ते को चुनें।
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एनआइओएस व बॉस के जरिये भी बंदी कर रहे अपनी पढ़ाई
केंद्रीय कारागार के बंदियों ने एनआइओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान) और बॉस (बिहार ओपेन स्ट्डी सेंटर) की परीक्षा में भाग लेने के लिए भी रजिस्ट्रेशन कराया है। इन दोनों संस्थाओं से बंदियों ने नवम, दशम व इससे आगे की उच्च शिक्षा के लिए आवेदन भरा है। ऐसे बंदियों को पत्राचार कोर्स (दूरस्थ शिक्षा) के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है, ताकि जेल से मुक्त होने के बाद वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें और शिक्षा के माध्यम से कहीं रोजगार कर सकें।
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अधीक्षक के प्रयास से साकार
हो रहा बंदियों का सपना
गया केंद्रीय कारा अधीक्षक राजीव कुमार का कहना है कि कुछ गलत कार्य व संगत के कारण जो बंदी न्यायिक हिरासत में आ गए हैं, उनमें शिक्षार्जन के लिए जिज्ञासा पैदा करने को निरंतर प्रयास किया गया। अथक परिश्रम और उनकी ललक के कारण बंदियों को इग्नू, एनआइओएस व बॉस के पत्राचार कोर्सो से जोड़ा गया। इसका फलाफल यह हुआ कि तीनों कोर्स में 200 से 300 बंदियों ने परीक्षा दी। उन्होंने बताया, 2019 में एनआइओएस से इंटरमीडिएट के लिए 10 और मैट्रिक कक्षा के लिए 15 बंदियों ने आवेदन भरा है। 2016 में बॉस से 07 बंदियों ने परीक्षा दी थी, उन्हें सफलता भी मिली है। उन्होंने कहा, जेल प्रशासन का सदैव यह उद्देश्य रहता है कि जो बंदी अपनी गलतियों के कारण जेल में बंद हो गए हैं, उन्हें शिक्षित कर उनमें सकारात्मक परिवर्तन लाया जाए। जिससे उनके जीवन में आमूलचूल बदलाव देखने को मिले। इसके लिए जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा की ओर से भी सख्त निर्देश दिए गए हैं।