बिहार के औरंगाबाद में मां-बेटी हत्‍याकांड में परिवार के पांच लोग दोषी करार, 30 जनवरी को सुनाई जाएगी सजा

औरंगाबाद के बहुचर्चित मां-बेटी हत्याकांड में परिवार के ही पांच लोगों को दोषी करार दिया गया है। 22 जुलाई 2012 को जमीन के विवाद में नबीनगर में मां-बेटी की हत्या कर दी गई थी। 30 जनवरी को सजा सुनाई जाएगी।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 08:26 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 08:26 AM (IST)
बिहार के औरंगाबाद में मां-बेटी हत्‍याकांड में परिवार के पांच लोग दोषी करार, 30 जनवरी को सुनाई जाएगी सजा
मां-बेटी हत्‍याकांड में परिवार के पांच सदस्‍य दोषी करार। प्रतीकात्‍मक फोटो

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। जिले के बहुचर्चित मां-बेटी हत्‍याकांड में पांच सदस्‍यों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। ये सभी परिवार के ही हैं। नवीनगर थाना क्षेत्र के रजवरियाकला निवासी संगीता देवी एवं उसकी पुत्री प्रिया कुमारी की हत्‍या कर दी गई थी।  इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 दिनेश कुमार प्रधान की अदालत ने संगीता के ससुर कामेश्‍वर सिंह, देवर ब्रजेश सिंह, अनुज सिंह, गोतनी बेबी देवी एवं सरतिमा देवी को धारा 302 एवं 201 में दोषी करार दिया है। सजा के बिंदुओं पर 30 जनवरी को सुनवाई होगी।

अपने ही बन गए मां-बेटी के कातिल

बताया जाता है घटना 22 जुलाई 2012 की है। उस दिन संपत्ति को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद आरोपितों ने धारदार हथियार से संगीता एवं प्रिया को मार डाला। इसके बाद दोनों के शव बोरे में बंद कर नदी में फेंक दिया। बाद में पुलिस ने नदी से ही शव बरामद किया था। संपत्ति के कारण रिश्‍ते किस तरह तार-तार हो जाते हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हत्‍या में दोषी करार दिए गए बेबी देवी और ब्रजेश सिंह रिश्‍ते में प्रिया के मौसी-मौसा थे। इस मामले में मृतका की एक मात्र पुत्री खुशबू कुमारी के फर्द बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। 

खुशबू की हिम्‍मत की लोग दे रहे दाद

मां संगीता और बहन प्रिया की हत्‍या से खुशबू पूरी तरह अकेली पड़ गई थी। पिता की मौत पहले ही हो गई थी। वह परिवार की एकमात्र सदस्‍य थी। लेकिन हिम्‍मत नहीं हारते हुए उसने न केवल प्राथमिकी दर्ज कराई बल्कि मामले को अंजाम तक पहुंचाया। पूर्व डीजीपी अभ्यानंद के मार्गदर्शन में गया में संचालित मगध सुपर थर्टी में पढ़ाई कर खुशबू इंजीनियर बन गई है। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि की अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अधिवक्ता नरेश प्रसाद एवं पीडि़त पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता कुमार योगेंद्र नारायण सिंह ने बहस में हिस्सा लिया।

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