आमस के किसान पुत्र ने बनाया मॉडल एरोप्लेन

पेज- फोटो 30 -भोपाल के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बी. टेक के छात्र हैं साकेत --------- कामयाबी -बैटरी से चलतने वाला यह एरोप्लेन प्रदूषण मुक्त है -जून में चंडीगढ़ में मापी जाएगी एरोप्लेन की स्पीड क्षमता ------------ -03 महीने की कड़ी मेहनत के बाद मिली सफलता -1.50 लाख रुपये आया खर्च कॉलेज ने वहन किया -03 मॉडल एरोप्लेन अब तक बना चुके हैं ------------

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 08:55 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 08:55 PM (IST)
आमस के किसान पुत्र ने बनाया मॉडल एरोप्लेन
आमस के किसान पुत्र ने बनाया मॉडल एरोप्लेन

अनवर हुसैन सोनी, आमस (गया)

गया जिले के नक्सल प्रभावित नीमा बुधौल गाव के किसान पुत्र साकेत कुमार पवन ने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत मॉडल एरोप्लेन बनाने में कामयाब हो गए। साकेत की कामयाबी की पूरे प्रदेश में प्रशसा हो रही है।

साकेत भोपाल के टेक्नोक्राफ्ट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बी.टेक के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। मॉडल एरोप्लेन बनाने में साकेत के साथ उनके चार अन्य साथियों ने भी मदद की है। सभी ने मिलकर मॉडल एरोप्लेन बनाया है। साकेत के चार सहयोगियों में कीर्ति शाक्य कप्तान हैं, जबकि वेदात कुमार शाही को-ऑर्डिनेटर, मृत्युंजय राय और झारखंड के सार्थक कुमार सहयोगी के रूप में कार्य कर रहे हैं। मॉडल एरोप्लेन का पायलट साकेत कुमार हैं।

इस एरोप्लेन को बनाने में तीन महीने का समय लगा। मॉडल एरोप्लेन पर करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए हैं, जिसे कॉलेज ने वहन किया है। साकेत कहते हैं, वह अब तक तीन मॉडल एरोप्लेन बना चुके हैं। यह एरोप्लेन बैटरी से चलता है, जिस कारण प्रदूषण मुक्त है। मॉडल एरोप्लेन बनाने वाले छात्रों का मानना है कि अब तक की सबसे तेज रफ्तार में चलने वाला मॉडल एरोप्लेन तैयार किया गया है।

साकेत कहते हैं, यह मॉडल एरोप्लेन प्रति घटा कितने हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगा, इसे लेकर जून में हमारा दल चंडीगढ़ जाएगा। वहा निर्मित मॉडल एरोप्लेन की स्पीड क्षमता मापी जाएगी। साकेत ने बताया कि फिलहाल जितनी स्पीड में यह एरोप्लेन चल रही है उससे इस बात का अंदाजा लगा लिया गया है कि अब तक की सबसे तेज रफ्तार में दौड़ने वाला यह मॉडल एरोप्लेन है।

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रिमोट से चलेगा

मॉडल एरोप्लेन को तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाने वाले साकेत कहते हैं, एरोप्लेन की लंबाई नौ फीट है। इसे रिमोट से उड़ाया जाता है। रिमोट से ही उसे फिर जमीन पर उतारा जाता है। इसकी रफ्तार बहुत ज्यादा है।

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जल्द तैयार होगा दो

सीट वाला एरोप्लेन

साकेत बताते हैं, अब वे और उनकी साथियों की टीम द्वारा जल्द ही एक ऐसा एरोप्लेन बनाने की तैयारी की जा रही है जिसमें पायलट के अलावा एक अन्य व्यक्ति बैठ सके। यह एरोप्लेन करीब 25 फीट लंबा होगा। इसके लिए काफी रुपये की जरूरत है। साकेत को विश्वास है कि आने वाले दिनों में उनकी टीम एक अच्छा एरोप्लेन तैयार करेगा।

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तीन भाई बहनों में सबसे

छोटा है साकेत

साकेत के पिता प्रमोद कुमार किसान हैं। माता कुमारी ललिता गाव के ही मध्य विद्यालय में शिक्षिका हैं। साकेत तीन भाई बहनों में सबसे छोटा और इकलौता भाई है। बड़ी बहन प्रियंका कुमारी विवाहिता हैं, जो गृहणी हैं। मंझली बहन रूपाशी पवन भूवनेश्वर में बीटेक के फाइनल ईयर की छात्रा है।

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अब मेरा बबुआ हवाई

जहाज बनाने लगा

अपने बेटे के इस कामयाबी पर साकेत की मा कुमारी ललिता ने कहा कि वह बचपन से ही आकाश पर चाद और तारे पर जाने की बात ज्यादा करता है। पढ़ने में काफी तेज है। घर पर भी आता है तो ज्यादातर समय पढ़ाई मे ही गुजरता है। बेटे के इस कामयाबी पर काफी खुश हूं। पिता प्रमोद कुमार सिर्फ इतना ही कहते हैं कि अब मेरा बबुआ हवाई जहाज बनाने लगा। यह कहते हुए काफी खुश नजर आए।

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गाव में खुशी का माहौल

गाव के शिक्षक अविनाश कुमार उर्फ गुड्डु कहते हैं, साकेत कुमार पवन शुरू से ही मेधावी छात्र रहा है। अपने साथियों से बराबर यही कहता था कि हमारे प्रखंड को लोग नक्सल क्षेत्र के नाम से जानते हैं। हम जैसे युवा सही ढंग से पढ़ाई करें तो प्रखंड क्षेत्र को एक अच्छे नजरिए से लोग जानने लगेंगे। साकेत की यह बात सच निकली। प्रखंड का नाम सचमुच अपनी एक अलग पहचान बनाएगा।

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कामयाबी पर मिल रही

साकेत को बधाई

साकेत के इस कामयाबी पर डॉ. जाकिर हुसैन इवनिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जाकिर हुसैन, जाकिर हुसैन इंटर विद्यालय की प्राचार्या तनवीर फातमा, उर्दू मध्य विद्यालय हमजापुर के प्रधानाध्यापक डॉ. विनोद कुमार, पशु चिकित्सक डॉ. संजय पासवान, सामाजिक कार्यकर्ता बाबू गुप्ता, शेखर चौरसिया धर्मेद्र कुमार सिंह सहित कई लोगों ने साकेत को बधाई दी है।

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