सुदेश-सुनील हत्याकांड: नक्सली कार्रवाई या चुनावी रंजिश

[कमल नयन] गया: चार दिन गुजर गए। एक दिन बाद डुमरिया में पंचायत चुनाव होने हैं। इस बीच ¨हसा-प्रति¨हसा

By Edited By: Publish:Sat, 28 May 2016 06:53 PM (IST) Updated:Sat, 28 May 2016 06:53 PM (IST)
सुदेश-सुनील हत्याकांड: नक्सली कार्रवाई या चुनावी रंजिश

[कमल नयन] गया: चार दिन गुजर गए। एक दिन बाद डुमरिया में पंचायत चुनाव होने हैं। इस बीच ¨हसा-प्रति¨हसा के आसार दिख रहे हैं। सूर्य ढलते ही डुमरिया बाजार की दुकानें बंद हो जा रही है। फिर एक बार नक्सल प्रभावित यह क्षेत्र 80 के दशक से गुजरने लगा है। जब इस क्षेत्र के हर कोने से 'लाल सलाम' के नारे गूंजा करते थे। बात यह है कि यह सब फिर कैसे और क्यों हुआ? इस प्रश्न का जबाब आगे आने वाला दिन बताएगा। फिलहाल हम घटनाक्रम की ओर जाते है, तो साफ नहीं हो पा रहा है कि सुदेश-सुनील हत्याकांड नक्सली कार्रवाई है,या फिर पंचायत चुनाव की रंजिश।

मृतक सुदेश पासवान की पत्‍‌नी माया रानी ने डुमरिया थाना में 35 / 16 प्राथमिकी दर्ज की है। माया रानी खुद काचर पंचायत से मुखिया प्रत्याशी है। उसने सुदेश हत्याकांड में नौ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया है। नामजद अभियुक्तों में एक ओर प्रत्याशी उर्मिला देवी और उसके पति सह राजद नेता रामसरेखा यादव का नाम क्रमश: एक और दो पर है। इसके अतिरिक्त अन्य सात नामों में सोमन यादव, विनोद यादव, अशोक यादव, रामचंद्र यादव, बालकेश्वर यादव, रामसुंदर यादव और विनोद ठठेरा शामिल है। माया रानी द्वारा दर्ज प्राथमिकी से यह स्पष्ट है कि उर्मिला देवी का नाम इसमें चुनावी रंजिश के कारण आया है। ये दोनों काचर पंचायत के मुखिया पद के लिए निकटतम प्रतिदंद्वी हैं। जानकार यह भी बताते है कि रामसरेखा यादव और मृतक सुदेश पासवान के बीच छत्तीस के रिश्ते रहे हैं। राजनीति क्षेत्र में भी रामसरेखा जहां राजद का सक्रिय सदस्य है। वहीं मृतक सुदेश लोजपा का नेता था।

रामसरेखा और सुदेश के बीच में राजनीतिक वर्चस्व को लेकर भी तनातनी रहती थी। उधर हुरमेठ निवासी रामसरेखा के नक्सली संगठन से भी गठजोड़ के चर्चा इस क्षेत्र में है, और यही से सुदेश-सुनील हत्याकांड को नक्सली होने का बल मिलता है।

उधर, सुदेश-सुनील हत्याकांड की जिम्मेवारी अभी तक नक्सली संगठन ने नहीं ली है। फिर भी, घटना स्थल पर दो पर्चे छोड़े गए। जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है। यह पर्चा नक्सली कार्रवाई की ओर संकेत करता है। जिसमें सुदेश को पुलिस मुखबीर बताकर कार्रवाई को अंजाम देने की बात कही गई है। पुलिस इस पूरे हत्या कांड में माया रानी के दर्ज प्राथमिकी पर भी अपनी बात अब कहने लगी है। वैसे नामजद अभियुक्त पुलिस पकड़ से बाहर है। अब डुमरिया प्रखंड में सोमवार को पंचायत चुनाव होने हैं। जबकि इस हत्याकांड के बाद यह क्षेत्र एक बार फिर जातीय ¨हसा का संकेत देने लगा है। वर्ष 2005 के विधान सभा चुनाव में लोजपा प्रत्याशी राजेश कुमार की हत्या इसी क्षेत्र में कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद दो जाति विशेष के बीच पड़ी खाई और गहरी हो गई। राजेश हत्याकांड का अभी तक खुलासा नहीं हो सका। अब सुदेश-सुनील हत्याकांड भी इसी कड़ी में देखा जा रहा है।

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