शर्म करे सरकार, जनसहयोग से ग्रामीण बना रहे पुल

पूर्वी चंपारण जिला के नक्सल प्रभावित तेतरिया प्रखंड की मेघुआ पंचायत के लोगों ने जब सरकारी सिस्टम फेल हो गया, कागजी कार्रवाई होते-होते देर हो गई, जनता बरसात के दिनों में तबाही झेलने के लिए विवश हो गई, तो लोगों ने ठान लिया कि खुद के बूते अपनी तकदीर लिखेंगे।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2015 07:31 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2015 07:47 AM (IST)
शर्म करे सरकार, जनसहयोग से ग्रामीण बना रहे पुल

पूर्वी चम्पारण [अखिलेश्वर झा / मनोज सिंह]। जब सरकारी सिस्टम फेल हो गया, कागजी कार्रवाई होते-होते देर हो गई, जनता बरसात के दिनों में तबाही झेलने के लिए विवश हो गई, तो फिर लोगों ने ठान लिया कि खुद के बूते अपनी तकदीर लिखेंगे। खुद से बनाए गए पुल से गुजरेंगे और सरकार देखेगी।

पूर्वी चंपारण जिला के नक्सल प्रभावित तेतरिया प्रखंड की मेघुआ पंचायत के लोगों की नेक कोशिश पुल के रूप में आकार लेने लगी है। यहां के लोग अब तक बरसात में बागमती के नाले का कहर झेलते आए हैं। जब कभी कोई घटना हुई और मुजफ्फरपुर की ओर निकलना पड़ा तो जान आफत में, लेकिन अब सब कुछ बदलने लगा है। आम आदमी अपने बूते अपनी फिक्र में जुट गया है।

बागमती के पेट से निकले हसनपुर नाले पर चंदा एकत्र कर लोगों ने पुल बनाने का काम शुरू कर दिया है। हसनपुर पुल के बन जाने से पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर के बीच की दूरी पांच किलोमीटर घट जाएगी। बरसात में लोगों की बेचैनी कम रहेगी और वे किसी भी आपात स्थिति में पुल के सहारे मुजफ्फरपुर के मीनापुर में पलक झपकते दाखिल हो जाएंगे।

बताते हैं कि इस पुल के लिए स्थानीय पंचायत ने आम सभा की। वर्ष 2012 से 2015 के बीच हुई सभी आम सभाओं में उसका प्रस्ताव पारित किया गया। वित्तीय वर्ष 2014-2015 में मनरेगा के तहत 28 लाख रुपये का प्राक्कलन भी तैयार किया गया। प्रशासनिक स्वीकृति के लिए प्राक्कलन जिला मुख्यालय को आया।

पुल निर्माण अविलंब हो जाए, इसके लिए राज्य सरकार के मंत्री अवधेश कुशवाहा ने भी पहल की, लेकिन नतीजा सिफर रहा। सरकारी फाइलों की सुस्त रफ्तार से आजिज लोगों ने स्वेच्छा से दान देने का मन बनाया और पुल का निर्माण शुरू हो गया। अब तक दस लाख की राशि जुटाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि हम सरकारी पहल का इंतजार करते तो अभी न जाने कितने साल लगते। हमने खुद की कोशिश की तो उसका असर हुआ। हम अपनी मंजिल की ओर चल पड़े हैं।

'पंचायत के स्तर पर जितनी पहल होनी चाहिए मैने की थी। हर कोशिश की गई। लेकिन, नतीजा सिफर रहा। पंचायत व गांव के लोगों ने सक्रियता दिखाई। काम शुरू हुआ है। मैं लोगों के साथ हूं। लोगों की इस कोशिश में तन-मन-धन से मेरा सहयोग है।'

- महापति देवी (मुखिया, मेघुआ पंचायत)

'लोकतंत्र में जन सहयोग से काम का होना सुखद संदेश है। छोटे पुल-पुलियों का निर्माण पंचायत स्तर से होता है। मैं जनता के साथ हूं। मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं आया। यदि लोगों ने संपर्क साधा तो आवेदन नहीं दिया। आवेदन मिला होता तो काम संभव था। वैसे जनसहयोग को मेरा भी समर्थन है।'

- अवधेश कुशवाहा

(नगर विकास सह मद्य निषेध मंत्री, बिहार सरकार)

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