आशियाना खत्म, फसलें बर्बाद, अब ऊपर वाले के हाथों में बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी

सुगौली नगर पंचायत व प्रखंड में बाढ़ पीड़ितों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। 12 जून से शुरू हुई बाढ़ की लीला में हजारों लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। 32 दिन से बाढ़ पीड़ित परेशानी को झेलते आ रहे हैं। सड़क किनारे टेंट में रह रहे लोगो को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Jul 2021 01:06 AM (IST) Updated:Wed, 14 Jul 2021 01:06 AM (IST)
आशियाना खत्म, फसलें बर्बाद, अब ऊपर वाले के हाथों में बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी
आशियाना खत्म, फसलें बर्बाद, अब ऊपर वाले के हाथों में बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी

मोतिहारी । सुगौली नगर पंचायत व प्रखंड में बाढ़ पीड़ितों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। 12 जून से शुरू हुई बाढ़ की लीला में हजारों लोगों का जीना बेहाल कर दिया है। 32 दिन से बाढ़ पीड़ित परेशानी को झेलते आ रहे हैं। सड़क किनारे टेंट में रह रहे लोगो को मौसम की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। कभी बारिश से बच कर रहना तो कभी कड़ाके की गर्मी से बचना। बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहे हैं। जिनका आशियाना खत्म हो गया वे फिर से अपने घर को कैसे बनाएंगे, इसकी भी चिता उन्हें सताने लगी है। फसल बर्बाद हो गया अब आगे भोजन की व्यवस्था कैसे होगी। मवेशियों के लिए चारे का प्रबंध करने की चिता। बाढ़ ने लोगो को बर्बाद करके छोड़ दिया। बाढ़ पीड़ितों का सब कुछ छीन लिया। सैकड़ों लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हो गए हैं। बाढ़ का पानी जैसे ही थोड़ा कम हो रहा है वैसे ही सिकरहना नदी में जलस्तर बढ़ने लगता है और पानी गांवों में प्रवेश करने लगता है। जिला महामंत्री प्रदीप सर्राफ, अंकुर चौधरी, बुचुन तिवारी, मनोज सहनी, नारायण प्रसाद, अशोक सोनी, मनु पांडेय, दिवाकर शर्मा, सुनील सहनी, धर्मेन्द्र गुप्ता सहित कई लोगो ने कहा कि इतना ज्यादा दिन कभी भी बाढ़ नहीं रहा है। इस बार तो काफी दिन रह गया। जिससे लोगों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ प्रभावित इलाके की सड़कें खत्म हो गई है और कई पुल ध्वस्त हो गए। जिससे कई गांव के लोगो का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क खत्म हो गया है। जिससे लोग अपने अपने घर मे ही रहने को विवश हो गए हैं। कई गांव के चारों ओर अब भी पानी लगा हुआ है। अधिक दिन तक जल जमाव होने से कई प्रकार की बीमारियां फैलने का डर लोगों को सता रहा है। अब ऊपर वाले के हाथ में ही बाढ़ पीड़ितों की जिदगी है।

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