तब स्टाफ नर्स सुधा ने की थी दरभंगा में मिले पहले कोरोना मरीज की देखभाल

दरभंगा। कोरोना की शुरूआत मार्च 2020 में हुई। उस वक्त दरभंगा मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्यकमी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 11:33 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 11:33 PM (IST)
तब स्टाफ नर्स सुधा ने की थी दरभंगा में मिले पहले कोरोना मरीज की देखभाल
तब स्टाफ नर्स सुधा ने की थी दरभंगा में मिले पहले कोरोना मरीज की देखभाल

दरभंगा। कोरोना की शुरूआत मार्च 2020 में हुई। उस वक्त दरभंगा मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्यकर्मी या चिकित्सक इससे अनभिज्ञ थे। डीएमसीएच में इस बीमारी को जानने के लिए बुनियादी इंतजाम भी नहीं थे। मरीजों का आना मार्च के पहले सप्ताह से ही शुरू हो गया था। पहला कोरोना संदिग्ध मरीज छपरा का मिला। उसे इंफेक्शन डीजिज अस्पताल में रखा गया। मरीज की जिम्मेवारी वार्ड की सिस्टर इंचार्ज सुधा कुमारी को दिया गया। सिस्टर इंचार्ज सुधा ने कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए चार बेड के वार्ड का इंतजाम किया। व्यवस्था को दुरूस्त किया।

तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद समेत जिला के कई अधिकारियों ने भी इस वार्ड का जायजा लिया। फिर यहां मरीजों के लिए बेड फुल हो गया। फिर यहां से बीएससी नर्सिंग कॉलेज के नव निर्मित भवन में मरीजों को शिफ्ट किया गया। सुधा ने वहां भी हिम्मत नही हारी। मई 2020 में मरीजों की संख्या अचानक संख्या 250 से ज्यादा हो गई। भीड़ से सिस्टर इंचार्ज घबराई नहीं। अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों के इलाज में लगी रहीं। उन्होंने परिवार सदस्यों को बचाए रखने के लिए पूरी सावधानी रखी। नतीजा यह हुआ कि वो और उनका परिवार पूरी तरह संक्रमण से बचा है। सुधा सिंह एक कोरोना योद्धा के रूप में मार्च 2021 तक डंटी राही। सुधा बताती है वो एक साल मेरी जीवन में सेवा के लिए बेहद अहम रहे। अब मैं अपनी मूल जगह इंफेक्शन वार्ड में चली आई हूं। पति व पुत्री के संक्रमित होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत :

दरभंगा मेडिकल कॉलेज हास्पीटल की स्टाफ नर्स पुतुल कुमारी द्वितीय के पति मोहन सहनी और उसकी पुत्री कोरोना पॅाजिटिव हो गए। लेकिन, पुतुल ने हिम्मत से काम लिया। सुबह उठकर घर की सफाई और भोजन तैयार पति और पुत्री को खिलाती हैं। फिर पति और पुत्री का कोविड-19 के मानक पर उपचार करके फिर वह झटपट अपनी आठ घंटे की ड्यूटी पर डीएमसीएच चली जाती हैं। चिकित्सकों की सलाह पर सभी मरीजों को सूई और दवा देती हैं। इन सबके बीच वह अपने परिवार के लिए चितित रहती हैं। बताती हैं- मैंने नर्स की नौकरी को सेवा के लिए चुना है। सेवा करना मेरा परम धर्म है। इस कारण से मैं परिवार और अस्पताल दोनों को बराबर देखती हूं।

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