नेशनल कबड्डी टूर्नामेंट में पारुल ने दिखाया जलवा, बढ़ाया सूबे का मान

जोश व उमंग हो तो कोई मुकाम पाना नामुमकिन नहीं है। इसे सच कर दिखाया है कबड्डी की नेशनल खिलाड़ी पारुल प्रिया ने।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 01:03 AM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2019 01:03 AM (IST)
नेशनल कबड्डी टूर्नामेंट में पारुल ने दिखाया जलवा, बढ़ाया सूबे का मान
नेशनल कबड्डी टूर्नामेंट में पारुल ने दिखाया जलवा, बढ़ाया सूबे का मान

दरभंगा। जोश व उमंग हो तो कोई मुकाम पाना नामुमकिन नहीं है। इसे सच कर दिखाया है कबड्डी की नेशनल खिलाड़ी पारुल प्रिया ने। पारूल ने अपनी लगन व मेहनत से आज खेल की दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाया है। वह नेशनल खिलाड़ी के साथ ही नेशनल रेफरी भी बन चुकी है। इतना ही नहीं, पारुल नेशनल हैंडबॉल प्रतिस्पर्धाओं में भी अपने हुनर का जलवा दिखा चुकी है। उसकी लगन के आगे उसकी गरीबी ने भी हार मान ली। आर्थिक तंगी की परवाह किए बिना उसने अपना करियर खेल में बनाया। माता प्रीति कुमारी और पिता नीतीश कुमार गोयत ने भी बेटी पारूल को कभी निराश नहीं किया। हर परिस्थिति में अपनी बिटिया का साथ दिया, उसका हौसला बढ़ाया। माता-पिता के सहयोग का नतीजा रहा कि पारुल ने ना केवल मिथिला का, बल्कि पूरे सूबे का नाम रोशन किया। महिला कबड्डी में पारूल प्रिया तीन बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शिरकत कर चुकी है। पारूल ने ऑल इंडिया टूर्नामेंट 2017 में मध्य प्रदेश, नेशनल बीच कबड्डी 2018 में आंध्र प्रदेश और नेशनल एकलव्य प्रतियोगिता 2018 में गया में अपने खेल का कौशल दिखाकर सूबे का मान बढ़ाया। इसके अलावा, पारूल 2018 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में आयोजित नेशनल हैंडबॉल प्रतियोगिता में भी खेल चुकी हैं। पारूल को कबड्डी का शौक बचपन से ही रहा। नौ साल की उम्र से ही उसने कबड्डी में हाथ आजमाने शुरू कर दिए। खेल के साथ-साथ पारुल ने पढ़ाई से कभी नाता नहीं तोड़ा। जिला से लेकर नेशनल खेल प्रतियोगिताओं तक में पारूल का जलवा काफी उम्दा रहा है। आर्थिक तंगी के बावजूद माता-पिता ने पारूल को खेलने में बाधा नही होने दी। उसके पास मैदान में उतरने के लिए ड्रेस तक उपलब्ध नहीं रहता था। नेशनल प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए कई बाधाएं थी। लेकिन, कहते हैं ना कि यदि हमारे पास जज्बा हो तो रास्ते भी खुद मिलते जाते हैं। यही पारुल के साथ भी हुआ। पारुल के पास जोश था कुछ कर दिखाने का, तो मदद के लिए कई हाथ समय-समय पर आगे बढ़ते गए। पारुल कहती है कि उसकी कामयाबी में जिला कबड्डी खेल संघ के सचिव राजेश कुमार पप्पू, केएस कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मो. रहमतुल्लाह, नेशनल खिलाड़ी अमित कुमार आदि का भरपुर सहयोग मिला। पारुल ने इनके सहयोग को कभी बेकार नहीं जाने दिया।

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