अलग-अगल पृष्ठभूमि के छात्रों को संस्था की संस्कृति में समाहित करना ही उन्मुखीकरण : कुलपति

लनामिविवि के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय अंतर्गत संचालित बीएड रेगुलर कोर्स में नामांकित सत्र 2019-21 के छात्र-छात्राओं के लिए मंगलवार को स्वागत सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Jul 2019 11:34 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jul 2019 06:29 AM (IST)
अलग-अगल पृष्ठभूमि के छात्रों को संस्था की संस्कृति में समाहित करना ही उन्मुखीकरण : कुलपति
अलग-अगल पृष्ठभूमि के छात्रों को संस्था की संस्कृति में समाहित करना ही उन्मुखीकरण : कुलपति

दरभंगा। लनामिविवि के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय अंतर्गत संचालित बीएड रेगुलर कोर्स में नामांकित सत्र 2019-21 के छात्र-छात्राओं के लिए मंगलवार को स्वागत सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसके साथ ही छात्रों की कक्षाएं भी शुरू हो गई। विवि के जुबली हॉल में आयेाजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विभिन्न शैक्षिक, सामाजिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आए छात्रों को संस्था की संस्कृति में समाहित करना ही उन्मुखीकरण है। कुलपति ने शिक्षा के तीन तत्त्वों ज्ञान, कौशल एवं अभिवृत्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि बीएड रेगुलर आपकी अभिवृत्ति में परिवर्तन कर सके एवं शिक्षण को पहली वृत्ति के रूप में आप अपना सकें तो यह विभाग की सफलता होगी। कहा कि विषय वस्तु की समझ के साथ उसका प्रभावी ढंग से सम्प्रेषण किस प्रकार हो, यह महत्त्वपूर्ण है। आज शिक्षा में छात्र निष्क्रिय श्रोता नहीं, बल्कि सक्रिय अधिगमकर्ता हैं। इसके लिए आवश्यक है कि कक्षा को रुचिकर बनाया जाए। निदेशक प्रो. सरदार अरविद सिंह ने उन्मुखीकरण के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए इसके तीन तत्त्वों सैद्धांतिक, प्रायोगिक एवं अंत:क्रियात्मक स्वरूप की चर्चा की। उन्होंने शिक्षा की पिरामिड की चर्चा करते हुए कहा कि जब तक पिरामिड का आधार अर्थात प्रारंभिक शिक्षा मजबूत एवं गुणवत्तापूर्ण नहीं होगी, तब तक माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा गुणवत्तापूर्ण नहीं हो सकती। बीएड रेगुलर के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविद कुमार मिलन ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षकों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। बीएड नियमित विभाग गुणवत्तापूर्ण अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम द्वारा ऐसे ही कुशल, सक्षम एवं चरित्रवान शिक्षक बनाने का प्रयास करता रहा है एवं अपने लक्ष्य में काफी हद तक सफल भी रहा है। एससीईआरटी के डॉ. एसए मोईन ने कहा कि गुणवत्ता एक सापेक्षिक संकल्पना है। कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में शिक्षा, शिक्षण एवं कक्षा की अवधारणा बदल गई है। इसलिए यह आवश्यक है कि शिक्षक इस चुनौती के अनुरूप स्वयं को ढालें। उप निदेशक डॉ. विजय कुमार ने कहा कि शिक्षण एक श्रेष्ठ व्यवसाय है एवं समाज को शिक्षकों से बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं। सरकार भी शिक्षा की दशा को सुधारने का प्रयत्न कर रही है एवं अनेक योजनाएं चला रही है।कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा कि अच्छा शिक्षक बनने के लिए पहले की सीखी हुई बुरी आदतों को भूलना होगा। एक अच्छा शिक्षक कैसा होना चाहिए, उनमें क्या गुण होने चाहिए, इसकी समझ होने पर ही शिक्षक अपने शिक्षण को सार्थक एवं प्रभावी बना सकेंगे। धन्यवाद ज्ञापन निधि वत्स ने व कार्यक्रम का संचालन डॉ. मुक्ता मणि ने किया। कार्यक्रम में बीएड नियमित के सभी शिक्षक व कर्मी मौजूद रहे।

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