सामाजिक विज्ञान में शोध के नवीन विषय निरंतर नए द्वार खोल रहे : कुलपति

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित किया गया। पहले दिन सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति शास्त्र विषय पर कार्यशाला आयोजित किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Feb 2021 12:34 AM (IST) Updated:Sat, 20 Feb 2021 12:34 AM (IST)
सामाजिक विज्ञान में शोध के नवीन विषय निरंतर नए द्वार खोल रहे : कुलपति
सामाजिक विज्ञान में शोध के नवीन विषय निरंतर नए द्वार खोल रहे : कुलपति

दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में शुक्रवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित किया गया। पहले दिन सामाजिक विज्ञान में शोध पद्धति शास्त्र विषय पर कार्यशाला आयोजित किया गया। कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कार्यशाला और संगोष्ठी किसी भी विश्वविद्यालय में शोध के प्रति जागरूकता को दर्शाता है। सामाजिक विज्ञान में शोध के नवीन विषय निरंतर नए द्वार खोल रहे हैं। इसके लिए शोध पद्धति शास्त्र की आवश्यकता होती है।

इसके द्वारा शोध को वैज्ञानिक तरीकों से निष्कर्ष तक पहुंचाया जाता है। कुलसचिव डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि शोध पद्धति शास्त्र का सामाजिक विज्ञान में उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि विज्ञान में। यह एक नवीन ²ष्टि प्रदान करता है। समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष सह सामाजिक विज्ञान संकाय के संकाय अध्यक्ष प्रो. गोपी रमण प्रसाद सिंह ने कहा कि शोध से निरंतर खोज करने एवं सत्यापित करने का प्रयास होता है। सामाजिक घटनाओं एवं समस्याओं का आकलन एवं परिणाम का वैज्ञानिक तरीकों से भविष्यवाणी के लिए शोध पद्धति शास्त्र का होना आवश्यक है।

समाजशास्त्र विभाग की वरीय शिक्षिका डॉ. मंजू झा ने कहा कि सामाजिक विज्ञान अनुसंधान खोज का विस्तार करने के क्रम में विश्लेषण और अवधारणा मानव जीवन का एक व्यवस्थित तरीका है। प्रथम तकनीकी सत्र के विषय विशेषज्ञ पटना विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रो. वीके लाल ने उपकल्पना निर्माण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उपकल्पना किसी घटना को व्यवस्था करने वाला कोई सुझाव या अलग-अलग प्रतीत होने वाली बहुत सी घटनाओं के आपसी संबंध की व्यवस्था करने वाला सुझाव है।

दूसरे विषय विशेषज्ञ मिजोरम केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. आरके मोहंती ने कहा कि शोध करने से पूर्व उपकल्पना और पूर्व साहित्य समीक्षा अनिवार्य है। साहित्य समीक्षा करते समय शोध के उद्देश्य एवं समस्या का ध्यान रखना आवश्यक है। विश्वविद्यालय समाजशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि शोध वह है जिससे बोध हो। कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी डॉ. सारिका पाण्डेय ने दिया। मंच संचालन लक्ष्मी कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शंकर कुमार लाल ने किया। मौक पर दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. अशोक मेहता, परीक्षा नियंत्रक डॉ. सत्येंद्र नारायण राय, डॉ. सरोज चौधरी, डॉक्टर बीएन मिश्रा, डॉ मनु राज शर्मा, डॉ. गौरव सिक्का, डॉ. सरिता कुमारी, डॉ. रजनी सिंह, डॉ. विकास कुमार, डॉ. पुतुल सिंह, डॉ. अलका निरंजन, डॉ. अपराजिता सिंह, आचार्य विकास आदि मौजूद थे। -

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