मिथिलांचल-सीमांचल बना आतंकियों का सेफ जोन, अशरफ की गिरफ्तारी के बाद फिर चर्चा में इलाका

दरभंगा। दिल्ली से गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी मो. अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी के तार किशनगंज से जुड़ने के बाद एक बार फिर मिथिलांचल-सीमांचल में दहशतगर्दों के ठिकानों की चर्चा शुरू हो गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 11:06 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 11:06 PM (IST)
मिथिलांचल-सीमांचल बना आतंकियों का सेफ जोन, अशरफ की गिरफ्तारी के बाद फिर चर्चा में इलाका
मिथिलांचल-सीमांचल बना आतंकियों का सेफ जोन, अशरफ की गिरफ्तारी के बाद फिर चर्चा में इलाका

दरभंगा। दिल्ली से गिरफ्तार पाकिस्तानी आतंकी मो. अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी के तार किशनगंज से जुड़ने के बाद एक बार फिर मिथिलांचल-सीमांचल में दहशतगर्दों के ठिकानों की चर्चा शुरू हो गई है। दरअसल, यह इलाका आतंकियों का सेफ जोन है। मिथिलांचल व सीमाचंल क्षेत्र से अबतक दो दर्जन से अधिक आतंकियों व संदिग्धों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसमें कई पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के भी आतंकी शामिल हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट बम ब्लास्ट सहित कई आतंकी घटनाओं में शामिल मो. अशरफ का पहचान पत्र व पासपोर्ट किशनगंज का पाया गया है। इसको लेकर पुलिस मुख्यालय एक बार फिर अलर्ट हो गई है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली से मिले इनपुट को कई जिले की पुलिस खंगालने में जुटी है। इसमें दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिले पर विशेष नजर है। पुलिस के अलर्ट होने की यह कोई पहली घटना नहीं है। 17 जून 2021 को दरभंगा जंक्शन पर पार्सल ब्लास्ट की घटना को भी पाकिस्तान में बैठे आतंकियों ने अंजाम दिया था। तब से एनआइए मामले की जांच में जुटी है। इस बीच मो. अशरफ की गिरफ्तारी और उसका बिहार कनेक्शन पुलिस महकमा में हड़कंप मचा दिया है। किशनगंज से गिरफ्तार हुआ था बांग्लादेश का हूजी आतंकी रियाजुल :

किशनगंज से 17 अगस्त 2011 को हूजी के आतंकवादी व बंग्लादेश निवासी आकाश खान उर्फ रियाजुल को दबोचा गया था। उस समय उसके पास से भारत के विभिन्न शहरों के 18 बैंक अकांउट मिले थे। वह 2000 में पद्मा नदी पार कर बांग्लादेश छोड़कर भारत आया था। मुंबई के बांद्रा सहित गुजरात, श्रीनगर, दिल्ली, कोलकाता व कर्नाटक में रहने के बाद वह पश्चिम बंगाल गया । इसके बाद वह किशनगंज आ गया। मधुबनी में पाकिस्तानी आतंकी अजमल को दिया गया था ठिकाना :

मधुबनी जिले के बासोपट्टी स्थित बालकटवा गांव निवासी व लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी उमर मदनी की गिरफ्तारी चार जून 2009 को दिल्ली के कुतुब मीनार के मुख्य द्वार से हुई थी। उसने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी घटना को ही नहीं अंजाम दिया था बल्कि, पाकिस्तानी आतंकी मो. अजमल को भी अपने यहां ठिकाना दिया था। जामा मस्जिद विस्फोट के सिलसिले में दिल्ली स्पेशल ब्रांच ने मधुबनी जिले के सकरी निवासी अब्दुल गयूर जमाली को 24 नवंबर 2011 को नकली पासपोर्ट, संदिग्ध गतिविधि व जाली नोट के मामलों में सकरी के दरबार टोला से गिरफ्तार किया था। पूछताछ के बाद टीम ने मधुबनी शहर के सिघानियां चौक स्थित एक किराए के मकान रह रहे मो. अजमल को गिरफ्तार किया था। अजमल के पाकिस्तानी आतंकी और आईएम के सदस्य होने के प्रमाण मिलने के बाद जांच एजेंसी भी दंग रह गई थी। अजमल विभिन्न चौक चौराहे पर फेरी का काम करने की बात कह मधुबनी में रह रहा था।

-------

पूर्णिया से हुई थी पाकिस्तानी आतंकी आफताब की गिरफ्तारी : दिल्ली पुलिस ने पूर्णिया जिला के जलालगढ़ थानाक्षेत्र के खाताहाट गांव में 6 दिसंबर 2011 को छापेमारी की थी । जहां से पाकिस्तान निवासी और आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य आफताब उर्फ फिरोज उर्फ फारूक उर्फ रौशन को गिरफ्तार किया था। आफताब गिरफ्तारी के दो महीने पहले नेपाल से अररिया के गेहुआं गांव पहुंचा था। इसके बाद वह पूर्णिया के खाताहाट गांव में रह रहा था।

------

पूर्णिया से गिरफ्तार हुआ था अफगानिस्तान का आतंकी मिर्जा खान : पूर्णिया रेलवे स्टेशन से 12 जनवरी 2010 को अफगानिस्तान निवासी व आतंकवादी संगठन से जुड़े मिर्जा खान को गिरफ्तार किया गया था। वह तालिबान संगठन से प्रशिक्षण लेकर नेपाल से पूर्णिया पहुंचा था। यहां से वह बांग्लादेश जाने के फिराक में था। इसके पूर्व 1994 में भी पुलिस ने जोगबनी से पाकिस्तानी मुद्रा के साथ पांच अफगानिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया था।

---------

मदनी ने दिया था भटकल को ठिकाना :

मधुबनी जिले के बासोपट्टी स्थित बालकटवा गांव निवासी उमर मदनी उर्फ उमेर समस उर्फ मदनी उर्फ मौलाना उमर उर्फ अब्दुल्लाह उर्फ अकबर उर्फ साजिद पाकिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए प्रशिक्षण लेने के बाद कई आतंकी घटना को अंजाम दिया। लेकिन, जामनत के बाद से वह फरार चल रहा है। फिलहाल वह नेपाल के सप्तरी के माहुली बाजार में अपना ठिकाना बना रखा है। उसने इंडियन मुजाहिद्दीन के संस्थापक यासीन भटकल को 2006-07 में मिथिलांचल में सबसे पहले ठिकाना दिया था। मधुबनी के बासोपट्टी में रहने के बाद भटकल ने अपना ठिकाना दरभंगा के लहेरियासराय, सदर और मब्बी थानाक्षेत्र में बनाया था। मदनी और भटकल की दोस्ती से यह पहले ही साफ हो चुका है कि मिथिलांचल में लश्कर-ए-तैयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन का गहरा रिश्ता है।

chat bot
आपका साथी