चार सालों में 71 बच्चे हुए बाल श्रम से मुक्त, कुचक्र रोकने को काम कर रहा सीएलटीएस

श्रम विभाग की ओर से पिछले चार सालों में कुल 71 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया है। इनमें कई बच्चे दूसरे जिला के भी शामिल थे जिनके पुनर्वास की जिम्मेवारी संबंधित जिला के श्रम विभाग ने निभाई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 12:16 AM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 12:16 AM (IST)
चार सालों में 71 बच्चे हुए बाल श्रम से मुक्त, कुचक्र रोकने को काम कर रहा सीएलटीएस
चार सालों में 71 बच्चे हुए बाल श्रम से मुक्त, कुचक्र रोकने को काम कर रहा सीएलटीएस

दरभंगा । श्रम विभाग की ओर से पिछले चार सालों में कुल 71 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया है। इनमें कई बच्चे दूसरे जिला के भी शामिल थे जिनके पुनर्वास की जिम्मेवारी संबंधित जिला के श्रम विभाग ने निभाई। विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2017-18 में 11 बच्चों को मुक्त कराने में सफलता विभाग को सफलता मिल चुकी है। वहीं वर्ष 2016-17 में 8 बच्चे, वर्ष 2015-16 में 19 और वर्ष 2014-15 में कुल 33 बच्चों को इस दलदल से निकाला जा चुका है। मजदूरी से हटाए गए इन बच्चों को त्वरित सहायता के रूप में विभाग की ओर से तीन हजार रूपए दिए जाते हैं। बाल श्रम से मुक्त बच्चों के पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 25 हजार की राशि दी जाती है। यह राशि उस बच्चे के 18 साल की आयु पूरी होने तक की अवधि के लिए फिक्स डिपोजिट की जाती है। बच्चों के भौतिक सत्यापन के बाद ही यह राशि मुहैया करायी जाती है।

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सर्च आपरेशन के लिए बना है धावा दल :

बाल श्रम में लगे बच्चों की खोज करने व उनके पुनर्वास के लिए श्रम विभाग की ओर से धावा दल भी बना हुआ है। यह धावा दल सप्ताह में दो दिन मंगलवार व गुरूवार को सर्च आपरेशन चलाती है। लेकिन अधिकारियों की कमी के कारण इसका परिणाम बेहतर नहीं मिल पा रहा। इस धावा दल में श्रम अधीक्षक के अलावा प्रखंडों में तैनात श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी भी शामिल होते हैं।

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10 प्रखंडो में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पद रिक्त :

जिला के दस प्रखंडों में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के पद रिक्त चल रहे हैं। इसका सीधा असर बाल श्रम उन्मूलन अभियान पर पड़ रहा है। वर्तमान में केवल दरभंगा सदर, अलीनगर, बहेड़ी, बेनीपुर, बिरौल, केवटी, ¨सहवाड़ा और जाले में ही श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी कार्यरत हैं। ¨सहवाड़ा प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी 31 नवंबर को सेवानिवृत होने वाले हैं।

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बाल श्रम का कुचक्र तोड़ने को काम कर रहा सीएलटीएस :

बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चे फिर से इस दलदल में ना फंसे और उनका बेहतर पुनर्वास हो, इसके लिए राज्य स्तर पर ओपन सॉफ्टवेयर चाईल्ड लेबर ट्रै¨कग सिस्टम (सीएलटीएस) काम कर रहा है। सरकार के श्रम विभाग, समाज कल्याण विभाग, शिक्षा विभाग, पुलिस सहित कई अन्य विभाग इससे जुड़े हैं और 2014 से मुक्त कराए गए बच्चों की सारी जानकारियां इस सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जा रही है।

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