कोरोना में मांग घटने से संकट में रेड लेडी के किसान

बक्सर नगर के दक्षिण टोला निवासी प्रगतिशील किसान प्रकाश राय पिछले चार वर्षों से हर साल 10 स

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 May 2020 05:21 PM (IST) Updated:Sat, 09 May 2020 06:08 AM (IST)
कोरोना में मांग घटने से संकट में रेड लेडी के किसान
कोरोना में मांग घटने से संकट में रेड लेडी के किसान

बक्सर : नगर के दक्षिण टोला निवासी प्रगतिशील किसान प्रकाश राय पिछले चार वर्षों से हर साल 10 से 12 एकड़ खेत में पपीते की खेती करते हैं। पिछले दो सालों से रेड लेडी वरायटी के पपीते लगा रहे हैं और इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना की नजर लग गई और उनके लिए पूंजी निकालना मुश्किल हो रहा है। यह अकेले एक किसान का दर्द नहीं है, बल्कि पपीते की खेती करने वाले अनेक किसानों का यही हाल है।

प्रकाश राय ने इस बार 12 एकड़ खेत में रेड लेडी वरायटी के पपीते की खेती की है। प्रति एकड़ पपीते की खेती में 80 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च हुआ। जब फसल तैयार हुई तो कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन घोषित हो गया। नतीजतन, अब न तो खरीदार, न ही भाव मिल रहे हैं। मजबूरन, पपीते को औने-पौने दाम में लोकल में ही बेचना पड़ रहा है। जबकि, उम्मीद थी कि पपीते की खेती मुनाफा देकर जाएगी, मगर लॉकडाउन के चलते लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। ताइवानी प्रजाति के इस पपीते से लागत काटकर प्रति एकड़ तीन से चार लाख रुपये बचत होने की उम्मीद थी, लेकिन कोरोना ने सब उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

गुणों से भरपूर होने के बाद नहीं हो रही मांग

पपीता सर्वाधिक फायदेमंद एवं औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ पेट से संबंधित बीमारी में रामवाण का काम करता है। पपीते में कई महत्वपूर्ण एंजाइम मौजूद रहते हैं। बावजूद, लॉकडाउन के असर से बाजारों में इसकी मांग ना के बराबर है। किसान के यहां कोई इसे दस से पन्द्रह रुपये किलो भी नहीं पूछ रहा है। किसान प्रकाश राय ने बताया कि बाहर के बड़े व्यवसायियों के नहीं पहुंचने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। अब तो हालात यह है कि किसान खुद फसल तोड़ते हैं और औने-पौने दाम में स्थानीय छोटे सब्जी विक्रेताओं को बेच दे रहे हैं।

chat bot
आपका साथी