दस वर्षों बाद भी नहीं पूरा हुआ गबन का अनुसंधान

दस वर्षो की समयावधि में पुलिस ने बदलाव के कई रूप देखे। लेकिन, पुराने ढर्रे पर चलने की पुलिस महकमे की आदत नहीं बदली। गबन जैसे संगीन मामले में दर्ज एफआइआर पर कार्रवाई तो दूर अनुसंधान पूरा करने में दस वर्ष की अवधि कम पड़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Jul 2018 05:38 PM (IST) Updated:Tue, 17 Jul 2018 05:38 PM (IST)
दस वर्षों बाद भी नहीं पूरा हुआ गबन का अनुसंधान
दस वर्षों बाद भी नहीं पूरा हुआ गबन का अनुसंधान

बक्सर । दस वर्षो की समयावधि में पुलिस ने बदलाव के कई रूप देखे। लेकिन, पुराने ढर्रे पर चलने की पुलिस महकमे की आदत नहीं बदली। गबन जैसे संगीन मामले में दर्ज एफआइआर पर कार्रवाई तो दूर अनुसंधान पूरा करने में दस वर्ष की अवधि कम पड़ गई। मामला नगर के वार्ड संख्या चार स्थित निशा नगर कॉलोनी में नप द्वारा कराए गए नाली निर्माण का है। प्राक्कलन के विपरीत कराए गए इस नाली निर्माण में पैसों का जमकर लूट-खसोट हुआ। आखिरकार बनाई गई नाली अनुपयोगी साबित हुई। लाखों रुपये खर्च कर बनी नाली मोहल्ले के गंदे पानी की निकासी में कारगर साबित नहीं हुआ। उधर, अनियमितता तथा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी इस नाली के निर्माण के दिन से ही विरोध के स्वर उठा रहे नप के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष नागेन्द्रनाथ तिवारी ने कार्यपालक पदाधिकारी से लगायत डीएम तक का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, जब कहीं से न्याय नहीं मिला, तब लोकायुक्त के निर्देश पर गबन मामले की जांच हुई। जांचोपरांत स्पष्ट हो गया कि नाली निर्माण में न सिर्फ अनियमितता बरती गई है, बल्कि उसका तैयार प्राक्कलन मोहल्ले के घरों को गंदे पानी की निकासी के बजाय अपनी जेब भरने के नजरिए से तैयार किया गया था। इस मामले में पुलिस अधिकारियों द्वारा लोक शिकायत निवारण केन्द्र में जाकर अनुसंधान में तेजी लाने की बात कही गई थी। सनद रहे कि पहले ही तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी अरुण झा एवं प्राक्कलन तैयार करने वाले जेई कन्हैया प्रसाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। डुमरांव थाना कांड संख्या 102/2007 का अनुसंधान आज तक पूरा नहीं हो सका और गबन मामले के आरोपी जेई पर कोई कार्रवाई तय नहीं हो सकी। इस मामले को प्रकाश में लाने वाले 85 वर्ष के बुजुर्ग नागेन्द्रनाथ तिवारी सामाजिक न्याय के लिए आज भी उन सभी दरवाजों पर दस्तक दे रहे हैं, जहां से न्याय की उम्मीद है।

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