गायघाट पैक्स की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध किसानों ने डीसीओ का पुतला फूंका

बक्सर गायघाट पैक्स में धान खरीदारी को लेकर हो रही मनमानी के खिलाफ किसानों का आक्रोश

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Jan 2022 05:11 PM (IST) Updated:Fri, 14 Jan 2022 05:11 PM (IST)
गायघाट पैक्स की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध किसानों ने डीसीओ का पुतला फूंका
गायघाट पैक्स की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध किसानों ने डीसीओ का पुतला फूंका

बक्सर : गायघाट पैक्स में धान खरीदारी को लेकर हो रही मनमानी के खिलाफ किसानों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को किसानों ने छोटका सिंहनपुरा गांव स्थित पैक्स गोदाम के प्रांगण में डीसीओ, बीसीओ और पैक्स अध्यक्ष का न सिर्फ पुतला दहन किया गया, बल्कि जमकर नारेबाजी भी हुई। गायघाट पंचायत के पूर्व मुखिया सह प्रगतिशील किसान डा. रजनीकांत ओझा ने कहा कि पैक्स अध्यक्ष अपने परिवार के लोगों के ही धान खरीदने में व्यस्त हैं। गोदाम पर धान लेकर आने वाले किसानों की खरीदारी नहीं हो रही है।

इस बारे में किसानों ने जिला पदाधिकारी के यहां शिकायत भी दर्ज कराई थी। इसके बाद बीसीओ को जांच की जिम्मेदारी मिली, मगर वे पारदर्शिता पूर्ण जांच करने की बजाय किसानों को ही केस में फंसाने की धमकी दे रहे हैं। वहीं, रमेश ओझा और मुन्ना ओझा का कहना था कि वास्तविक किसानों को छोड़ वैसे लोगों से पैक्स द्वारा धान की खरीदारी की गई है, जिनका दूर-दूर तक खेती से कोई वास्ता नहीं है। अंत में सर्वसम्मति से किसानों ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि अगर 2 दिनों के अंदर जिला प्रशासन द्वारा संबंधित पैक्स से जुड़े लोगों एवं विभागीय अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई तो आगामी 17 जनवरी से गायघाट पैक्स गोदाम पर आमरण अनशन की शुरुआत होगी। हालांकि, इस मामले में जब पैक्स अध्यक्ष सुगन मिश्रा से संपर्क स्थापित किया गया तो उन्होंने कहा कि स्थानीय किसानों के धान की खरीदारी हो रही है। कुछ लोग बाहर से खरीदे गए धान को पैक्स में बेचने के लिए नाना तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाकर दबाव बना रहे हैं। मौके पर रमेश ओझा, मुन्ना ओझा, संजीव ओझा, विद्यासागर ओझा, महमूद अंसारी, बिट्टू ओझा, जग्गू यादव, अन्नू यादव, सेराज ओझा, बुद्धिराम ओझा, जैनुल अंसारी, चुन्नू अंसारी, कमाल अंसारी, छोटक ओझा, सिंहासन यादव, दीनदयाल यादव, शिवजी गोड़, श्रीभगवान सिंह, मन्नू प्रसाद सहित काफी संख्या में स्थानीय किसान शामिल थे।

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