Buxar Lok Sabha Seat: पढ़ें बक्सर में BJP और कांग्रेस का रिकॉर्ड, कौन किस पर रहा भारी; इन पार्टियों को भी मिला मौका

Buxar News काशी और मगध क्षेत्र के ठीक बीचोबीच स्थित बक्सर संसदीय सीट राजनीतिक रूप से लगातार अपना स्वभाव बदलती रही है। हालांकि इस बदलाव की प्रक्रिया आहिस्ता रही है। 1977 की इंदिरा विरोधी लहर को छोड़ दें तो यह सीट करीब ढाई दशक कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही। अब बीते तीन दशक से यही स्थिति भाजपा के साथ है।

By Shubh Narayan Pathak Edited By: Sanjeev Kumar Publish:Sat, 27 Apr 2024 04:40 PM (IST) Updated:Sat, 27 Apr 2024 04:40 PM (IST)
Buxar Lok Sabha Seat: पढ़ें बक्सर में BJP और कांग्रेस का रिकॉर्ड, कौन किस पर रहा भारी; इन पार्टियों को भी मिला मौका
बक्सर में BJP और कांग्रेस का रिकॉर्ड (जागरण)

HighLights

  • निर्दलीय, कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समाजवादी और भाजपा सबको मिला मौका
  • लोकसभा के लिए तीन दशक से भाजपा का गढ़

जागरण संवाददाता, बक्सर। Bihar Politics News Hindi:  काशी और मगध क्षेत्र के ठीक बीचोबीच स्थित बक्सर संसदीय सीट राजनीतिक रूप से लगातार अपना स्वभाव बदलती रही है। हालांकि इस बदलाव की प्रक्रिया आहिस्ता रही है। 1977 की इंदिरा विरोधी लहर को छोड़ दें तो यह सीट करीब ढाई दशक कांग्रेस का मजबूत गढ़ रही।

अब बीते तीन दशक से यही स्थिति भाजपा के साथ है। इस बार यहां बीते लोकसभा चुनाव की तरह ही भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच सीधे मुकाबले के आसार हैं। इस मुकाबले को बहुकोणीय बनाने का प्रयास बहुजन समाज पार्टी के अलावा कुछ निर्दलीय उम्मीदवार कर सकते हैं, जो तैयारी में जुटे हैं।

हालांकि, सातवें चरण में होने वाले मतदान के लिए नामांकन की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। यहां बीते लोकसभा चुनाव की अपेक्षा करीब 86708 अधिक मतदाताओं को मतदान का मौका मिलेगा। कुल 19 लाख से अधिक मतदाता मिलकर अपना सांसद चुनेंगे। पेश है शुभ नारायण पाठक की रिपोर्ट

निर्दलीय, कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समाजवादी और भाजपा सबको मिला मौका

शुरुआत के दो चुनावों में यहां निर्दलीय उम्मीदवार और डुमरांव रियासत के पूर्व राजा कमल सिंह ने कांग्रेस को शिकस्त दी। तीसरे से पांचवें लोकसभा चुनाव तक यहां कांग्रेस लगातार जीती। छठी लोकसभा में इंदिरा विरोधी लहर में यह सीट समाजवादियों के हाथ लग गई। सातवीं और आठवीं में पुन: कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। नौवीं लोकसभा से यहां कांग्रेस का पराभव और भाजपा का उदय शुरू हो गया।

कांग्रेस का वोटबैंक तेजी से भाजपा की ओर जाने लगा। इसी दौर में नौवीं और 10वीं लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को यहां से जीत मिली। 11वीं लोकसभा तक कांग्रेस का वोटर पूरी तरह भाजपा की ओर चला गया। साथ ही समाजवादी दलों के मतदाताओं को भी खुद से जोड़ने में भाजपा सफल हो गई।

लोकसभा के लिए तीन दशक से भाजपा का गढ़

बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित बक्सर संसदीय सीट बीते करीब तीन दशक से भारतीय जनता पार्टी का गढ़ बनी हुई है। यहां से भाजपा ने अपने स्थापना काल के बाद अब तक यहां से लगातार 10 लोकसभा चुनाव लड़े हैं। पहले ही चुनाव में भाजपा ने यहां मजबूत दस्तक दी। शुरुआती तीन चुनावों में लगातार मजबूती हासिल करते हुए चौथे प्रयास में भाजपा को यहां पहली जीत मिली।

इसके बाद भाजपा ने यहां से लगातार चार लोकसभा चुनाव जीते। आखिरी सात लोकसभा चुनावों में केवल एक बार 2009 में केवल 2238 मतों के अंतर से यहां से राष्ट्रीय जनता दल को जीत मिली थी। बीते दो चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत और जीत का अंतर भी बढ़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां 47.93 प्रतिशत मत हासिल किए, जबकि प्रतिद्वंदी राजद को 36 प्रतिशत मत मिले।

विधानसभा में उलट स्थिति

बक्सर संसदीय सीट के अंतर्गत पड़ने वाले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का राजनीतिक समीकरण एकदम उलट है। इसके अंतर्गत आने वाली सभी छह विधानसभा सीटों पर भाजपा के साथ ही उनके सहयोगी दल जदयू और वीआइपी को भी हार का सामना करना पड़ा था।

बीते विधानसभा चुनाव में बक्सर में कांग्रेस ने भाजपा को, डुमरांव में भाकपा माले ने जदयू को, ब्रह्मपुर में राजद ने वीआइपी को, राजपुर में कांग्रेस ने जदयू को, दिनारा में राजद ने जदयू को और रामगढ़ में राजद ने भाजपा को हरा दिया था। इस तरह फिलहाल इस संसदीय क्षेत्र की सभी छह सीटों पर आइएनडीआइ गंठबंधन के दलों का कब्जा है। विधानसभा सीटों के मामले में भाजपा इस क्षेत्र में पहले भी अधिक मजबूत नहीं रही है।

ब्राह्मण बहुल मानी जाती है सीट

इस सीट को ब्राह्मण बहुल माना जाता है। नए परिसीमन के बाद यह गणित थोड़ा बदला है। यहां यादव, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा जाति की भी अच्छी आबादी है। अनुसूचित जाति, अति पिछड़ा, वैश्य और मुस्लिम बिरादरी की आबादी भी काफी है। 1951 के लोकसभा चुनाव में इसका नाम शाहाबाद उत्तर पश्चिम था। 1957 के चुनाव से इस सीट का नाम बक्सर हो गया।

तब से परिसीमन तो बदलता रहा, लेकिन सीट का नाम नहीं बदला। सीट का केंद्रीय भाग बक्सर जिले का इलाका बना रहा। पिछले परिसीमन में भोजपुर (आरा) जिले की शाहपुर और जगदीशपुर विधानसभा की सीटें बक्सर के अंतर्गत आती थीं।

अब बक्सर जिले के अंतर्गत चार विधानसभा सीटें सदर, डुमरांव, ब्रह्मपुर, राजपुर के अलावा रोहतास जिले के दिनारा और कैमूर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का इलाका इसी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। नए परिसीमन में यादव और राजपूत मतदाता बढ़े हैं।

छह विधानसभा सीटें

क्रम संख्या - सीट का नंबर, नाम - पुरुष मतदाता - महिला मतदाता- तृतीय जेंडर- कुल मतदाता

1. 200, बक्सर - 1,56,679 - ़1,42,535 - 5 - 2,99,219

2. 199, ब्रह्मपुर - 1,84,136 - 1,66,301 - 2 - 3,50,439

3. 202, राजपुर (अजा सुरक्षित) - 1,77,702 - 1,63,235 - 0 - 3,40,937

4. 201, डुमरांव - 1,73,244 - 1,57,211 - 6 - 3,30,461

5. 210, दिनारा - 1,61,616 - 1,46,641 - 3 - 3,08,260

6. 203, रामगढ़ - 1,48,661 - 1,38,103 - 1 - 2,86,765

लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता - 10,02,038 - 9,14,026 - 17 - 19,16,081

अब तक के सांसद

कमल सिंह : 1951-62 : निर्दलीय (लगातार दो बार)

अनंत शर्मा : 1962-67 : कांग्रेस

राम सुभग सिंह : 1967-71 : कांग्रेस

अनंत शर्मा : 1971-77 : कांग्रेस (दूसरी बार)

रामानंद तिवारी : 1977-80 : जनता पार्टी

कमला कांत तिवारी : 1980-89 : कांग्रेस (लगातार दो बार)

तेज नारायण सिंह : 1989-96 : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (लगातार दो बार)

लाल मुनि चौबे : 1996-2009 : भारतीय जनता पार्टी (लगातार चार बार)

जगदानंद सिंह : 2009-2014 : राष्ट्रीय जनता दल

अश्विनी चौबे : 2014 से अब तक : भारतीय जनता पार्टी (लगातार दो बार)

विधानसभावार मतदान केंद्रों की संख्या

ब्रह्मपुर - 346

बक्सर - 295

डुमरांव - 335

राजपुर - 347

रामगढ़ - 292

दिनारा - 325

बीते चुनाव:: एक नजर में

वर्ष - कुल उम्मीदवार - मतदान प्रतिशत

2019 - 15 - 53.95

2014 - 16 - 54.14

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