तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही

भोजपुर। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अब कोई भी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Aug 2017 03:10 AM (IST) Updated:Thu, 24 Aug 2017 03:10 AM (IST)
तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही
तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही

भोजपुर। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अब कोई भी तीन तलाक कहकर निकाह खत्म नहीं कर सकता। इस मुद्दे को लेकर शहर के विभिन्न क्षेत्र के लोगों से दैनिक जागरण ने उनकी राय ली है। प्रस्तुत है लोगों द्वारा तीन तलाक के मामले में कही गई बातों का प्रमुख अंश।

अवकाश प्राप्त जिला जज सोहैलुर रहमान के अनुसार, तलाक के सिलसिले में कोर्ट का फैसला शरियत के मुताबिक है। हनफी लॉ में एक वक्त तीन तलाक बिद्दत है और इसे तलाके बिदिया कहा जाता है। जिसका मतलब है कि ये तरीके तलाक मसनून नहीं है। कुरान पाक में तलाक सिर्फ दो बार है, अल-तलाको-मरतान(तलाक सिर्फ दो बार) और इस के बाद इद्दत की मुद्दत रजूह का हक हासिल है।(बिना निकाह के)

धर्मन मस्जिद के इमाम मौलाना शमसुल हक के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है। इस्लाम में तलाक का मामला बुरी बात मानी जाती है, लेकिन मजबूरन तलाक का मामला आता है। वैसे कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी करते हैं। तीन तलाक के मामले में जुर्माना व जेल दोनों का कानून बने।

अधिवक्ता जमाल युसूफ ने तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही करार दिया। उनके अनुसार अल्लाह के रसूल सल्लललाहो अलैहे वस्सलम के जमाने में रूकाना बिन यजीद ने तीन तलाक दिया, जिस पर अल्लाह के रसूल बहुत नाराज हुए। नाराजगी की वजह से उनको कही हुई बात वापस लेनी पड़ी। इसी प्रकार उम्र बिन फारूक के वक्त में तीन तलाक देने वालों को 40 कोड़ा मारने की सजा मिलती थी।

महंत महादेवानंद महिला कॉलेज के जन्तु विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर फरीदा बानो के अनुसार, हमारे समाज में तीन तलाक वहीं होता है जहां मुसलमान मर्द व औरत को कुरान शरीफ और उसका तजुर्मा(अनुवाद) नहीं पढ़ाया गया होता है। क्योंकि जो मुसलमान कुरान सही ढ़ंग से पढ़ेगा वह कभी ऐसा नहीं कर सकता। हमारे समाज में अपने मजहब की जानकारी नहीं होना और लड़कियों के सशक्तिकरण नहीं होने की वजह से ही ये बात होती है। कुरान पाक में एक बार में तीन तलाक का कहीं जिक्र नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया है जाहिर है वह सारी बातों के अध्ययन के बाद ही हुआ है। अत:ये बिल्कुल सही है।

गृहिणी रजिया इकबाल के अनुसार, तलाक जैसी चीज शरियत से चली आ रही है। ये हमारे हदीस व कुरान पाक में है। तीन तलाक को लेकर जितना शोर-शराबा है, उतना ये समाज में है नहीं। वैसे माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर है। भारत सरकार को इस मसले पर कानून बनाने के लिए 6 माह का वक्त मिला है। इस बारे में हम भारत सरकार से यही गुजारिश करेंगे कि डायवर्स अथवा तलाक का जो कानून बने वह सर्वे कराकर लागू किया जाए।

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