सड़क जाम से लोग हो रहे बेहाल, नहीं दिख रहा निदान
ए भाई कब मिली जाम से राहत रोज-रोज हइ हालत कब ले रही। यह बोली अमूमन शहर के कई सड़कों पर जाम में फंसे लोगों की मुंह से निकलता रहा। रविवार को शहर में सड़क जाम की समस्या से लोग परेशान रहे।
भोजपुर । 'ए भाई कब मिली जाम से राहत, रोज-रोज हइ हालत कब ले रही।' यह बोली अमूमन शहर के कई सड़कों पर जाम में फंसे लोगों की मुंह से निकलता रहा। रविवार को शहर में सड़क जाम की समस्या से लोग परेशान रहे। पुलिस अधीक्षक हरिकिशोर राय द्वारा पदभार के तुरंत बाद वन वे ट्राफिक से शहर के इर्द-गिर्द बाईपास की सड़कों पर राहत जरुर मिली है, लेकिन शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है।
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शहर में जाम बना जंजाल :
रविवार को शहर के मीरगंज, बांसटाल, सब्जी गोला, सिडीकेट, आरण्य देवी रोड, अवरपुल, शीशमहल चौक, बिचली रोड, धर्मन चौक, गोपाली चौक, जेल रोड, शिवगंज, मठिया मोड़, महावीर टोला, करमन टोला, नवादा स्टेशन रोड, मिल रोड, पूर्वी गुमटी और निजी बस स्टैंड आदि सड़कों पर रुक-रुककर जाम की समस्या से लोग परेशान रहें।
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सड़कों की नहीं बदली सूरत :
शहर में सड़कों की स्थिति दयनीय है। संकीर्ण और जर्जर सड़कों पर आवागमन की समस्या दशकों से यथावत बनी है। सड़कों के विस्तार के लिए शहर में कई बार अतिक्रमण सफाई का अभियान चलाया गया। प्रशासन की सख्त कार्रवाई से कई सड़कें पूरी तरह से सफाई हो गई लेकिन सड़क विस्तार की योजना धरी की धरी रह गई। इसके विपरीत अब तो कुछ मुहल्ले की सड़कें दिन चढ़ते मछली बाजार जैसा ²श्य पैदा करने लगती है।
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नहीं हो सका यातायात व्यवस्था में सुधार :
वर्ष 1967 से शहर में यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कई बार योजना तैयार होती रही है। स्वच्छ आरा-सुंदर आरा योजना के तहत शहर की सड़कों का विस्तार, आवश्यकतानुसार अंडरपास का निर्माण और ट्राफिक तंत्र को मजबूत करने के लिए चर्चा होती रही। योजना का प्राकल्लन भी तैयार कर सरकार के सचिवालय को भेजा जाता रहा। विधानसभा में मामला उठाया जाता रहा। आश्वासन भी मिलता रहा लेकिन शहर की सूरत में बदलाव का मामला फाइलों में कैद रह गया।