पारितोष ने यूपीएससी परीक्षा में 142वीं रैंक के साथ मारी बाजी

यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के फाइनल रिजल्ट में कतीरा आरा के निवासी पारितोष पंकज ने 142वीं रैंक हासिल की। पारितोष की सफलता से घर में खुशी का माहौल है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 11:39 PM (IST) Updated:Tue, 04 Aug 2020 11:39 PM (IST)
पारितोष ने यूपीएससी परीक्षा में 142वीं रैंक के साथ मारी बाजी
पारितोष ने यूपीएससी परीक्षा में 142वीं रैंक के साथ मारी बाजी

आरा। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के फाइनल रिजल्ट में कतीरा, आरा के निवासी पारितोष पंकज ने 142वीं रैंक हासिल की। पारितोष की सफलता से घर में खुशी का माहौल है। पिता प्रो नीरज सिंह के घर देर शाम तक शुभकामना देने वालों का तातां लगा रहा। पारितोष पंकज की प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल व इंटरमीडिएट की शिक्षा एचडी जैन कॉलेज, आरा से हुई है। इसके बाद टीएस चाणक्या, मुंबई से नोटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया। जर्मन की शिपिग कंपनी में सर्विस किए। बाद में यूपीएससी की तैयारी दिल्ली में रहकर की। चार भाइयों में पारिपोष पंकज चौथे नंबर पर हैं। दो भाई साफ्टवेयर इंजीनियर और एक भाई मानस राजहंस टीवी चैनल में पत्रकार हैं। पारितोष का परिवार मुख्य रूप से बड़का डुमरा, आरा का रहने वाला है। उनके पिता प्रो नीरज सिंह, वीर कुंवर सिंह विवि में हिदी व भोजपुरी के विभागाध्यक्ष थे। साहित्यिक जगत में उनकी अपनी पहचान है। मां कुंती देवी गृहिणी हैं। पारितोष के पिता ने बताया कि बचपन से ही उनके मन में सिविल सर्विस के जरिए लोगों की सेवा करने का भाव जागृत था। तभी से उसने ठान लिया था कि सिस्टम का हिस्सा बनकर लोगों की सेवा करना है। सफलता के पीछे कड़ी मेहनत को मानते हैं। उन्होंने बताया कि वे दिन में महज सात से आठ घंटे हीं तैयारी करते थे। उनका मानना है कि तैयारी के लिए ज्यादा पढ़ने की बजाय जो भी पढ़े उसे ध्यान से पढ़ने की जरुरत है।

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--------------- प्रशासनिक के साथ साथ सामाजिक कार्यो में लग लोगों की करूंगा मदद: अपूर्व

जागरण संवाददाता, आरा: भोजपुर जिले के अपूर्व कुमार सिंह ने यूपीएससी की परीक्षा में 664 वां स्थान हासिल किया है। यह इनका तीसरा प्रयास था। पहली बार में पीटी की परीक्षा में सफल नहीं हो पाए थे, जबकि दूसरी बार में मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कर सके थे। फिर भी उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला और तीसरी बार सफलता मिली। अपूर्व इसके पहले अमेरिकन ओरिकल कंपनी में दो वर्षों तक बतौर साफ्टवेयर इंजीनियर जॉब्स कर चुके हैं। यहां तक पहुंचने के लिए वे सात से आठ घंटे तक लगातार मेहनत करते रहे। इस मुकाम तक पहुंचाने का श्रेय वे अपने माता-पिता के अलावा दोस्त आरा के अजितेश रंजन को देते हैं, जिसने उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में मदद की। पिता अनिल कुमार सिंह, दरभंगा के कोतवाली में दारोगा हैं। मां पुष्पा देवी गृहिणी है। छोटा भाई अतुल कुमार सिंह भी साफ्टवेयर इंजीनियर है। शुरूआती पढ़ाई अपूर्व कुमार सिंह अपने गांव बाघ मंझौवां, में रहकर की है। उनके चाचा मुन्ना सिंह, मुखिया थे। बचपन में ही सामाजिक जीवन उनमें रच-बस गया था। साफ्टवेयर इंजीनियरिग की सर्विस छोड़कर दिल्ली में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की, ताकि आम जीवन से सरोकार रखने वाली सर्विस को किया जा सके। प्रारंभिक शिक्षा कक्षा सात तक गांव में रहकर की। 10वीं तक पढ़ाई डीएवी, आरा से की। एनएमएएमआईटी, मेंगलुरु से कम्प्यूटर इंजीनियरिग की डिग्री हासिल की। यूपीएससी में उन्होंने ऑपशनल विषय भूगोल चुना था। क्योंकि उन्हें बचपन से भूगोल विषय में अधिक दिलचस्पी थी। उन्होंने कहा कि सफलता अर्जित करने के लिए सब्र व ईमानदारी के साथ परिश्रम करें। असफलता से विचलित नहीं हों। परिश्रम की अगली मंजिल सफलता होती है।

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