पैदल यात्रियों को फुटपाथ पर नहीं मिल रहा अधिकार

भोजपुर । पैदल यात्रियों के अधिकार को आखिर क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है। बड़े शहरों में जब इस अधिकार

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jul 2015 06:56 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2015 06:56 PM (IST)
पैदल यात्रियों को फुटपाथ पर नहीं मिल रहा अधिकार

भोजपुर । पैदल यात्रियों के अधिकार को आखिर क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है। बड़े शहरों में जब इस अधिकार का निर्वहन वहां के प्रशासक पूरी मुस्तैदी से करते हैं तो इस शहर के फुटपाथ के कनसेप्ट पर ढिलाई का मकसद क्या है। फुटपाथ के अभाव में सड़कों पर मजबूरन चलने वाले पैदल यात्री लगातार मौत की भेंट चढ़ रहे हैं। सड़क जाम की समस्या हल नहीं हो रही है। ट्रैफिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त दिखाई दे रहा है और प्रशासक शहर की सड़कों और गलियों में बिना कोई तौर-तरीके अथवा निर्धारित मापदंड के सड़क बनाने की होड़ में शामिल है। अराजकता के इसी अंधी-दौड़ में पकड़ी चौक से गैस एजेंसी मोड़ तक की पथ को देख लें। कुछेक वर्षो में इस सड़क का जीर्णोद्धार कई बार हो चुका है, लेकिन पता नहीं क्यों फुटपाथ के अधिकार पर ध्यान नहीं दिया गया। उर्दू प्राइमरी स्कूल, कई कोचिंग संस्थान, गैस एजेंसी और शार्ट-कट रूट के कारण यह सड़क शाम ढलते एक कदम चलने योग्य नहीं रह जाता है। सड़क पर पैदल यात्री और तेज वाहनों की कतार में फर्क नहीं रहता है कि कौन कैसे चल रहा है। इसी में धक्का-धुक्की भी आम बात रहती है। क्योंकि फुटपाथ पर दुकानें भी बड़ी तरीके से सजी होती है। इस सड़क पर भी फुट ओवर ब्रिज अथवा अंडर पास की व्यवस्था कराई जाती है। सड़क पर डिवाइडर बनाया गया होता तो पैदल यात्रियों को आवागमन में कोई खतरा नहीं रहता है। इस वैकल्पिक व्यवस्था के लिये कौन करें पहल! यह सवाल आम नागरिकों को मथ रहा है। आस-पास के मुहल्लेवासी और सड़क जाम में हर दिन घंटों जूझने वाले लोग परेशानियों से शीघ्र निजात चाहते हैं वे चाहते हैं कि तत्काल फुटपाथ पर पैदल यात्रियों के हक पर प्रशासन पहल करें। राजनेता अपनी दबाव बढ़ायें। झमेला वाले सड़क-फुटपाथ को द्वितीय चक्र में रखा जाये, पहले जहां फुटपाथ निर्माण संभव है वहां पर कुछ काम कराई जाए।

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जानें जनता का दर्द :

फोटो फाइल 02 आरा 31

भगत सिंह मूर्ति लेन निवासी प्रीति कुमारी कहती हैं कि जब हर तरफ बदलाव की बात चल रही है तो इस शहर में कोई परिवर्तन क्यों नही ंदिखाई दे रहा है। पुराने तर्ज पर सड़कों की बनावट और रख-रखाव है। नई सोच में महिलाओं एवं स्कूली बच्चों की खातिर फुटपाथ का कायाकल्प पर विचार जरूरी है।

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फोटो फाइल 02 आरा 32

सदर अस्पताल के पीछे कालोनी निवासी गृहिणी कुमकुम देवी बताती हैं कि शहर की सड़कों पर पैदल चलने में भय लगता है। कब कौन टेम्पो अथवा बाइक से अपनी तेज रफ्तार में चपेट देगा, यह स्थिति बराबर घटित हो रही है। प्रशासन को फुटपाथ और सड़क जाम के लिये प्रयास करनी चाहिए।

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फोटो फाइल 02 आरा 33

करमन टोला निवासी जया कुमारी का कहना है कि शहर में फुटपाथ और सड़क जाम पर कुछ भी बोलना बेकार है। इसके लिये जो भी जिम्मेवार तंत्र है व न तो सुनने में विश्वास करते हैं और न कुछ करने की उनमें किसी तरह की लालसा है। बदलाव के लिये इच्छा शक्ति का घोर संकट है।

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फोटो फाइल 02 आरा 34

केजी रोड़ निवासी संदीप राय बोलते हैं कि पैदल यात्रियों की दुर्दशा और सड़क जाम के लिए प्रशासन के वह अंग जिम्मेवार है, जिन्होंने शहर में यातायात व्यवस्था के मद्देनजर सदैव लापरवाही बरती। नगर निगम खुद सड़कों पर भाड़े वाले वाहनों के ठहराव के लिये टेंडर करती है। बिजल विभाग, टेलीफोन विभाग सड़कों के किनारे पोल लगा रखा है। सोचिए, पैदल यात्री सड़कों पर कैसे चलें।

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फोटो फाइल 02 आरा 35

श्रीटोला निवासी राज कुमार कहते हैं कि शहर में सड़क जाम गंभीर समस्या है। मजबूर पैदल यात्री सड़कों पर उतरते है। यदि उनके सामने विकल्प होता तो लोग सड़कों पर मरने के लिए क्यों जाते। नेता और प्रशासन के लोग अपने मनमाफिक सोचते हैं। उन्हें आमलोगों की तकलीफों से कोई वास्ता नहीं है।

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02 आरा 36

करवा निवासी हर्ष कुमार का मानना है कि आरा नगर की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है उस रफ्तार से यहां कोई सुधार नहीं हो रहा है। सड़क आवश्यक कार्यो में आता है, लेकिन फुटपाथ के अभाव में सड़क पर पैदल चलना जान गंवाना जैसा है।

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