World Athletics day: जमुई की भाजपा विधायक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह बोलीं-पदक की लग जाएगी झड़ी

World athletics day जमुई में संसाधन की कमी हो दूर तो पदक की लग जाएगी झड़ी। यहां के कई एथलीटों ने राष्ट्रीय स्तर पर 22 स्वर्ण पदक हासिल करने में कामयाबी पाई है। पांच दर्जन से अधिक अन्य पदक पर भी यहां के खिलाडि़यों ने कब्‍जा दिलाते हैं।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Fri, 06 May 2022 11:53 PM (IST) Updated:Fri, 06 May 2022 11:53 PM (IST)
World Athletics day: जमुई की भाजपा विधायक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह  बोलीं-पदक की लग जाएगी झड़ी
विश्व एथलीट दिवस के पर अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह ने कहा।

अरविंद कुमार सिंह, जमुई। पिछड़े जिलों में शुमार जमुई की पथरीली धरती पर प्रतिभा के रंग बिरंगे फूल खिले हैं। अगर एथलेटिक्स दिवस पर खिलाडिय़ों पर गौर करें तो यहां अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय खिलाडिय़ों की कमी नहीं दिखती है। यहां के प्रतिभावान एथलीटों ने राष्ट्रीय स्तर पर 22 स्वर्ण सहित पांच दर्जन से अधिक अन्य पदक हासिल करने में कामयाबी पाई है। इसी मिट्टी में पैदा हुई श्रेयसी सिंह ने निशानेबाजी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में दो बार गोल्ड मेडल झटक कर देशवासियों को गौरवान्वित किया है। सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया है।

इन्हें भी मिली है कामयाबी

श्रेयसी सिंह के अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाला फेंक कर आशुतोष कुमार सिंह ने अब तक छह स्वर्ण पदक सहित कुल 27 पदक बिहार के नाम की है। इसी प्रकार सुदामा यादव, अंजनी, सुरेंद्र कुमार, रोशन कुमार, टिंकू कुमार आर्य, सुरेंद्र कुमार, रोहित कुमार सिंह, अरुण मोदी और राज कुमार गुप्ता ने भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक पाकर सूबे का नाम रोशन किया है। पैरा ओलंपिक में भी दो-दो गोल्ड जीतने की उपलब्धि इस्लामनगर अलीगंज के शैलेश कुमार के नाम है।

कागजों पर सिमटा है संसाधन

जमुई में खेल के पर्याप्त संसाधन की कमी के बावजूद यहां के खिलाडिय़ों ने यह उल्लेखनीय सफलता पाई है। इनका कहना है कि अगर यहां खेल संबंधी संसाधनों की कमी दूर कर दी जाए तो पदकों की झड़ी लग जाएगी। राष्ट्रीय स्वर्ण पदक हासिल कर स्थानीय एथलीटों के लिए गुरु द्रोण बने आशुतोष कहते हैं कि प्रशिक्षण के लिए एक भाले की कीमत 15 से 20 हजार रुपये आती है। कड़ी और ऊंची नीची भूमि पर भाला अधिक टूटता है। इसके बावजूद यहां के जैवलिन थ्रोअर को न तो पर्याप्त भाले और न समतल मैदान उपलब्ध है। संसाधन की ऐसी कमी सभी खेलों में है। लेकिन इसके बावजूद जैवलिन थ्रो से लेकर ऊंची कूद, लंबी कूद तथा दौड़ आदि खेलों में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहे हैं। जिले में एथलेटिक्स में भविष्य तलाशने वाले एथलीटों की संख्या पांच दर्जन से अधिक है। कई ऐसे खिलाड़ी संसाधन के अभाव में खेल से विमुख हो चुके हैं। उनमें वैसे खिलाड़ी भी थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक हासिल की थी। उनमें सिकंदरा के श्याम सुंदर कुमार, सोनो के पंकज कुमार व प्रमोद कुमार तथा सदर प्रखंड के चंदन कुमार एवं सुमित कुमार शामिल है।

सच्ची लगन और कठिन परिश्रम है सफलता का मूल मंत्र

विश्व एथलीट दिवस के पर अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज श्रेयसी सिंह कहती है कि सच्ची लगन और कठिन परिश्रम ही सफलता का मूलमंत्र है। जिले में एथलेटिक्स सहित अन्य खेलों में खिलाडिय़ों को संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर वह प्रयासरत हैं। फिलहाल विधायक की हैसियत से सरकार और स्वयंसेवी संगठन के स्तर पर एक-एक स्पोट्र्स कांपलेक्स की स्वीकृति दिलाने में उन्हें सफलता मिली है। एथलीटों को भी जल्द ही आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

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