कब पूरा होगा रामविलास पासवान का सपना? 18 सालों में 19 km तक ही चल पाई खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना की गाड़ी

खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना की चाल बैलगाड़ी से भी ज्यादा सुस्त है। रामविलास पासवान की विरासत को लेकर आज बिहार की राजनीति में जमकर बयानबाजी हो रही हो लेकिन किसी ने उनके इस सपने पर ध्यान नहीं दिया यदि ध्यान दिया होता तो शायद परियोजना में रफ्तार आ जाती।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 03:41 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 03:41 PM (IST)
कब पूरा होगा रामविलास पासवान का सपना? 18 सालों में 19 km तक ही चल पाई खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना की गाड़ी
खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना पर कब लगेंगे पंख?

चंदन चौहान, जागरण संवाददाता, खगड़िया। आज रामविलास पासवान की विरासत को लेकर जंग छिड़ी हुई है, लेकिन किसी का ध्यान रामविलास पासवान के खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना पूरी करने के सपने पर नहीं है। 44 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर कब तक पटरी बिछाने का कार्य पूरा होगा और कब ट्रेनें दौड़ेंगी, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। स्मृतिशेष रामविलास पासवान के पैतृक गांव शहरबन्नी से होकर भी इस योजना के तहत पटरी गुजरनी है। लेकिन अभी तक अलौली से कार्य आगे नहीं बढ़ा है। अलौली से आगे अभी सर्वे का ही काम चल रहा है। कुल मिलाकर दो दिनों में चले ढाई कोस की कहावत चरितार्थ हो रही है।

शहरबन्नी के छात्र सुजीत कुमार कहते हैं, 'हमलोग केवल सुनते आ रहे हैं। कब यह रेल परियोजना पूरी होगी और कब मेरे गांव से होकर भी ट्रेनें गुजरेगी यह सपना ही है। अभी खगड़िया जाने-आने में सौ रुपये खर्च पड़ जाते हैं। आटो और टाटा 407 ही सहारा है।' इसी तरह रामपुर अलौली के पप्पू कुमार ने कहा कि अलौली में स्टेशन बनकर तैयार है। लेकिन ट्रेन चलेगी तब न।

मालूम हो कि इस परियोजना की रूपरेखा उस समय तैयार की गई जब रामविलास पासवान रेल मंत्री थे। 44 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन में 54 पुल-पुलिए, 25 केबिन ढाले व नौ बड़े पुल बनने हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि खगड़िया से कुशेश्वर स्थान के बीच 18 वर्षों में मात्र 19 किलोमीटर तक पटरी बिछाने का काम पूरा हो पाया है। जबकि इस परियोजना को 1998 में स्वीकृति मिल गई थी। 2003 से काम शुरू हो गया। 2009 में कार्य पूर्ण हो जाना था। लेकिन आवंटन के अभाव में काम बंद हुआ और फिर 2007 में दोबारा कार्य शुरू किया गया। फिर अवधि बढ़ाकर 2020 किया गया। लेकिन अब तक कार्य पूरा नहीं हुआ है।

इस परियोजना के लिए अब तक 147 करोड़ एक हजार रुपये आवंटित हो सके हैं। हालत यह है कि अगर आकलन करें, तो हर वर्ष 1.05 किलोमीटर तक ही पटरियां बिछाई जा रही हैं। इसके तहत आठ स्टेशन बनने हैं। जिसमें खगड़िया से अलौली तक चार और इससे आगे चार। लेकिन अब तक अलौली तक ही स्टेशन बने हैं।

खगड़िया-कुशेश्वरस्थान रेल परियोजना में विलंब के महत्वपूर्ण कारणों में एक फंड और दूसरा बाढ़ है। इससे विभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते हैं। अभी बाढ़ के कारण कार्य प्रभावित है और अलौली के आसपास ही कार्य चल रहा है। अगर यह परियोजना पूरी हो जाती है, तो फरकिया मिथिलांचल से सीधे जुड़ जाएगा। फरकिया का कायाकल्प हो जाएगा। मक्का और दूध उत्पादक किसानों को सीधा लाभ मिलेगी।

इस संबंध में विभागीय डिप्टी चीफ इंजीनियर, समस्तीपुर, कहते हैं कि इस परियोजना में फंड की कमी की वजह से काम रूकता है। अभी भी फंड का अभाव है। बाढ़ से भी काम प्रभावित होता है। अभी बाढ़ के कारण काम लगभग रुका हुआ है। अलौली के आसपास ही काम हो रहा है। अलौली से आगे सर्वे का काम चल रहा है। सर्वे बाद अलौली से आगे किसी प्रकार का निर्माण कार्य होगा।

राजेश कुमार, पीआरओ, हाजीपुर इस संदर्भ में कहते हैं कि खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना में विलंब का मुख्य कारण बाढ़ के कारण वहां की भौगोलिक संरचना है। जिसके कारण तकनीकी समस्या है। फोरेस्ट क्लीयरेंस का भी मामला है।

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