छात्राओं ने देखा शहर के ऐतिहासिक धरोहर, आप भी जानें... इसके बारे में Bhagalpur News

भागलपुर में कई धरोहर ऐसे हैं जो ऐतिहासिक होने के साथ साथ गौरवशाली है। स्‍वतंत्रता आंदोलन की गाथाएं भी यहां के धरोहर में है। छात्राओं को धरोहर से अवगत कराया गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 11 Aug 2019 12:53 PM (IST) Updated:Sun, 11 Aug 2019 04:17 PM (IST)
छात्राओं ने देखा शहर के ऐतिहासिक धरोहर, आप भी जानें... इसके बारे में Bhagalpur News
छात्राओं ने देखा शहर के ऐतिहासिक धरोहर, आप भी जानें... इसके बारे में Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। वर्तमान भागलपुर जो दिख रहा है उसे दिखाया गया है। एसएम कॉलेज में इतिहास विभाग द्वारा टिल्हा कोठी से तिलकामांझी तक ऐतिहासिक धरोहरों और विरासतों की पूर्व और वर्तमान स्थिति से छात्राओं को अवगत कराया गया। ऐसे भी कई स्थलों को पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से दिखाया गया, जहां लोगों का आवागमन नहीं है। यह कार्यक्रम अपने विरासत को जानिए और समझिए के तहत किया गया। यह अपील की गई कि इसे बर्बाद नहीं होने दें और आने वाली पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करें।

कॉलेज की प्राचार्या डॉ.अर्चना ठाकुर ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। विभाग के शिक्षक प्रो. रमन सिन्हा ने भागलपुर के इतिहास से संबंधित भवन को तस्वीरों के माध्यम से शिक्षकों सहित छात्राओं को अवगत कराया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. मिथिलेश तिवारी एवं कर्मचारी नीरज ने सहयोग किया। धन्यवाद ज्ञापन डां. अंजू ने किया।

अंग्रेजी धरोहर - बताया गया कि 1779 ई. में चंपानगर के सीटीएस. मैदान में बना गिरजाघर भागलपुर की सबसे पुरानी इमारत है। हालांकि खंडहर हो चुके इस गिरजाघर को अभी ध्वस्त कर दिया गया है।

टिल्हा कोठी - इटालियन मॉडल वाले इस भवन परिसर में झाडिय़ों में छिपे जेम्स बर्टन के सात दिवसीय पुत्र का कब्रगाह दिखाया गया। साथ ही कलक्टर अगस्टस क्लीवलैंड का आतिथ्य स्वीकार कर उस भवन में रहने वालों की जानकारी दी । 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट से बने सुप्रीम कोर्ट के प्रथम प्रधान न्यायाधीश सर ईलिजा इम्पे, सुप्रीम कोर्ट के जज रहे एवं बाद में बंगाल एशियाटिक सोसायटी (1784) के संस्थापक सर विलियम जोंस, यात्रा वृतांत लिखने वाले विलियम होजेज सहित इस्ट इंडिया कंपनी के बंगाल के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के यहां रुकने से टिल्हा कोठी का मान बढ़ा है। प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के दुर्लभ पत्र, राजेंद्र बाबू के बड़े भाई महेंद्र प्रसाद की पोती की शादी खंजरपुर निवासी मुक्तेश्वर प्रसाद के सुपुत्र श्याम कृष्ण सहाय से हुई थी। संयुक्त परिवार होने के कारण राष्ट्रपति ने पत्राचार कर शादी की जिम्मेदारी निभाई। इस क्रम प्रो. सिन्हा ने एक दर्जन पत्रों को दिखाया।

मुस्लिम विरासत- एसएम कॉलेज से मात्र कुछ कदमों की दूरी पर स्थित इब्राहिम खां उर्फ फतेहजंग के मकबरे को शिक्षकों सहित छात्राओं ने अबतक नहीं देखा है। चित्र सहित उसका इतिहास बताया गया। शेखावत हुसैन की पत्नी बेगम रूकैया (1880 - 1932) जो प्रथम इस्लामिक नारीवादी लेखिका के रूप में जानी जाती है जो पति के इंतकाल के बाद मुस्लिम लड़कियों में शिक्षा का अलख जगाने हेतु यहां शेखावत मेमोरियल गल्र्स स्कूल खोली थी। उस स्कूल भवन को दिखाते हुए शेखावत हुसैन लेन को भी दिखाया गया।

बंगला धरोहर- राजा शिवचंद्र बनर्जी सहित पुडुचेरी आश्रम के श्री अरविन्द के चिकित्सक पिता डॉ. कृष्ण धन घोष की दुर्लभ तस्वीरों के साथ मोक्षदा स्कूल दिखाया गया, जहां से सुंदरवती महिला कालेज की शुरुआत हुई थी। ज्ञात हो कि डॉ. घोष मोक्षदा स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष थे। यह स्कूल शिवचंद्र बनर्जी की माताजी के नाम पर है। पुन: पिता के नाम पर दुर्गा चरण स्कूल है। छोटी दुर्गा चरण में बंगाली साहित्यकार शरतचंद्र की प्रारंभिक शिक्षा हुई थी। बताया कि 13 - 15 फरवरी 1910 तक तीन दिवसीय बंग साहित्य का तृतीय अधिवेशन हुआ था। इसमें कविगुरु रविद्रनाथ टैगोर पधारे थे। उन्होंने भागलपुर इंस्टीच्यूट परिसर में अपने विचारों से भागलपुर वासियों का मन मोहित कर लिया था।

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