Schools open Bhagalpur: न मास्क, न सैनिटाइजर फिर भी विभाग को भेजी रिपोर्ट ओके, कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ी आशंका

भागलपुर में अनलाक होने के बाद कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए उडऩ दस्ता टीम गठित हुई है। दोनों पालियों की जांच के बाद टीम को पोर्टल पर रिपोर्ट लोड करनी है। छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति की भी जांच होनी है। ले‍क‍िन

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 07:03 AM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 07:03 AM (IST)
Schools open Bhagalpur: न मास्क, न सैनिटाइजर फिर भी विभाग को भेजी रिपोर्ट ओके, कोरोना वायरस के संक्रमण की बढ़ी आशंका
किसी भी स्कूल मेें मास्क और सैनिटाइजर की नहीं होती जांच

भागलपुर  [संजय]। शहर के अनलाक होने के बाद मिडिल स्कूलों के साथ-साथ प्राथमिक स्तर के स्कूलों में भी पठन पाठन शुरू करा दिया गया है। स्कूल खोलने के साथ ही गाइडलाइन तय की गई। लेकिन कमरों की कमी, सीमित स्टाफ होने और कोरोना को लेकर गंभीरता नहीं होने का असर यह कि विद्यार्थी न मास्क का उपयोग कर रहे हैं, न किसी स्कूल के प्राधानाचार्य ने सैनिटाइजर की खरीद की है।

सरकार ने गाइड लाइन जारी किया कि विभाग के अधिकारियों की टीम गठित हो। सभी के जिम्मे पांच से सात स्कूल की जिम्मेदारी दी जाए। वह उडऩ दस्ता टीम स्कूल में जाकर गाइड लाइन का पालन हो रहा है कि नहीं इसकी प्रत्येक दिन रिपोर्ट विभाग के पोर्टल पर लोड करेगी। आश्चर्य तो यह है कि टीम प्रत्येक दिन जांच करने स्कूल जा रही है लेकिन रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं कर रही है स्कूल बच्चे मास्क पहन कर नहीं आ रहे हैैं। न स्कूल में सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है। टीम केवल बच्चों की उपस्थिति और स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति की जानकारी लेकर पोर्टल पर ओके रिपोर्ट डाल रहे हैैं।

दरअसल, प्राधानाचार्य के पास विकास मद में राशि रहती है। उस राशि से सैनिटाइजर खरीद कर सकते हैैं लेकिन किसी स्कूल के हेडमास्टर ने खरीद नहीं की है। कहीं उनके खिलाफ जांच न शुरु हो जाए। हाल में ही सजौर इंटर स्तरीय विद्यालय में 21 लाख गबन का मामला बेपर्द हुआ था। स्कूल के प्रधानाध्यापक ने विकास राशि से स्कूल के रखरखाव में खर्च कर दिया। इसकी शिकायत हो गई कि स्कूल से राशि का गबन हो गया। स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक विनोद कुमार सिंह ने कहा, हमने कोई गबन नहीं किया। इधर, जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच इसलिए बैठा दी कि उन्होंने इसकी विभाग से कोई आदेश नहीं लिया। नाम छापने के शर्त पर एक शिक्षक ने बताया कि विकास मद की राशि से खरीद करके फंसने के डर से कोई प्रधानाचार्य खरीद नहीं करते हैैं। नतीजा, सैनिटाइजर कहां से खरीदेंगे। कोई अपनी जेब से खरीद नहीं कर सकता है।

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्यकार्यकारिणी सदस्य प्रवीण झा कहते हैैं, सरकार की गाइडलाइन में स्कूलों में हैंड सैनिटाइजर और मास्क अनिवार्य है। छात्र छात्राओं को अंदर प्रवेश तभी देना है जब वे बिल्कुल फिट हो। जिले में करीब 230 के करीब स्कूल है, उन स्कूलों में आठ हजार से ज्यादा शिक्षक कार्यरत है। कुछ स्कूल अभी भी बाढ़ में प्रभावित इलाके में है, वहां के बच्चों को दूसरे स्कूलों में कंबाइंड करके स्कूलों में पढ़ाने का आदेश दिया गया था। कुछ स्थानों पर हो भी रहा है। स्कूल में कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने के लिए ही टीम का गठन किया गया है। टीम हर रोज जांच कर रही है। स्कूलों में सैनिटाइजर व अन्य सामग्री को खरीद करने का अधिकारी प्रधानाचार्यों को हैैं। वे खरीद कर सकते हैैं।

फिर स्कूल बंद होने की आशंका से लोगों में संशय

कोरोना काल के बाद जब स्कूल में संचालन शुरु हुआ तो अधिकतर अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल इसलिए नहीं भेजे की कहीं कोरोना की तीसरी लहर न आ जाए। तीसरी लहर की स्थिति देख उसके बाद बच्चों को स्कूल भेजेंगे।

कोरोना गाइड लाइन का पालन करने के लिए निर्देश दिया गया है। लगातार टीम जांच कर रही है। जो स्कूल अभी बाढ़ प्रभावित हैैं, वहां के बच्चों की पढ़ाई के लिए बीइओ की बैठक की जाएगी। उसके बाद उन स्कूलों को खोलने पर विचार किया जाएगा। - संजय कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी

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