रेलवे खुद टिकट बेचने के प्रति है लापरवाह, जानिए... किस स्टेशन की है कहानी

नाथनगर रेलवे काउंटर पर तैनात कर्मी खुदरा की मांग करते हैं, जब यात्री नहीं होने की बात करते हैं तो बकाया पैसा खुला नहीं होने का बहाना बनाकर खुद रख लेते हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Thu, 13 Dec 2018 09:41 PM (IST) Updated:Fri, 14 Dec 2018 02:45 PM (IST)
रेलवे खुद टिकट बेचने के प्रति है लापरवाह, जानिए... किस स्टेशन की है कहानी
रेलवे खुद टिकट बेचने के प्रति है लापरवाह, जानिए... किस स्टेशन की है कहानी

भागलपुर (जेएनएन)। रेलवे राजस्व बढ़ाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है। वहीं, राजस्व विभाग के कर्मचारी ही इसे कम करने में लगे हैं। कुछ ऐसा ही मामला इन दिनों भागलपुर-अकबरनगर के बीच स्थित नाथनगर स्टेशन पर देखने को मिल रहा है। यहां से टिकट लेकर ट्रेन से सफर करना चाह रहे हैं तो खुदरा पैसा लेकर हीं जाएं, तभी आपको उचित टिकट मिलेगा, नहीं तो बिना टिकट सफर करना पड़ सकता है। इस स्टेशन पर रात के समय खुदरा के नाम पर सीधे तौर पर यात्रियों को टिकट नहीं दिया जा रहा है। बकायदा टिकट खिड़की पर 'कृप्या खुदरा दें का साइन बोर्ड लिख दिया गया है। बुधवार की रात कई यात्रियों को खुदरा के नाम पर लौटा दिया गया। आखिरकार कई यात्रियों ने खुदरा का जुगाड़कर पर टिकटें कटाई। वहीं, कई पैसेंजर बिना टिकट लिए ही ट्रेन पर सवार होकर गंतव्य के लिए रवाना हुए।

दरअसल, नाथनगर स्टेशन पर दो एक्सप्रेस और सभी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव है। प्रखंड से सटे होने के कारण प्रतिदिन छह से सात हजार यात्री ट्रेन पकडऩे पहुंचते हैं। जब यात्री टिकट लेने के लिए खिड़की पर पहुंचते है तो पहले खुला पैसा मांगी जाती है। ज्यादातर यात्रियों के पास खुदरा पैसा नहीं होने के कारण उन्हें बिना टिकट लिए ही ट्रेन पर सवार होना पड़ता है। यात्रियों ने कई बार इसकी मौखिक शिकायत भी की, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका।

यात्रियों से ज्यादा लिया जा रहा पैसा

काउंटर पर तैनात कर्मी खुदरा की मांग करते हैं, जब यात्री नहीं होने की बात करते हैं तो बकाया पैसा खुला नहीं होने का बहाना बनाकर खुद रख लेते हैं। इधर, ट्रेन पकडऩे की हड़बड़ी और चेकिंग में नहीं पकड़ाने की भय से यात्री भी पैसे छोड़ देते हैं। नाथनगर से एक यात्री ने बुधवार की रात करीब 9.46 बजे जमालपुर का पैसेंजर ट्रेन टिकट लिया। जिसका टिकट संख्या 4229सी9317एच है। नाथनगर से जमालपुर का किराया 15 रुपये पर है। पहले यात्री ने सौ रुपये का नोट दिया तो खुदरा देने की बात क्लर्क ने कही। इसके बाद यात्री ने 20 रुपये का नोट दिया तो क्लर्क ने पांच रुपये खुला नहीं होने का बहाना बनाकर वापस नहीं किया। तब तक हावड़ा-जयनगर ट्रेन तब तक प्लेटफॉर्म पर प्रवेश कर चुकी थी। यात्री पैसा छोड़कर ट्रेन पकडऩे चला गया। इस तरह की घटनाएं हर दिन सैकड़ों यात्रियों के साथ हो रही है।

एसीएम जेएस कुल्‍लू ने कहा कि खुदरा दें का बोर्ड लगाना गलत है। कभी-कभी खुदरा नहीं होती है। लेकिन खुदरा के नाम पर टिकट नहीं देना उचित नहीं है। इस मामले में पूछताछ की जाएगी।

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