Corona virus : फांसी बंदी कर रहे प्राणायाम, भागलपुर जेल के अति सुरक्षा कक्ष में बंद हैं 12 फांसी बंदी

जेल में कक्षपालों और कैदियों में जुलाई माह में हुए संक्रमण के बाद कैदियों में भय समाने लगा था। घर वालों से वीडियो कांफ्रेंसिंग में बातें होती गई।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 01:26 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 01:26 PM (IST)
Corona virus : फांसी बंदी कर रहे प्राणायाम, भागलपुर जेल के अति सुरक्षा कक्ष में बंद हैं 12 फांसी बंदी
Corona virus : फांसी बंदी कर रहे प्राणायाम, भागलपुर जेल के अति सुरक्षा कक्ष में बंद हैं 12 फांसी बंदी

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अति सुरक्षा कक्ष में बंद फांसी बंदी अब कोरोना से दूर रहने को प्राणायाम कर रहे हैं। फांसी की सजा पाए इन कैदियों की इस जोर-आजमाइश को देख अन्य कैदी भी सबेरे-सबेरे कंबल बिछा प्राणायाम करने लगे हैं। यह बदलाव बीते 15 दिनों में हुआ है। दरअसल जेल में कक्षपालों और कैदियों में जुलाई माह में हुए संक्रमण के बाद कैदियों में भय समाने लगा था। घर वालों से वीडियो कांफ्रेंसिंग में बातें होती गई। एक-दूसरे का हाल जाना तो मन हलका हुआ लेकिन रहना तो जेल की चारदीवारी के अंदर ही है। इसके लिए जेल अधीक्षक संजय कुमार चौधरी, उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह कैदियों की मनोदशा भाप उनका हौसला बढ़ाया। जेल से मिलने वाले गर्म पानी और काढ़ा के अलावा उनके बीच जाकर उन्हें स्वच्छता, शारीरिक दूरी और बाबा रामदेव के प्राणायाम करने को उत्साहित किया। उनके दिए हौसले ने कोरोना से लडऩे की ललक उनमें जगा दी। कैदी हालांकि रोज सुबह पहले से उठकर दंड-बैठक, व्यायाम आदि करते थे अब कोरोना से दूर रहने के लिए प्राणायाम करना शुरू कर दिया है। फांसी की सजा पाए 12 कैदियों ने प्राणायाम जब शुरू किया तो शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा के अन्य कैदियों ने भी प्राणायाम पर जोर देना शुरू कर दिया। अन्य कैदियों ने भी ठान ली कि जीना है तो प्राणायाम को भी गले लगाना होगा। अब उसका परिणाम भी नजर आने लगा है। उनके बीच का यह बदलाव उन्हें कोरोना से दूर रखने में मददगार हो रहा है। कैदियों का दावा है कि योग के जरिए गैस, सिर दर्द, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, जोड़ों के दर्द आदि में पहले से लाभ होता था। अब प्राणायाम से थकान, कमजोरी दूर हो रही है। दम मिलने लगा है। इम्युनिटी के लिए काढ़ा का सेवन भी कर रहे हैं।

इन फांसी बंदियों ने दिखाया जोश तो मिलने लगा सुखद परिणाम

दीपक राय उर्फ विपत राय, निरंजन कुमार उर्फ अलखदेव कुमार, मुन्ना पांडेय, मनीष कुमार उर्फ नेपाली मंडल, शेरू उर्फ ओंकार नाथ सिंह, जगत राय, अजीत कुमार, ध्रुव सहनी, सोनू कुमार, रूपेश कुमार मंडल, प्रशांत कुमार मेहता, जियाउय्दीन उर्फ धन्नो शामिल हैं।

कंबल बना मैट, रोज करते हैं सुबह शाम पांच मिनट का प्राणायाम

फांसी की सजा पाए कैदियों का जोश देख कोरोना से चल रही जंग में अन्य कैदी भी शामिल हो गए हैं। रोज सुबह ये बंदी नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद कंबल बिछाकर योग करते हैं। योग के लिए कैदियों ने कंबल को ही मैट बना रखा है। सुबह लंबी सांस लेकर पेट पर जोर देते हुए तेजी से सांस छोड़ते हैं। सांस अंदर खींच कर पेट पर जोर देते हुए सांस छोडऩे की यह प्रक्रिया रोज सुबह पांच मिनट और शाम को पांच मिनट तक करते हैं।

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