अल्पसंख्यक और महिला विंग रहने के बावजूद टिकट देने से परहेज करतीं हैं पार्टियां

सभी दलों में अल्पसंख्यक और महिला समुदाय का विश्वास जीतने अलग-अलग प्रकोष्ठ गठित है। इन प्रकोष्ठों की इकाई प्रदेश से जिला स्तर तक है। फ‍िर भी टिकट देने में परहेज करती है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Mon, 01 Apr 2019 10:27 AM (IST) Updated:Mon, 01 Apr 2019 04:21 PM (IST)
अल्पसंख्यक और महिला विंग रहने के बावजूद टिकट देने से परहेज करतीं हैं पार्टियां
अल्पसंख्यक और महिला विंग रहने के बावजूद टिकट देने से परहेज करतीं हैं पार्टियां

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। बिहार में एनडीए ने सभी 40 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भागलपुर से शाहनवाज हुसैन का टिकट काटकर भाजपा ने अल्पसंख्यक से किनारा कर लिया है। एनडीए में जदयू ने किशनगंज में महमूद अशरफ तो लोजपा ने खगडिय़ा में महबूब अली कैसर को प्रत्याशी बनाया है। किशनगंज सीट पर 2014 में भी जदयू ने अल्पसंख्यक को ही टिकट दिया था।

वहीं लोजपा खगडिय़ा में सीटिंग महबूब अली कैसर को टिकट देकर उन पर फिर से भरोसा जताया है। इस चुनाव में किसी नए सीट पर एनडीए का कोई भी साथी अन्य अल्पसंख्यक नेताओं पर भरोसा नहीं किया है। जबकि सभी दलों में अल्पसंख्यक और महिला समुदाय का विश्वास जीतने अलग-अलग प्रकोष्ठ गठित है। इन प्रकोष्ठों की इकाई प्रदेश से जिला स्तर तक है। एनडीए की पूरी सूची में तीनों ही दलों ने एक-एक महिला उम्मीदवार दिए हैं। यह कुल सीटों का दस प्रतिशत भी नहीं है।

भाजपा ने शिवहर सीट पर सीटिंग रमा देवी को उतारा है। जदयू ने सिवान में नए चेहरे कविता सिंह पर दांव खेला है। लोजपा ने वैशाली से वीणा देवी को प्रत्याशी बनाया है। स्थिति यह है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने 17-17 और लोजपा ने छह उम्मीदवार दिए हैं। लोजपा के खाते में कम ही सीट आई है।

इसके बावजूद एक सीट अल्पसंख्यक को देकर समीकरण बिठाने का प्रयास किया है। इस बार के चुनाव में भाजपा ने अधिकांश सीटों पर पुराने ही चेहरे दिए हैं। सीमांचल की अररिया सीट भाजपा को मिली तो वहां पार्टी ने पूर्व सांसद प्रदीप सिंह को ही उतारा। पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल में भाजपा को एकमात्र सीट मिली है। महागठबंधन की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है। कांग्रेस ने कटिहार और किशनगंज में अल्पसंख्यक उम्मीदवार दे दिया है। राजद ने अररिया में सीटिंग पर भरोसा किया है।

chat bot
आपका साथी